Nainital High Court shifting : कैबिनेट प्रस्ताव के बाद अब नैनीताल से छिनेगा न्यायिक राजधानी का तमगा
Nainital High Court shifting राज्य बनने के साथ ही नौ नवंबर 2000 को नैनीताल में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। हाई कोर्ट का संचालन अंग्रेजी राज के दौरान स्थापित पुराने सचिवालय भवन में शुरू किया गया था। इस हैरीटेज भवन का निर्माण 1900 ईसवीं में किया गया था।
By kishore joshiEdited By: Skand ShuklaUpdated: Thu, 17 Nov 2022 12:05 PM (IST)
किशोर जोशी, नैनीताल : अंग्रेजों के बसाए शहर से ग्रीष्मकालीन राजधानी का तमगा 60 के दशक में छिन गया था, अब राज्य बनने के दो दशक बाद नैनीताल से न्यायिक राजधानी का तमगा भी समाप्त होने जा रहा है। धामी सरकार की कैबिनेट ने हाई कोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने की सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है।
हाई कोर्ट की ओर से कराई गई वेबसाइट के माध्यम से कराई गई रायशुमारी में करीब 80 प्रतिशत सुझाव हाई कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने के पक्ष में थे जबकि दो बार हाई कोर्ट की फुट कोर्ट भी नैनीताल की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए हाई कोर्ट को शिफ्ट करने पर सहमति प्रदान कर चुकी है। अब बड़ा सवाल यह है कि अरबों की धनराशि हाई कोर्ट में सुविधाओं के विस्तार पर खर्च करने के बाद सरकार इस संपत्ति का कैसा उपयोग करेगी।
दरअसल राज्य बनने के साथ ही नौ नवंबर 2000 को नैनीताल में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। हाई कोर्ट का संचालन अंग्रेजी राज के दौरान स्थापित पुराने सचिवालय भवन में शुरू किया गया था। इस हैरीटेज भवन का निर्माण 1900 ईसवीं में किया गया था। शुरुआत में पांच कोर्ट रूम का निर्माण किया गया, बाद में और कोर्ट रूम जोड़ी गई।
2007 में विशाल मुख्य न्यायाधीश न्यायालय ब्लॉक के अलावा अधिवक्ताओं के कक्षों के लिए ब्लॉक बनाया गया। मुख्य वन संरक्षक समेत अन्य वन विभाग के परिसर ग्लेथार्न परिसर का भी हाई कोर्ट के लिए अधिग्रहण कर लिया गया। वहां राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण स्थापित किया गया। जो अब हाई कोर्ट परिसर में एचडीआर सेंटर भवन में संचालित है।
2017 से हुई थी शुरुआत
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष् एमसी कांडपाल ने पहली जनवरी 2017 को मुख्य न्यायाधीश को एक प्रत्यावेदन देकर हाई कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने की मांग की। उन्होंने प्रत्यावेदन पर कार्रवाई नहीं होने पर 11 जनवरी 2019 को रिमाइंडर दिया। जिसके बाद हाई कोर्ट की ओर से वेबसाइट के माध्यम से पूरे उत्तराखंड से हाई कोर्ट शिफ्ट करने के मामले में सुझाव मांगे गए।
सुझावों में आइडीपीएल ऋषिकेश, देहरादून, हरिद्वार, पिथौरागढ़, गैरसैंण, मुनस्यारी समेत हल्द्वानी के लिए थे। अधिवक्ता कांडपाल के अनुसार करीब सात-आठ सौ सुझावों में 80 प्रतिशत हल्द्वानी के लिए थे। 2020 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता में फुल कोर्ट ने हाई कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने के लिए प्रस्ताव पारित कर प्रदेश सरकार को भेजा।
जस्टिस रंगनाथन के सेवानिवृत्त होने के बाद मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान के कार्यकाल में गौलापार शिफ्ट करने की कार्रवाई चलती रही। वहां भूमि का निरीक्षण भी किया गया। अगस्त-सितंबर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात के बाद मौजूदा मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता में फुल कोर्ट ने हल्द्वानी हाई कोर्ट शिफ्ट करने का प्रस्ताव पारित किया। जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट शिफ्टिंग के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई।
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