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Nainital High Court: देहरादून के स्‍कूल के छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति न देने पर कोर्ट सख्त

Nainital High Court ल्यूसेंट इंटरनेशनल स्कूल प्रेमनगर देहरादून के विद्यार्थियों को कोर्ट के आदेश के बाद भी सीबीएसई परीक्षा में बैठने नहीं देने को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने पूछा है कि इस मामले में न्यायालय के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया।

By kishore joshiEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 17 Feb 2023 10:50 AM (IST)
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Nainital High Court: अगली सुनवाई को 22 फरवरी की तिथि नियत की है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : ल्यूसेंट इंटरनेशनल स्कूल प्रेमनगर देहरादून के 86 विद्यार्थियों को कोर्ट के आदेश के बाद भी सीबीएसई परीक्षा में बैठने नहीं देने को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी देहरादून को 22 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब कर पूछा है कि इस मामले में न्यायालय के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया।

जानबूझकर न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने पर अवमानना के आरोप का सामना करना होगा। अगली सुनवाई को 22 फरवरी की तिथि नियत की है। गुरुवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में ल्यूसेंट स्कूल प्रेमनगर देहरादून की छात्रा रूबी सहित 86 विद्यार्थियों की याचिका पर सुनवाई हुई।

याचिका में उच्च न्यायालय ने सीबीएसई को याचिकाकर्ता विद्यार्थियों को अंतरिम छात्र पंजीकरण संख्या जारी करने और उन्हें व्यावहारिक के साथ-साथ बोर्ड परीक्षा 2022-23 में बैठने की अनुमति देने के निर्देश जारी करने की प्रार्थना की है।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डा.. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि ल्यूसेंट इंटरनेशनल स्कूल, देहरादून ने ट्रांसफर केस के रूप में सीधे 12वीं कक्षा में 86 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया। सभी छात्रों ने प्रवेश के समय 11वीं कक्षा की मार्कशीट के साथ अपने वैध टीसी अगस्त, 2022 के महीने में स्कूल में जमा की।

प्रवेश और सीबीएसई पंजीकरण शुल्क जमा किया। बार-बार अनुरोध के बाद भी क्षेत्रीय अधिकारी सीबीएसई देहरादून ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। कहा कि सीबीएसई ने न्यायालय के आदेश का जानबूझकर पालन नहीं किया, जिससे छात्र-छात्राएं 20 फरवरी की व्यावहारिक परीक्षा नहीं दे सके।

उन्हें प्रोविजनल रोल नंबर भी जारी नहीं किया गया। प्रयोगात्मक परीक्षा में भी बैठने की अनुमति नहीं दी। इस वजह से उन्हें बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

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