Move to Jagran APP

नेपाल दिखा रहा भारत को आइना, जानिए कैसे सीमा की सुरक्षा में पीछे हुआ देश

क्षेत्रफल से लेकर हर बात में नेपाल भारत से काफी कमतर है, लेकिन सीमा पर जो हो रहा है उसमें नेपाल भारत को आइना दिखा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 09 Dec 2018 08:10 PM (IST)
Hero Image
नेपाल दिखा रहा भारत को आइना, जानिए कैसे सीमा की सुरक्षा में पीछे हुआ देश
पिथौरागढ़, जेएनएन : क्षेत्रफल से लेकर हर बात में नेपाल भारत से काफी कमतर है, लेकिन सीमा पर जो हो रहा है उसमें नेपाल भारत को आइना दिखा रहा है। नेपाल में तिब्बत सीमा तक मोबाइल फोन बजते हैं तो भारत में तवाघाट से आगे जाते ही कोई संचार माध्यम नहीं है। दोनों देशों के बीच बहने वाली काली नदी दोनों देशों को त्रास दिखाती है बचाव के लिए नेपाल ने पांच साल के बीच काली नदी किनारे भारत से आधे मीटर ऊंचे तटबंध तो बना ही दिए साथ ही तटबंधों का दोहरा उपयोग कर उसके ऊपर सड़क बना कर भारत को आइना दिखाया है।

आज से साढ़े पांच वर्ष पूर्व 16 जून 2013 को हिमालयी सुनामी ने काली नदी किनारे भारत और नेपाल को हिला दिया था। सीमांत में काली नदी किनारे स्थित भारत का धारचुला और नेपाल का दार्चुला बाल-बाल बचे थे। नेपाल के दार्चुला टाउन तो भारत नेपाल को जोड़ने वाले झूला पुल के पास एक चट्टान से बच गया, जबकि यहां पर नदी तट से ही भवन बने हैं। भारत में नदी तट से सात आठ मीटर दूर मकान हैं। इसके बाद दोनों देशों ने सुरक्षा के लिए तटबंधों का निर्माण किया। भारत में टुकड़ों में कुछ सौ मीटर ही तटबंध बन पाए और नेपाल ने काली नदी किनारे चार  किमी से भी अधिक तटबंध बना दिए।

नेपाल में 4 किमी तो भारत में 50 मीटर में चलते हैं वाहन

धारचूला और दार्चुला नगरों के बीच काली नदी बहती है। काली नदी के कटाव से रोकने को बने तटबंधों के पास फिलिंग कर नेपाल में चार किमी सड़क में वाहन चलने लगे हैं। झूलापुल के पास से भारत में मात्र 50 मीटर में ही वाहन चल पाते हैं। इधर पुल से लेकर घटखोला नाले के पास तक फिलिंग कर पचास मीटर को वाहन चलने के लिए बनाया गया है। जो बरसात में बंद हो जाता है।

नेपाल में आरसीसी तो भारत में सीमेंट

अपने क्षेत्र को बचाने के लिए भारत और नेपाल की सोच का अंतर तटबंधों में नजर आता है। दोनों स्थान संकरे हैं तो नेपाल ने दोहरे फायदे के लिए तटबंधों का निर्माण किया। तटबंध आरसीसी वाले हैं। ऊपर से फिलिंग कर इसे रोड बना दी। भारत में केवल कटाव रोकने का कार्य किया गया। जिसके लिए आरआर का कार्य या फिर सीमेंट का कार्य हुआ। भारत में तटबंधों की ऊंचाई 7.5 मीटर है नेपाल में ऊंचाई आठ मीटर है। भारत में बने तटबंधों की लंबाई मात्र 1385 मीटर है नेपाल में चार किमी है।

 

सहमे रहते हैं धारचूलावासी

नेपाल में आरसीसी से बने भारत से ऊंचे तटबंध भारत के धारचूलावासियों की नींद उड़ा चुके हैं। मजबूत तटबंधों के अलावा नेपाल की तरफ चट्टान भी है। भारत में तटबंध तो कमजोर हैं ही साथ में बचाव को कोई चट्टान नहीं हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एवं रं कल्याण संस्था के संरक्षक एनएस नपलच्याल का कहना है कि पूरा धारचूला नगर बालू के ढेर में है। जिसे देखते हुए सुरक्षा के ठोस उपाय होने चाहिए। शनिवार को हैलीकॉप्टर से नेपाल में बने तटबंधों को देख कर सीएम त्रिवेंद्र रावत भी प्रभावित थे उन्होंने भी भारत में खोतिला से धारचूला , आर्चर से कुमाऊं स्काउट तक तटबंध निर्माण की घोषणा की है।

सुरक्षा के साथ सड़क का भी प्रावधान

इं. पीके दीक्षित, तटबंध निर्माण कर चुके सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता ने बताया कि नेपाल में बने तटबंध आरसीसी के हैं। वहां पर सुरक्षा के साथ सड़क का भी प्रावधान था। भारत में कटाव रोकने को तटबंध बने हैं। भारत में इस तरह के आरसीसी का कार्य केवल हाइड्रो प्रोजेक्ट वाले क्षेत्र में होता है। पूरे तटबंध निर्माण के बाद यदि फिलिंग की जाए तो भारत में भी काली नदी किनारे सड़क बन सकती है।

यह भी पढ़ें : यह प्रतियोगिता किसानों को जोड़े रखेगी खेती से, जानिए क्‍या है खासियत

यह भी पढ़ें : डॉ. बिष्‍ट इस तरह से संवार रहे बच्‍चों का भविष्‍य, गरीबों का भी करते हैं मुफ्त इलाज

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।