अल्मोड़ा में हादसे के बाद ओवरलोडिंग मामले में अब एक्शन में सरकार, क्षमता से ज्यादा सवारी या माल ढुलाई की तो खैर नहीं...
परिवहन आयुक्त की ओर से HC में पेश सर्कुलर में अधीनस्थों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वाहन में क्षमता से अधिक माल को उतारा जाए या वाहनों में निर्धारित क्षमता के अनुसार ही सवारियां बैठाई जाएं। इस संबंध में SC व HC के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। हाई कोर्ट में अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से परिपत्र पेश किया गया।
किशोर जोशी, नैनीताल। अल्मोड़ा के मार्चूला क्षेत्र में भीषण बस हादसे के बाद अब ओवरलोडिंग पर अंकुश को सरकारी तंत्र एक्शन मोड में आ गया है। परिवहन आयुक्त की ओर से हाई कोर्ट में पेश सर्कुलर में अधीनस्थों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वाहन में क्षमता से अधिक माल को उतारा जाए या वाहनों में निर्धारित क्षमता के अनुसार ही सवारियां बैठाई जाएं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
हाई कोर्ट में मंगलवार को अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से यह परिपत्र पेश किया गया। दरअसल पिछले साल हाई कोर्ट में गगन पराशर बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य में पारित आदेशों के अनुपालन में परिवहन आयुक्त की ओर से प्रदेश के समस्त प्रवर्तन अधिकारियों को निर्देश निर्गत किये गए थे।भार वाहनों में क्षमता से अधिक भार लाद कर चलने वाले वाहनों के विरुद्ध मोटरयान अधिनियम, 1988 (यथा संशोधित अधिनियम, 2019) के सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत प्रवर्तन की कार्रवाई करते हुए जुर्माना अधिरोपित करने को कहा गया है।
क्षमता से अधिक भार को उतारा जाय और माल को उतारने में हर्जे खर्चे की जिम्मेदारी वाहन स्वामी की होगी। उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करना सुनिश्चित करें। सवारी वाहनों में परमिट के अनुसार ही निर्धारित सीटों पर यात्री बैठाए जाएं।यहां उल्लेखनीय है कि खनन वाहनों में 108 कुंतल से अधिक खनन सामग्री के परिवहन पर रोक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि ओवरलोड माल उतारने के बाद ही वाहन को आगे जाने की अनुमति प्रदान की जाए। यह सर्कुलर परिवहन आयुक्त की ओर से 25 अक्टूबर को जारी किया गया है, जिसे मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया।
ओवरलोड बस हादसे से लिया सबक
अल्मोड़ा सल्ट के कूपी के पास अनियंत्रित होकर खाई में गिरी बस। जागरण
नैनीताल: अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में हादसे की शिकार बस में निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी बैठे थे। इंटरनेट मीडिया में पहाड़ी इलाकों में सड़कों की खराब हालत तथा वाहनों की ओवरलोडिंग को लेकर इंटरनेट मीडिया में बहस छिड़ी है। उत्तराखंड के साथ ही प्रवासी उत्तराखंडी इस हादसे से गमगीन हैं और सरकार पर सख्त कार्रवाई का दबाव भी है। ऐसे में सरकार की ओर से पेश परिपत्र को कड़े एक्शन उठाने की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली के अनुसार मोटरयान अधिनियम सवारी तथा माल वाहनों के लिए एक ही है। सरकार का सर्कुलर सवारी तथा यात्री दोनों वाहनों पर समान रूप से लागू होगा।
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