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Nainital Landslide : नैनीताल में 1880 के भूस्खलन में चली गई थी 151 लोगों की जान, Landslide से फिर बढ़ा खतरा

Nainital landslide 1880 नैनीताल एक बार फिर चौतरफा भूस्खलन से घिरा हुआ है। यहां की संवेदनशील पहाड़ियाें से लगातार भूस्खलन होने के कारण खतरा बढ़ा 1980 में नैनीताल में भूस्खलन होने से 151 लोगों की मौत हो गई थी।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 25 Jul 2022 12:11 PM (IST)
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नैनीताल में 1880 में भारी भूस्खलन हुआ था। फोटो साभार ब्रिटिश लाइब्रेरी
नैनीताल, जागरण संवाददाता : Nainital Landslide : नैनीताल में एक बार फिर मानसून के साथ पहाड़ियों पर भूस्खलन शुरू हो गया है। 18 सितंबर 1880 (Nainital landslide 1880) को शेर का डांडा क्षेत्र में आल्मा की पहाड़ी पर भूस्खलन में 151 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में 43 अंग्रेज शामिल थे।

1880 में Nainital में क्या हुआ था

18 सितंबर, 1880 शनिवार का दिन नैनीताल के इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज है। दो दिन से लगातार बारिश नगर में जारी थी और 510 एमएम बारिश हो चुकी थी। इसके बाद मल्लीताल में भूस्खलन शुरू हो गया। भूस्खलन इतना भीषण था कि मल्लीताल में तमाम इमारतें इसकी चपेट में आकर ध्वस्त हो गईं।

क्षतिग्रस्त हो गया था Naina Devi मंदिर

भूस्खलन का मलबा आने से फ्लैट्स मैदान का निर्माण हुआ था और नैनादेवी मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था। मरने वाले 151 लोगों में 108 भारतीय और 43 ब्रिटिश नागरिक शामिल थे। अंग्रेजों ने इस हादसे से सबक लेकर नैनीताल में 68 नालों का निर्माण कराया गया था, जिसे शहर की लाइफलाइन भी कहा जाता है।

Nainital में Landslide का पुराना इतिहास

  • 1866 में आल्मा की पहाड़ी पर हुआ था भारी भूस्खलन।
  • जुलाई 1867 में नैनीताल क्लब क्षेत्र हुआ था भारी भूस्खलन।
  • 21 जून 1988 को सीआरएसटी के ऊपर भूस्खलन से विज्ञान प्रयोगशालाओं को नुकसान हुआ।
  • 1888 में मंदिर के मध्य में भूस्खलन हुआ था।
  • 1890 से पहले डीएसबी के समीप राजभवन रोड, ठंडी सड़क पर भूस्खलन
  • 1924 अयारपाटा क्षेत्र में भारी भूस्खलन
  • 1888 में 28 अगस्त को नैना पीक व चायना पीक चट्टान दरकी।
  • 1988 व 1987, चायना पीक पर भूस्खलन से सौ पेड़ धराशाई हो गए थे। 61 भवनों को नुकसान हुआ और 470 परिवार प्रभावित हुए।

नैनीताल में 1867 में हुआ पहला भूस्खलन

Nainital First Landslide : नैनीताल के बसने के कुछ वर्षों के बाद साल 1867 में यहां पहला भूस्खलन वर्तमान के चार्टन लॉज की पहाड़ी पर हुआ था। तब कुमाऊं के कमिश्नर रहे सर हेनरी रैमजे ने हिल साइड सेफ्टी कमेटी का गठन किया, जो नैनीताल के संवेदनशील इलाकों के बारे में जानकारी जुटाती थी।

अतिक्रमण से नैनीताल के अस्तित्व को खतरा

नैनीताल के ग्रीन फील्ड जोन में धड़ाधड़ अवैध निर्माण और नगर के लाइफलाइन नालों पर अतिक्रमण से एक बार फिर बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। रसूखदार और पहुंच वाले लोग नियमों को मात देकर अवैध निर्माण करते गए जिसके परिणति एक बार फिर अवैध निर्माण के रूप में सामने आ रही है।

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