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coronavirus : जाने अमेरिका के चलते भारत के नेशनल पार्क और चिड़ि‍याघर में क्यों हुआ अलर्ट

अमेरिका के एक चिड़ियाघर में बाघ के कोरोना संक्रमित मिलने के बाद उत्तराखंड समेत देशभर में अलर्ट जारी हो चुका है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 07 Apr 2020 07:50 AM (IST)
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coronavirus : जाने अमेरिका के चलते भारत के नेशनल पार्क और चिड़ि‍याघर में क्यों हुआ अलर्ट
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : अमेरिका के एक चिड़ियाघर में बाघ के कोरोना संक्रमित मिलने के बाद उत्तराखंड समेत देशभर में अलर्ट जारी हो चुका है। सेंट्रल जू ऑथोरिटी के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी एनटीसीए ने गाइडलाइन जारी कर दी। राष्ट्रीय पार्क, रिज़र्व फॉरेस्ट से लेकर सभी चिड़ियाघरों में बाघों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। वैसे तो जू, राष्ट्रीय पार्क के अलावा फॉरेस्ट गेस्टहाउस में इस समय एंट्री पर बैन है, लेकिन फिर भी महकमा किसी भी चूक से बचना चाहता है। क्योंकि छोटी सी लापरवाही जंगल के पूरे सिस्टम को खतरे में डाल सकती है। निगरानी को कैमरा ट्रेप का सहारा लिया जाएगा।

वन विभाग के अफसरों के मुताबिक न्यूयार्क के एक चिड़ियाघर का बाघ संक्रमित निकला। संभावना है कि इंसानी दखल ने ही उस तक यह बीमारी पहुँचाई होगी। जिसके मद्देनजर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने सभी राज्यों के चिड़ियाघर को आदेश जारी किए कि बाघ की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाए। परिसर और बाड़े में घूमते वक्त बाघ की गतिविधियों को चेक किया जाए। इसके बाद एनटीसीए ने भी सभी राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र भेजा है। जिसमें कहा गया कि रिज़र्व फॉरेस्ट के साथ कार्बेट, राजाजी और अन्य नेशनल पार्क की सुरक्षा बढ़ाई जाए।

वहीं, कोरोना को लेकर फिलहाल देश के कहीं भी बाघ के संक्रमित होने का मामला सामने नहीं आया। मगर जिस तरह यह बीमारी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जंगल अलर्ट बेहद जरूरी है। वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि सेंट्रल जू ऑथोरिटी के बाद एनटीसीए ने भी गाइडलाइन जारी कर दी है। 105 कैमरों के साथ वेस्टर्न सर्किल में निगरानी का सिलसिला शुरू हो चुका। मामला गंभीर है। कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी।

वेस्टर्न सर्किल में 105 कैमरे लगाए

कुमाऊं की पांच डिवीजन में 105 कैमरे लगाकर बाघों की मॉनीटरिंग का प्रयास किया जा रहा। हल्द्वानी, तराई केंद्रीय, तराई पूर्वी, तराई पश्चिमी और रामनगर डिवीजन इस सर्किल के तहत आती है। ट्रैपिंग में अगर किसी बाघ का व्यवहार बदला नजर आएगा तो उसकी प्रोटेक्शन बढ़ाई जाएगी। साथ में उपचार को लेकर भी प्रयास किए जाएंगे।

एनटीसीए की गाइडलाइन

फॉरेस्ट के मुताबिक अगर इस बीच किसी भी बाघ, हाथी या गुलदार की मौत होती है तो पोस्टमार्टम के लिए जंगल जाने वाली चिकित्सकों की टीम सुरक्षा किट के साथ जाएगी। जंगल में गश्त को जाने वाले वनकर्मी भी स्वास्थ्य परीक्षण करवाएंगे। इसके अलावा मानव-वन्यजीव संघर्ष के दौरान बाघ को रेस्क्यू करते हुए भी संक्रमण बचाव से जुड़ी सावधानी बरती जाए।

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