ND Tiwari : छात्रसंघ से निकले और देश की राजनीति में छा गए, विवादों से भरा रहा निजी जीवन
ND Tiwari birth anniversary and death anniversary तीन बार उत्तर प्रदेश और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री व कई बार केन्द्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी राजनीतिक जीवन में जितने सफल रहे उनका निजी निजी जीवन उतना ही विवादों में रहा।
By Jagran NewsEdited By: Skand ShuklaUpdated: Tue, 18 Oct 2022 10:11 AM (IST)
हल्द्वानी, स्कंद शुक्ल : ND Tiwari Personal And Political Life : दशकों तक भारतीय राजनीति की धुरी बने रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी की आज जयंती और पुण्यतिथि दोनों है। तिवारी का राजनीतिक जीवन जितना सफल रहा, निजी जीवन उतना ही विवादों से भरा हुआ। उज्ज्वला शर्मा ने जब उन्हें अपने बेटे रोहित शेखर का बायोलॉजिकल पिता कहा तो शुरुआती दिनों में उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया। उसी दौरान रोहित शेखर ने एक बार कहा था, मैं उनका अवैध बेटा नहीं वह मेरे अवैध पिता हैं। चलिए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी अहम बातें।
असहयोग आंदोलन के दौरान पिता ने छोड़ दी थी नौकरी
एनडी तिवारी (ND Tiwari birth anniversary) का जन्म 18 अक्टूबर, 1925 को नैनीताल के बलूती गांव में हुआ था और निधन 18 अक्टूबर 2018 (ND Tiwari Death Anniversary) को। पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अफसर थे, जिन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान नौकरी छोड़ दी थी। तिवारी हलद्वानी, बरेली और नैनीताल के अलग-अलग स्कूल-कॉलेजों में पढ़े।1947 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने
तिवारी राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के जरिए आए. ब्रिटिश-विरोधी चिट्ठियां लिखने की वजह से 14 दिसंबर 1942 को अरेस्ट हुए और नैनीताल की उसी जेल में भेजे गए, जहां उनके पिता पहले से बंद थे. 15 महीने बाद रिहा हुए, तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां से आगे की पढ़ाई जारी रखी. 1947 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. 1945-49 के बीच ऑल इंडिया स्टूडेंट कांग्रेस के सेक्रेटरी रहे।
नैनीताल से बने पहली बार विधायक
एनडी तिवारी आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में 1952 में पहली बार हुए चुनाव में प्रजा समाजवादी पार्टी के टिकट पर नैनीताल से चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। 1957 में फिर नैनीताल से चुनाव जीते और असेंबली में नेता प्रतिपक्ष बने। 1963 में कांग्रेस में शामिल हुए । फिर काशीपुर से विधायक बने और यूपी सरकार में मंत्री बने। 1968 में नेहरू युवा केंद्र की स्थापना की, जो एक वॉलंटरी ऑर्गनाइजेशन है। 1969 से 1971 के बीच इंडियन यूथ कांग्रेस के पहले अध्यक्ष रहे।
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