गुरना के शिक्षक सुभाष जोशी ने वो किया, जो देशभर के शिक्षकों को करना चाहिए
जहां एक तरफ सरकारी विद्यालयों से मोह भंग हो रहा है, वहीं पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से सोलह किमी दूरी पर स्थित राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय गुरना एक नई कहानी लिख रहा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 03 Feb 2019 05:28 PM (IST)
पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : जहां एक तरफ सरकारी विद्यालयों से मोह भंग हो रहा है, वहीं पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से सोलह किमी दूरी पर स्थित राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय गुरना एक नई कहानी लिख रहा है। इस विद्यालय में मजदूर से लेकर अधिकारियों के बच्चे एक साथ पढ़ रहे हैं। चार साल पूर्व बंद होने के कगार पर पहुंचे विद्यालय की छात्र संख्या 189 हो चुकी है। विद्यालय, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और अभिभावकों की पहल से बच्चों के लिए स्कूली बस लगा दी गई है। इसी के साथ यह प्रदेश का ऐसा सरकार स्कूल हो गया है जहां बस से बच्चे स्कूल पहुंचेंगे। स्कूल को इस स्थिति में लाने का पूरा श्रेय जाता है शिक्षक सुभाष चन्द्र जोशी को।
चार वर्ष पूर्व बंद होने के कगार पर था विद्यालय राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय गुरना को इस स्वरूप में लाने का श्रेय विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र जोशी को जाता है। 2015 में सुभाष जोशी इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक नियुक्त हुए। उस समय विद्यालय की छात्र संख्या मात्र 13 थी। विद्यालय बंद होने की कगार पर था और यहां पढऩे छात्र भी नेपाली व अन्य मजदूरों के बच्चे थे। प्रधानाध्यापक ने इस संबंध में स्थानीय अभिभावकों से सम्पर्क कर अपने बच्चों को विद्यालय भेजने का अनुरोध किया। सरकारी शिक्षा की दशा देख कर अभिभावक झिझकते रहे।
संकल्प से कर दिया कायाकल्प प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की दशा सुधारने का संकल्प लिया। मजदूरों के तेरह बच्चों को ही लेकर विद्यालय में अंग्रेजी भी पढ़ाने लगे। 2016 में विभाग ने इस विद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाने की अनुमति देकर इसे आदर्श विद्यालय बना दिया। एक साल के भीतर ही गरीब और मजदूरों के बच्चे अंग्रेजी में बात करने लगे। यह सब देखते हुए स्थानीय अभिभावक आगे आने लगे। छात्र संख्या बढऩे लगी तो सरकारी विद्यालय भवन में बैठने की समस्या खड़ी हो गई। प्रधानाध्यापक ने इस संबंध में बात की। ठेकेदार प्रकाश जोशी और गौरव बिष्ट ने तीन कमरे बनाने का वादा किया। तीन कमरों के निर्माण के लिए प्रधानाध्यापक जोशी ने अपनी तरफ से 85 हजार रु पए दिए।
पब्लिक स्कूल छोड़ कर सरकारी विद्यालय में पढ़ रहे हैं बच्चे पर्याप्त कक्ष बनते ही विद्यालय को नया स्वरू प देने का बीड़ा उठाया। विद्यालय में अपने प्रयासों से कम्प्यूटर उपलब्ध कराए। डिजिटल कक्षाएं संचालित होने लगी। अवकाश के दिन भी अतिरिक्त कक्षाएं चलने लगी जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी की जाने लगी। विभाग से प्रधानाध्यापक सहित पांच शिक्षकों की तैनाती हो गई। 2017 से विद्यालय में प्रवेश बढऩे लगे। विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सहयोग से पूर्व प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिए आपसी सहयोग से मानदेय पर पांच अतिरिक्त शिक्षक तैनात भी किए गए। विण ब्लाक के खंड शिक्षाधिकारी जेएस ज्याला सहित शिक्षकों के बच्चे इसी विद्यालय में पढ़ रहे हैं।
सोलह किमी दायरे के बच्चे आ रहे पढ़ने वर्तमान में सोलह किमी के अंतर्गत आने वाले गांवों के बच्चे इस विद्यालय में पढ़ते हैं। छात्र संख्या 189 हो चुकी है। विद्यालय में छात्र संख्या चार सौ करने का लक्ष्य रखा गया है। विद्यालय में दस किमी दूर से बच्चे पढऩे आते हैं। जिसे देखते हुए बच्चों को बस से लाने ले जाने का निर्णय लिया गया। एसएमसी ने इसकी अनुमति दी। अभिभावकों द्वारा बस की फीस देने की सहमति जताई। जिन बच्चों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है उनके लिए निश्शुल्क प्रावधान किया जाएगा। क्षेत्र के एक पूर्व सैनिक समाज सेवी भवान सिंह द्वारा बीस सीटर नई बस खरीद कर लगा दी गई है। बस के लिए किराया दूरी को देखते हुए 600 से 900 रु पया प्रतिमाह किराया तय किया गया है।
केमू स्टेशन से किया गया बस को रवाना शनिवार को स्कूल बस को नगर के केमू स्टेशन से डीडीओ गोपाल गिरि गोस्वामी , जिला क्रीड़ा अधिकारी संजीव पौरी, श्रम अधिकारी दीपक कुमार ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इस मौके पर प्रधानाध्यापक सुभाष जोशी, शिक्षक दिनेश धानिक, आशा भट्ट, रमेश उपाध्याय, गिरीश भट्ट, समाज सेवी तपन रावत, प्रकाश जोशी, सभासद अनिल मेहरा, राजेंद्र भट्ट आदि उपस्थित थे।
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