Nanital : नैनीताल की कर आइए सैर, दूर हो जाएगा सारा तनाव; इस तरह पहुंच सकते हैं खूबसूरत वादियों में
ब्रिटिश अधिकारी पीटर बैरन को नैनीताल की खोज का श्रेय जाता है। 1841 में पीटर बैरन रातीघाट पाडली से पैदल नैनीताल की बिड़ला चुंगी पहुंचे थे। पहाड़ी के ऊपर पहुंचने के बाद तलहटी पर उन्हें सुंदर नैनी झील दिखी जिस रास्ते से बैरन नैनीताल आए उसका अस्तित्व आज भी है।
नरेश कुमार, नैनीताल। Nanital Temperature नैनीताल घूमने का प्लान बना रहे हैं तो इस प्लान का फलक थोड़ा और बड़ा करने की जरूरत है। सिर्फ झील देखने या नौकायन कर लौट जाने से आपकी यात्रा एक तरह से अधूरी है। बहुत दूर नहीं जाना है। सिर्फ शहर के 15 किलोमीटर के दायरे में सैर की योजना का खाका खींचिए। भीड़ व ट्रैफिक जाम से दूर आपको प्रकृति के बीच समय गुजारने का मौका मिलेगा।
मानसिक शांति की अनुभूति होगी तो ट्रेकिंग का अनुभव रोमांचित करेगा। वाइल्ड लाइफ में रुचि रखने वालों के लिए भी इसी शहर के करीब नैना देवी बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व नाम से एक अलग दुनिया है। जहां पक्षियों की चहचहाहट और घने जंगल के बीच विचरण करते हुए वन्यजीव जंगल के आभामंडल से रूबरू कराएंगे।
अगर चांद-तारों की दुनिया को करीब से देखना हो तो इसके लिए ताकुला में एस्ट्रो विलेज तैयार हो रहा है और काम अंतिम चरण में है। सैर पूरी करने के बाद जब आप वापसी करें तो फिर चले आइए ज्योलीकोट। इसे मधुमक्खी पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है। यानी आप यहां मधुमक्खियों को शहद एकत्र करते हुए देख सकते हैं।
वह रास्ता, जिससे नैनीताल खोजने पहुंचे थे पी बैरन
ब्रिटिश अधिकारी पीटर बैरन को नैनीताल की खोज का श्रेय जाता है। 1841 में पीटर बैरन रातीघाट, पाडली से पैदल नैनीताल की बिड़ला चुंगी पहुंचे थे। पहाड़ी के ऊपर पहुंचने के बाद तलहटी पर उन्हें सुंदर नैनी झील दिखी थी। जिस रास्ते से बैरन नैनीताल आए, उसका अस्तित्व आज भी है। यह मार्ग नैनीताल से पाडली गांव को जोड़ता है।
बांज, देवदार, ऊतीस समेत अन्य प्रजातियों के पेड़ों से घिरे जंगल से होकर गुजरने वाला यह रास्ता अपने आप में ट्रेकिंग का शानदार अनुभव है। यही नहीं, पर्वतीय गांव का जीवन भी आपको नजर आएगा। आप बिड़ला तक करीब दो किमी वाहन से पहुंच चुंगी से पाडली और रातीघाट तक ट्रेक कर सकते है।
बर्ड वाचिंग की दुनिया
शहर से करीब तीन किमी दूरी के बाद वन्यजीवों की दुनिया शुरू हो जाती है। 111 वर्ग किमी में फैला है नैना देवी बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व। वाहन और पैदल दोनों ही माध्यमो से टांकी बैंड से पंगोट रोड होते हुए कुंजखड़क व उससे आगे के क्षेत्र की सैर आपको रोमांचित करेगी।
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरो के लिए यह डेस्टिनेशन बेहद उपयुक्त है। पक्षियों की सुरीली आवाज और स्वछंद विचरण करते घुरल, काकड़ व गुलदार का दिखना आम बात है। बर्ड रिजर्व में ट्रेकिंग का भी एक अलग अनुभव है। वन विभाग की ओर से जंगल के भीतर कई ट्रेकिंग ट्रेल विकसित की गई हैं। नैनीताल में ठहरकर एक दिन के लिए इस रोमांच से रूबरू हुआ जा सकता है।
ब्रह्मस्थली तक ट्रेकिंग
नैनीताल से पंगोट 14 किमी और उसके बरइ कुंजखड़क क्षेत्र में पहाड़ी पर स्थित ब्रह्मस्थली छोटी दूरी के ट्रेकरों के लिए बेहद उपयुक्त ट्रेक है। नैनीताल से करीब डेढ़ घंटे में वाहन से यहां पहुँचा जा सकता है। जहां से दो किमी खड़ी चढ़ाई के बाद चोटी पर ब्रह्मस्थली मंदिर है। हिमालय की श्रृंखलाओं के शानदार दर्शन यहां से होते हैं।
सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई
नैनीताल का अगर एरियल व्यू देखना हो तो आपको इस शहर की सबसे ऊंची चोटी नयना पीक जरूर जाना चाहिए। थोड़ी थकान होगी, लेकिन जब चोटी पर पहुंचेंगे तो सारी थकान पलभर में काफूर हो जाएगी। करीब तीन किमी का यह ट्रेक बेहद रोमांचकारी है।
टांकी बैंड तक वाहन से पहुचने के बाद टेढ़े-मेढ़े सर्पीले रास्तों से गुजरते हुए नयना पीक अपनी ओर बुलाती है। यहां से झील और संपूर्ण शहर का शानदार दृश्य आपको मुग्ध करेगा। इसी के बगल में स्थित ऊंट की पीठ की तरह दिखने वाली कैमल्स बैक नामक पहाड़ी की चढ़ाई भी कम रोमांचित नहीं करती। यहां पहुंचकर शहर और हिमालय तक के सुंदर दृश्य को देखा जा सकता है।
चांद-तारों से साक्षात्कार
शहर से महज चार किमी दूर हल्द्वानी रोड पर स्थित ताकुला चारों ओर से चीड़ व बांज के जंगलों से घिरा छोटा सा गांव है। महात्मा गांधी के यहां आगमन से इसे गांधी ग्राम की संज्ञा मिली। जिला प्रशासन इस गांव में एस्ट्रो विलेज बनवा रहा है। निर्माण अंतिम चरण में है। यहां से आसमानी दुनिया से रूबरू होने का लुत्फ उठाया जा सकता है। ठहरने के लिए काटेज बनाए गए हैं।
पारंपरिक पर्वतीय शैली में बने काटेज वास्तुकला से परिचय कराएंगे। अत्याधुनिक टेलीस्कोप से आसमानी दुनिया को नजदीक से देखने का अनुभव मिलेगा। ऐतिहासिक तथ्यों में रुचि रखने वाले पर्यटक एस्ट्रो विलेज के पास गांधी आश्रम में महात्मा गांधी जुड़ी स्मृतियों से भी रूबरू हो पाएंगे। नैनीताल से यहां टैक्सी और अपना वाहन लेकर पहुंचा जा सकता है।
मधुमक्खी पर्यटन का लीजिए आनंद
क्या आपने कभी मधुमक्खियों को छत्ता बनाते और फूलों से शहद एकत्र करते देखा है। अगर नहीं तो नैनीताल से महज 12 किमी की दूरी पर स्थित राजकीय मौन पालन प्रशिक्षण केंद्र ज्योलीकोट में जल्द इसका आनंद लिया जा सकता है।
इस प्रशिक्षण केंद्र को पर्यटन से जोड़ने की कवायद चल रही है। जहां पहुंचकर आप न सिर्फ मधुमक्खियों के बीच समय गुजार पाएंगे, बल्कि फूलों पर मंडराने की गतिविधि भी आपको बेहद रोमांचित करेगी। नैनीताल में ठहरकर आधे घंटे की दूरी तय कर टैक्सी और निजी वाहन से यहा पहुंचा जा सकता है। हल्द्वानी से नैनीताल आते समय भी आप यहां कुछ समय ठहर सकते हैं।
ऐसे पहुंचें नैनीताल
नैनीताल पहुंचने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है। पंतनगर से नैनीताल के लिए नियमित बस और टैक्सी मिलती रहती हैं। इसके अलावा काठगोदाम आखिरी रेलवे स्टेशन है। काठगोदाम से नैनीताल की दूरी 36 किमी है।