पक्षी प्रेमियों के लिए खुशखबरी, रानीखेत में बढ़ा चकोर पक्षी का कुनबा
बर्ड वॉचिंग का गढ़ बन रहे रानीखेत के बाशिंदे मयूर (मोर) कुल के इस सुंदर पक्षी चकोर से प्रेम की भाषा सीख उन्हें चांद के प्रति एकतरफा प्यार लुटाने के लिए संरक्षित भी कर रहे।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 03 Jan 2019 08:40 PM (IST)
रानीखेत, दीप सिंह बोरा : 'चंदा की चकोरी..' प्रेमरस से लबरेज गीतकारों का चकोर हो या भक्तिरस में भीगे 'श्याम चंदा की श्यामा चकोरी', प्रणय के प्रतीक चकोर कवियों के रचना संसार को भी महकाता रहा है। सुखद पहलू यह कि कभी शिकारियों के निशाने पर रहे इस 'प्रेम पुजारी' का कुनबा हिमालयी राज्य में धीरे धीरे विस्तार ले रहा।
खास बात कि पक्षी प्रेमियों के लिए बर्ड वॉचिंग का गढ़ बन रहे पर्यटन नगरी रानीखेत के बाशिंदे मयूर (मोर) कुल के इस सुंदर पक्षी से प्रेम की भाषा सीख उन्हें चांद के प्रति एकतरफा प्यार लुटाने के लिए संरक्षित भी कर रहे। प्रेमरस से भरे गीतों का जिक्र हो या कविताएं। भक्तिरस की धार में भी चकोर को अलग ही महत्व दिया गया है। सारी रात चांद को निहार उसकी चांदनी पर प्यार लुटाने वाले चकोर का अवैध शिकार बढ़ने से इसके अस्तित्व पर संकट छा गया था। मगर अब नव वर्ष की पहली किरण चंदा के चकोर के लिए सुखद अनुभूति लेकर आ रही। पर्यटन नगरी के पक्षी प्रेमियों व बर्ड वॉचरों ने इसके संरक्षण का जो बीड़ा उठाया है, वह प्रणयगीतों की इस धुरी का कुनबा बढ़ा मानव व पक्षी प्रेम की नई पटकथा भी लिखेगा।
संरक्षण को रोज हो रही निगरानी
अवैध शिकार के कारण अस्तित्व बचाने को जूझ रहे चकोर को बचाने के लिए पर्यटन नगरी के पक्षी प्रेमियों ने निगरानी बढ़ा दी है। बर्ड वॉचर पूर्व हॉकी खिलाड़ी धीरेंद्र सिंह बिष्ट, कमल गोस्वामी, दीपक वर्मा आदि ने बाकायदा सुबह व शाम चकोर बहूल इलाकों को चिह्नित कर संरक्षण की मुहिम तेज कर दी है। साथ ही कैमरे में कैद कर इनका रिकॉर्ड भी तैयार करने में जुटे हैं। बर्ड वॉचर कहते हैं, जगह जगह जायजा लेकर चकोर के परिवारों की हिफाजत कर रानीखेत से पक्षी प्रेम का संदेश दे इसे बर्ड वॉचिंग का खास आकर्षण बनाया जाएगा।
कभी दो-तीन, अब आठ से दस का झुंड
मानव मित्र चकोर प्राकृतिक रूप से विष की पहचान करने में भी माहिर होता है। किसी दौर में रानीखेत में आसपास के जंगलात में दो-चार ही दिखते थे। मगर पक्षी प्रेमियों की पहल व ग्रामीणों का चकोर के प्रति प्रेम ही कहेंगे कि यह प्रेम पुजारी पक्षी अब आठ से दस के झुंड में आसानी से दिखाई दे रहे। सदस्य स्टेट वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड एवं सुप्रसिद्ध नेचर फोटोग्राफर अनूप साह कहते हैं, अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़ ही नहीं गढ़वाल की पहाडि़यों पर भी चकोर की संख्या कुछ बढ़ी है।अवैध शिकारियों पर होगी सख्ती
अनूप साह, सदस्य स्टेट वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड ने बताया कि रानीखेत के पक्षी प्रेमियों की पहल व ग्रामीणों का जागरूक होना सुखद है। प्रेम व अहिंसा का संदेश देने वाले चकोर को बचाना ही होगा। वैसे अवैध शिकार पर नकेल कसे जाने के बाद चकोर का परिवार विस्तार ले रहा। कह सकते हैं कि संख्या धीरे धीरे बढ़ रही। इसे संरक्षित करना बेहद जरूरी है।यह भी पढ़ें : एनसीईआरटी की किताबें हुईं अनिवार्य, मध्यवर्गीय परिवारों को मिली राहत
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