Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Uttarakhand: शिक्षा विभाग ने ट्रांसजेंडर के प्रमाणपत्रों में लिंग-नाम परिवर्तन से किया था इन्कार, हाई कोर्ट ने लगाई लताड़

Nainital High Court हाई कोर्ट नेशैक्षणिक प्रमाणपत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन से इन्कार करने के उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा बोर्ड के फैसले को रद कर दिया है। हल्द्वानी निवासी ट्रांसजेंडर को पहले लड़की के नाम से जाना जाता था। 2020 में उसने दिल्ली के अस्पताल में सर्जरी कराई और कानूनी तौर पर अपना नाम और लिंग बदल लिया। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा उसे पहचान पत्र भी जारी किया गया।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 30 Aug 2024 01:51 PM (IST)
Hero Image
Nainital High Court: जिला मजिस्ट्रेट नैनीताल की ओर से उसे पहचान पत्र भी जारी किया गया। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नैनीताल। Nainital High Court:हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में ट्रांसजेंडर के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन से इनकार करने के उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा बोर्ड के फैसले को रद कर दिया है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुरूप मौजूदा नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया, जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की मान्यता को अनिवार्य बनाने वाले विकसित कानूनी प्रक्रिया को लागू करने पर जोर दिया है।

पहले लड़की के नाम से जाना जाता था

हल्द्वानी निवासी ट्रांसजेंडर ने याचिका दायर कर कहा था पहले वह लड़की के नाम से जाना जाता था। 2020 में दिल्ली के अस्पताल में यौन पुनर्मूल्यांकन सर्जरी कराई और कानूनी तौर पर अपना नाम और लिंग बदल लिया।

यह भी पढ़ें- अदृश्य होने लगे शनि ग्रह की सुंदर रिंग्स... तो क्‍या एक दिन सच में गायब हो जाएंगी?

ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 7 के तहत जिला मजिस्ट्रेट, नैनीताल की ओर से जारी पहचान पत्र रखने के बावजूद, उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों में अपना नाम और लिंग अपडेट करने के उनके अनुरोध को उत्तराखंड स्कूल शिक्षा बोर्ड ने अस्वीकार कर दिया था। बोर्ड ने हवाला दिया कि उनका मामला उसके विनियमों के अध्याय-12 के खंड 27 के अंतर्गत नहीं आता है, जो केवल उन नामों में बदलाव की अनुमति देता है जो अश्लील, अपमानजनक या अपमानजनक हैं।

यह भी पढ़ें- UKPSC PCS Result 2021: फैशन की दुनिया छोड़ आशीष ने पाई पहली रैंक, पत्नी डॉक्टर तो बहनें अधिकारी

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि

मामले की कानूनी जड़ में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत प्रदत्त अधिकारों की व्याख्या शामिल थी, और क्या बोर्ड के नियम इन वैधानिक अधिकारों के अनुरूप हैं।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर