मैनेजमेंट की कमी के चलते हर बार स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ रही नैनीताल पालिका
नैनीताल पालिका अधिकारियों को सिस्टम का डर नहीं है। यही कारण है कि मुख्य मार्गों के साथ ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कूड़े के ढेर लगे होना आम बात हो गई है। पालिका में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात होने के बावजूद धरातल पर बेहतर कार्य नहीं दिखता।
By Jagran NewsEdited By: Skand ShuklaUpdated: Mon, 03 Oct 2022 11:21 AM (IST)
नैनीताल, जागरण संवाददाता : प्रदेश की सबसे पुरानी नगर पालिकाओं में शुमार नैनीताल पालिका कुछ वर्ष पूर्व तक स्वच्छ्ता के लिए भी पहचानी जाती थी। मगर नगर पालिका अधिकारियों की सुस्ती और मैनेजमेंट की कमी के चलते पालिका की स्वच्छता रैंकिंग लगातार गिर रही है।
जिला और मंडल मुख्यालय होने के बावजूद पालिका अधिकारियों को सिस्टम का डर नहीं है। यही कारण है कि मुख्य मार्गों के साथ ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कूड़े के ढेर लगे होना आम बात हो गई है। पालिका में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात होने के बावजूद धरातल पर बेहतर कार्य नहीं दिखता। यही हाल रहा तो शहर में पर्यटन कारोबार के प्रभावित होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
बता दें कि शहर की खोज के बाद अंग्रेजों ने नैनीताल को अपनी आरामगाह के रूप में बसाया। शहर में सुनियोजित तरीके से निर्माण कार्य करने के साथ ही साफ सफाई की पर्याप्त व्यवस्था हुआ करती थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटिश काल में नैनीताल पालिका में पर्यावरण मित्रों के 283 पदों का ढांचा स्वीकृत था।
लोग बताते हैं कि शहर में साफ सफाई की बेहद बेहतर व्यवस्था हुआ करती थी। आजादी के बाद 70-80 के दशक तक व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चली, मगर धीरे धीरे अब शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा ने लगी है। पालिका अधिकारियों और कर्मचारियों का शहर की सफाई व्यवस्था की ओर कोई ध्यान नहीं है। आलम यह है कि शहर के मुख्य मार्गो सार्वजनिक स्थलों समेत ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कूड़े के ढेर लगे हो ना आम बात हो गई है।
सफाई कार्य के लिए बेहतर प्रबंधन ना होना बन रहा परेशानी
शहर की सफाई व्यवस्था सुचारु रखने के लिए पालिका में पर्याप्त संख्या में पर्यावरण मित्र और अन्य कर्मचारी तैनात हैं। नगर पालिका अधिकारियों में कर्मचारियों से सुचारू रूप से ड्यूटी ना करवा पाना और सफाई व्यवस्था के लिए सुनियोजित कार्य योजना नहीं होना गंदगी बढ़ने का कारण बन रहा है।कुछ वर्ष पूर्व तक शहर में प्रतिदिन दो समय झाड़ू लगाने के साथ ही सार्वजनिक क्षेत्रों के डस्टबिन उठाने का कार्य सुचारू रूप से किया जाता था। मगर प्रबंधन बेहतर नहीं होने के कारण अब पूर्व जैसा कार्य धरातल पर नहीं दिखता। जिस कारण शहर में गंदगी बढ़ रही है।
पालिका अधिकारियों की आपसी नोकझोंक भी बन रही वजह पालिका में तैनात अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार वर्मा और नगर सफाई निरीक्षक कुलदीप कुमार के बीच लंबे समय से नोकझोंक का माहौल चल रहा है। दोनों अधिकारियों की किसी एक बिंदु पर आपसी सहमति नहीं बन पाने का नतीजा धरातल पर साफ दिख रहा है।
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