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Neem Karoli Baba: जानिए विराट कोहली कैसे बने नीम करौली बाबा के भक्त, बाबा के चमत्कार के किस्से; ऐसी रही यात्रा

Neem Karoli Baba उत्तराखंड के कैंची धाम की ख्याति देश से लेकर विदेश तक में है। कैंची धाम के संस्थापक बाबा नीम करौली हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे। उन्हें हनुमान का अवतार भी कहा जाता था। इन्ही बाबा नीम करौली के भक्त क्रिकेटर विराट कोहली भी हैं।

By Swati SinghEdited By: Swati SinghUpdated: Thu, 15 Jun 2023 11:55 AM (IST)
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जानिए विराट कोहली कैसे बने नीम करौली बाबा के भक्त, बाबा के चमत्कार के किस्से

नैनीताल, जागरण डिजिटल डेस्क। कंबल वाले बाबा... कैंची धाम वाले बाबा.. अलग अलग नामों से नीम करौली बाबा देश भर में विख्यात हैं। उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम में दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर रोज पहुंचते हैं। नीम करौली बाबा के भक्त तो भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली भी है। विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई।

न सिर्फ विराट कोहली बल्कि कंबल वाले बाबा को मानने वाले विदेशी भी हैं। एक समय ऐसा भी था जब कैंची धाम में आकर रुकने से मार्क जुकरबर्ग को राह मिल गई थी। तो आईए जानते हैं बाबा नीम करौली के बारे में।

यूपी में जन्मे बाबा थे हनुमान के भक्त

नीम करौली बाबा का नाम सुनते ही उनके भक्त एक अलग दुनिया में पहुंच जाते हैं। उनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा एक हिंदू गुरु थे और वह भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे। उनके अनुयायी उन्हें महाराज-जी के रूप में बुलाते थे। लक्ष्मण नारायण शर्मा का विवाह उनके परिवार वालों ने मात्र 11 साल की उम्र में करा दिया था।

बार-बार गृहस्थ जीवन त्यागने की उन्होंने कोशिश की लेकिन परिवार के दबाव में अपने परिवार के साथ ही रहे। नीम करौली बाबा के दो बेटे और एक बेटी है। डायबिटीज कोमा में चले जाने के बाद 11 सितंबर 1973 को वृंदावन के एक अस्पताल में नीम करोली बाबा की मृत्यु हो गई थी।

दोस्त के साथ मिलकर की कैंची धाम की स्थापना

बाबा को 17 साल की आयु में ही ज्ञान-विद्या की प्राप्ति हो गई थी। वह यूपी से देवभूमि उत्तराखंड आ गए। उन्होंने यहां एक आश्रम की स्थापना की, जिसका नाम है कैंची धाम। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया।

इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करोली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। यहां आपको हर दुकान पर कंबल मिलेगा, क्योंकि बाबा नीम करौली कंबल ही ओढ़ कर अक्सर रहते थे। ये कंबल उनको कैंची धाम में चढ़ाया भी जाता है।

इन हस्तियों ने टेका बाबा के सामने मत्था

आप भले ही विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के यहां जाने के बाद इन बाबा से परिचित हुए हों, लेकिन बाबा नीम करौली को मानने वाली कई ऐसी हस्तियां हैं जिनका नाम सुनकर आप अचंभित होंगे। बाबा के पास साल 1974 में स्टीव जॉब्स अपने दोस्त डैन कोट्टके के साथ पहुंचे थे। वह उस दौरान हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए भारत आए थे।

स्टीव जॉब्स से प्रेरित होकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2015 में बाबा नीम करौली के कैंची धाम आश्रम पहुंचे थे। उस वक्त फेसबुक की हालत ठीक नहीं थी, लेकिन बाबा के आश्रम में रुकने के बाद उन्होंने सफलता के नए आयाम लिखे। इसके अलावा, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी उनसे प्रभावित हैं।

बाबा नीम करौली के चमत्कारी किस्से

जब रोक दी थी ट्रेन- बाबा नीम करौली के चमत्कार ने लोगों को उनकी शक्तियों में विश्वास करना सिखाया। बाबा की शक्तियों को लोहा खासकर तब लोगों ने माना, जब एक बार ट्रेन से यात्रा कर रहे बाबा को टिकट न होने पर टिकट कलेक्टर ने ट्रेन रुकवा कर उन्हें नीचे उतार दिया। इसके बाद जो हुआ उसने सभी को हिला दिया। बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद ट्रेन दोबारा चालू नहीं हो सकी। इसके बाद जब कुछ लोगों ने बाबा को वापस ट्रेन में बुलाने के लिए कहा, तो बाबा ने शर्त रखी कि रेलवे साधुओं का सम्मान करे और जिस जगह बाबा उतरे हैं, वहां एक रेलवे स्टेशन बनवाया जाए। इसके बाद वह ट्रेन में चढ़े, जिसके बाद ट्रेन तुरंत चालू हो गई। इसके बाद वहां रेलवे स्टेशन बना, जिसका नाम है नीम करौली स्टेशन।

जब शिप्रा का पानी बना घी- एक किस्सा और है जब शिप्रा का पानी घी में बदल गया। बाबा नीम करौली के धाम ‘कैंची धाम’ में अक्सर भंडारा चलता है एक बार भंडारे के लिए घी की कमी हो गई। सभी बाबा के पास पहुंचे और उन्हें भंडारे में घी कम पड़ने की समस्या बताई। बाबा ने भोजन में घी के बजाय शिप्रा का जल डालने की बात कही। बाबा के सेवकों ने ऐसा ही किया। फिर क्या था ये जल घी में परिवर्तित हो गया।

कैसे पहुंचे कैंची धाम और कितना आएगा खर्चा

बाबा नीम करौली जाने के लिए आप उत्तराखंड के काठगोदाम जाएं। यहां तक तक जाने के लिए उत्तर रेलवे की नियमित ट्रेनें चलती हैं। यहां से कैंची धाम आश्रम पहुंचने के लिए दो घंटे की यात्रा कर बस या कार से पहुंचा जा सकता है। 1400 से 1500 तक में बस की टिकट आपको मिल जाएगी। इसके साथ ही होटल भी आपको सीजन के हिसाब से बजट में मिल जाएंगे। आप डायरेक्ट कैंची धाम भी जा सकते है या फिर नैनीताल से कैंची धाम भी आ सकते हैं। नैनीताल से कैंची धाम का रास्ता मात्र एक घंटे से तय किया जा सकता है।

इसके अलावा आप उत्तराखंड के हल्द्वानी बस से जा सकते हैं। वहां से बस या फिर शेयरिंग टैक्सी से कैंची धाम जा सकते हैं। 200 रुपये शेयरिंग और करीब 600 से 700 में टैक्सी करने आप कैंची धाम जा सकते हैं। यहां आस पास ही आपको होटल मिल जाएंगे।

बाबा नीम करौली से जुड़े सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न- नीम करौली बाबा क्यों प्रसिद्ध हैं?

उत्तर-नीम करौली बाबा लोकप्रियता ना केवल देश में बल्कि विदेशों तक में फैली हुई है। दुनिया भर के लोग नीम करौली बाबा के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। कंबल पहने हुए बाबा के चमत्कारों के चलते उन्हें भगवान हनुमान का अवतार भी माना जाता है।

प्रश्न- नीम करौली बाबा आश्रम में क्या करें?

उत्तर-अगर आप शांति और धर्म की खोज में निकले हैं तो कैंची धाम आपके लिए सबसे सही है। । आश्रम की रसोई में शुद्ध शाकाहारी भोजन बनता है। आश्रम में प्रतिदिन सुबह और शाम की प्रार्थना भी होती है।

प्रश्न-कैंची धाम कब जाना चाहिए?

उत्तर- वैसे तो भक्त बाबा से आशीर्वाद पाने के लिए यहां आते रहते हैं लेकिन हर साल 15 जून को कैंची धाम में विशेष भंडाल और मेला लगता है। इसी दिन कैंची धाम की स्थापना की गई थी। आज के दिन भी भक्त सुबह से ही लम्बी कतारों में दर्शन करने के लिए लगे हुए थे।

प्रश्न- कैंची धाम के बारे में क्या खास है?

उत्तर- कैंची धाम नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर एक सुंदर आश्रम है। यह आश्रम नेचर के बीच में स्थित है। प्रकृति के बीच में अध्यात्म का पड़ाव आपको यहां मिलेगा। इस आधुनिक तीर्थ स्थल की स्थापना साठ के दशक के संत नीम करौली बाबा ने की थी।

प्रश्न- क्या स्टीव जॉब्स नीम करौली बाबा से मिले थे?

उत्तर- इसाकसन बताते हैं कि यह कैसे हुआ। उन्होंने कहा कि परमहंस योगानंद हिमालय की तलहटी में नैनीताल के पास एक गाँव में ट्रेन और बस से गए थे। यही वह जगह थी जहाँ नीम करौली बाबा रहते थे, या रह चुके थे। जब तक जॉब्स वहाँ पहुँचे, तब तक वे जीवित नहीं थे।

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