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रेड व ऑरेंज कैटेगरी के बड़े व मझोले उद्योगों पर एनजीटी सख्त

एनजीटी ने कहा है कि क्यों न प्रदेश के ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले रेट और ऑरेंज कैटेगरी में आने वाले उद्योगों की नई इकाई लगाने पर रोक लगा दी जाए।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 31 Aug 2019 05:25 PM (IST)
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रेड व ऑरेंज कैटेगरी के बड़े व मझोले उद्योगों पर एनजीटी सख्त
दीपक शर्मा, काशीपुर (ऊधमसिंह नगर)। रेड व ओरेंज कैटेगरी में आने वाले बड़े व मझोले उद्योगों पर एनजीटी सख्त हो गया है। एनजीटी ने कहा है कि क्यों न प्रदेश के ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले रेट और ऑरेंज कैटेगरी में आने वाले उद्योगों की नई इकाई लगाने पर रोक लगा दी जाए। यह आदेश औद्योगिक क्षेत्रों के लिए है या पूरे जिले के लिए। इसी असमंजस को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुख्यालय द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र भेजकर स्थिति साफ करने की मांग की है। एनजीटी के इस आदेश से बड़े और मझोले उद्योगों की नई इकाई लगाने पर तलवार लटक गई है।

वर्ष 2018 में सीपीसीबी (सेंट्रल पॉल्यूसन कंट्रोल बोर्ड) द्वारा देश के औद्योगिक क्षेत्रों में पॉल्यूशन की स्थिति मापने के लिए एक सर्वे किया गया था। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सीईपीआइ (कॉम्प्रीहेंसिव एन्वायरनमेंटल पॉल्यूशन इंडेक्स) में देश के 100 जिलों में से ऊधमङ्क्षसह नगर को 13वें स्थान पर रखा गया है। ऊधमङ्क्षसह नगर को 81.26 सीईपीआइ स्कोर मिला है। जबकि हरिद्वार को 55.03 स्कोर के साथ 78वें स्थान पर रखा गया है। देश में महाराष्ट्र का तारापुर जिला 93.69 सीईपीआइ स्कोर के साथ पहले स्थान पर है। एनजीटी ने रिपोर्ट के आधार पर 10 जुलाई 2019 को आदेश पारित कर कहा है कि क्यों न रेड और ओरेंज कैटेगरी में आ रहे उद्योगों की नई इकाइयों को लगाने पर रोक लगा दी जाए। एनजीटी के इस आदेश से बाहर से यहां आकर उद्योग लगाने की योजना तैयार कर चुके उद्यमियों को तगड़ा झटका लग सकता है। हालांकि ऊधमङ्क्षसह नगर जिले में रुद्रपुर, काशीपुर और सितारगंज तीन इंडस्ट्रीयल एरिया हैं। जबकि हरिद्वार जिले में चार इंडस्ट्रीयल एरिया हैं। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थिति साफ करने के लिए पत्र लिखा है। हालांकि एनजीटी ने आदेश पर पांच सितंबर 2019 तक एक्शन प्लान देने के लिए भी आदेशित किया है। 

पूर्व में लगे उद्योगों का नहीं हो पाएगा एक्सटेंशन

एनजीटी के इस आदेश से रेड व ओरेंज कैटेगरी में आने वाले पूर्व में लगाई जा चुके उद्योगों के एक्सटेंशन पर भी संकट के बादल छा गए हैं। इन कैटेगरी में आने वाली अधिक पॉल्यूशन फैलाने वाली इकाइयों का भी एक्सटेंशन नहीं हो पाएगा। हालांकि ग्रीन कैटेगरी में आने वाले छोटे उद्योगों को इससे अलग रखा गया है। केजीसीसीआइ अध्यक्ष अशोक बंसल का कहना है कि एनजीटी को समग्र रूप से देखना चाहिए। प्रदेश के 13 में से तीन जिलों में ही उद्योग लग सकते हैं। भौगोलिक स्थिति को देखते हुए एनजीटी का यह आदेश पहाड़ी प्रदेश के हिसाब से सही नहीं है। इससे उद्योग जगत के साथ ही प्रदेश की आॢथक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। अनुराग नेगी, क्षेत्रीय अधिकारी, पीसीबी ने बताया कि एनजीटी का आदेश मिला है। रेड और ओरेंज कैटेगरी में आने वाले उद्योगों की नई इकाई लगाने पर बढ़ते प्रदूषण के कारण क्यों न रोक लगा दी जाए यह कहा गया है। हालांकि ऊधमङ्क्षसह नगर और हरिद्वार लिखा है, जबकि दोनों जिलों में तीन और चार औद्योगिक क्षेत्र हैं। इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को स्थिति स्पष्ट करने के लिए पत्र भेजा गया है। हालांकि एनजीटी ने आदेश के एक्शन प्लान की तिथि पांच सितंबर 2019 नियत की है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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