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Covid-19 : नेपाल 13 मई तक नहीं खोलेगा अंतरराष्ट्रीय सीमा, भारत में फंसे नागरिकों की मुश्किलें बढ़ींं

भारत के साथ रोजी-रोटी का संबंध निभाने वाले नेपाल ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सात मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 27 Apr 2020 09:24 PM (IST)
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Covid-19 : नेपाल 13 मई तक नहीं खोलेगा अंतरराष्ट्रीय सीमा, भारत में फंसे नागरिकों की मुश्किलें बढ़ींं
पिथौरागढ़, जेएनएन : भारत के साथ रोजी-रोटी का संबंध निभाने वाले नेपाल ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सात मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है। नेपाल सरकार के प्रवक्ता डाॅ युवराज खतिवडा ने बताया है कि 26 अप्रैल को मंत्रिपरिषद द्वारा नेपाल में लॉकडाउन की अवधि सात मई तक बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा को 13 मई तक और हवाई सेवा 15 मई तक बंद रखा जाएगा। नेपाल के तीसरे लॉकडाउन के बाद भारत में फंसे नेपाली नागरिकों के वतन वापसी की आस एक बार फिर टूटती नजर आ रही है। नेपाल में लॉकडाउन का यह तीसरा चरण है। पूर्व में ही नेपाल सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक नेपाल में लॉकडाउन की अवधि पूरी नहीं हो जाती है तब तक किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

नेपाल में 24 मार्च से जारी है लॉकडाउन

भारत में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च से संपूर्ण लॉकडाउन किया गया है। इस समय यहां लॉकडाउन का सेकेंड फेज चल रहा है। वहीं नेपाल सरकार ने भी शुरुआत में कोरोना संक्रमण के दो मामलों की पुष्टि के बाद 24 मार्च से पूरे देश लॉकडाउन कर दिया है। वहीं अब नए केस सामने आने के बाद से लॉकडाउन की अवधि को निरंतर बढ़ाया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नेपाल में अब तक कुल 52 मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हाे चुकी है, जबकि 16 मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। अच्छी बात है कि अब नेपाल में कोरोना से अब तक कोई मौत नहीं हुई है। भारत से नेपा के चार राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और सिक्किम की सीमा लगती है। भारत में बड़ी तादाद में नेपाली नागरिक रोजगार के चक्कर में निवास करते हैं।

उत्तराखंड में फंसे है 1500 नेपाली नागरिक

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ व चम्‍पावत जिले में करीब 1500 नेपाली नागरिक फंसे हुए हैं। भारत और नेपाल में अचानक से लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से वतन वापसी की उम्मीद में पहुंचे नागरिक बाॅर्डर सील होने के कारण फंस गए। पिथौरागढ़ व चम्‍पावत के राहत शिविरों में करीब 1500 नागरिक रह रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ही उनके खाने-पीने का प्रबंध कर रहा है। फिलहाल नेपाली नागरिकों को लेने के संदर्भ में अभी तक नेपाल प्रशासन ने कुछ भी स्प्ष्ट नहीं किया है। वहीं लाॅकडाउन बढ़ने के बाद से नेपाली नागरिकों को एक बार फिर निराश होना पड़ा है।

नेपाली नागरिकों की दूतावास कर रहा मदद

दिल्ली में मौजूद नेपाल दूतावास में कन्सुलर हरि प्रसाद ओडारी ने पिछले दिनों कहा था कि, लॉकडाउन के दौरान किसी को भी यात्रा करने की अनुमति नहीं है, इसलिए लोगों को वहीं रहना चाहिए जहाँ वो हैं। दूतावास उनके रहने और खाने की व्यवस्था करने में उनकी मदद करेगा। उन्होंने बताया कि दूतावास ने कहा है कि उन्हें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई, पुणे, पंजाब, बेंगलुरु, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, कुल्लू-मनाली समेत कई जगहों से फ़ोन आ रहे हैं। हम भारत सरकार, प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर लोगों की पूरी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण जिन लोगों की नौकरियां चली गई हैं और जो लोग फंसे हुए हैं उनके बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए दूतावास के अधिकारी भारत सरकार के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।

नदी और जंगल से नेपाल भागने की कोशिश

लॉकडाउन के कारण पिथाैरागढ़ में झूला पुल बंद होने से फंसे नेपाली मजदूरों द्वारा नदी और जंगल पार कर घुसने की कोशिश करने की खबरें सामने आती रहीं। पिछले दिनों नौ मजदूर पुलिस को चकमा देकर काली नदी पारकर नेपाल जाने में सफल रहे। सभी को नेपाल में क्वारंटीन कर दिया गया है। वहीं कुछ लोगों ने ट्यूब के सहारे नदी पार करने की भी कोशिश की। इस दौरान बहुत सारे लोग भागने में सफल रहे तो बहुत से पकड़े भी गए। नेपाली नागरिकों को भागने में मदद करने वालों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया।

सतपाल महाराज भी लगा चुके हैं गुहार

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी नेपाली नागरिकों को भेजने के लिए केन्द्र सरकार से गुहार लगा चुके हैं। उन्होंने पिथौरागढ़ और चंपावत में लॉकडाउन के कारण फंसे नेपाल के करीब 1500 लोगों को उनके देश भेजने की कोशिश की। लेकिन नेपाल सरकार द्वारा उनके ही देश में उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। ऐसे में इन लोगों के सामने अब भुखमरी का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने केंद्रीय गृहराज्य मंत्री को अनुरोध किया गया कि इन सभी लोगों को लॉकडाऊन खुलने या इससे पूर्व ही नेपाल भेजे जाने की व्यवस्था की जाए अन्यथा इस क्षेत्र में अराजकता के साथ-साथ संक्रमण बढ़ने का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।

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