कॉर्बेट में बढ़ेगा बाघों का कुनबा, वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भेजी गई रिपोर्ट
कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन बाघों की संख्या का नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में है। जंगल में बाघों को ट्रैप करने के लिए लगाए गए कैमरों में करीब दो लाख फोटो कैद हुए हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 01 Feb 2019 04:30 PM (IST)
नैनीताल जेएनएन : कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन बाघों की संख्या का नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में है। जंगल में बाघों को ट्रैप करने के लिए लगाए गए कैमरों में करीब दो लाख फोटो कैद हुए हैं। वनाधिकारियों ने फोटो का एनालिसिस कर रिपोर्ट उन्हें डब्ल्यूआइआइ (वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया) को भेज दिया है। वनाधिकारियों के मुताबिक कॉर्बेट में बाघों की संख्या 215 से बढ़कर 240 या 250 तक जा सकती है।तीन महीने पहले उब्ल्यूआइआइ ने नेशनल जिम कार्बेट पार्क में यहां के कर्मचारियों की मदद से कैमरा ट्रैप लगाए थे। जनवरी के पहले सप्ताह में तकरीबन छह सौ कमरों की मदद से टैप हुआ डाटा कलेक्ट हुआ। इन कैमरों में तकरीबन दो लाख वन्यजीवों की फोटो कैद हुई थी। एक सप्ताह तक टाइगर सेल में फोटो के एनालिसिस का काम चला। वहीं इस बारे में पार्क के डायरेक्टर ने बताया कि पूरी रिपोर्ट वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भेज दी गई है। इस ट्रैप में कई नए टाइगर डिटेक्ट हुए हैं। उम्मीद है इस बार फिर टाइगरों की संख्या बढ़ जाएगी।
2006 में 150 थी बाघों की संख्या
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में साल दर साल बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2006 में जहां बाघों की संख्या 150 थी वहीं 2010 में 184 और 2014 में 215 दर्ज की गई। लगातार बढ़ रही है कॉर्बेट में बाघों की संख्या
वनमंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण की दिशा में और प्रयास किए जाएंगे। इस बार कैमरा ट्रैप में कॉर्बेट में बाघों का कुनबा बढ़ने की उम्मीद है। कॉर्बेट प्रशासन का कार्य सराहनीय है, इस दिशा में और बेहतर प्रयास किया जाएगा।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में साल दर साल बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2006 में जहां बाघों की संख्या 150 थी वहीं 2010 में 184 और 2014 में 215 दर्ज की गई। लगातार बढ़ रही है कॉर्बेट में बाघों की संख्या
वनमंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण की दिशा में और प्रयास किए जाएंगे। इस बार कैमरा ट्रैप में कॉर्बेट में बाघों का कुनबा बढ़ने की उम्मीद है। कॉर्बेट प्रशासन का कार्य सराहनीय है, इस दिशा में और बेहतर प्रयास किया जाएगा।
डब्ल्यूआइआइ को भेज दी है रिपोर्ट
कार्बेट पार्क के डायरेटर राहुल ने बताया कि कैमरा ट्रैप में हुए डाटा का एनालिसिस कर वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया को रिपोर्ट भेज दी गई है। उम्मीद है कि कार्बेट पार्क में इस बार बाघों की संख्या 240 से 250 के बीच हो जाएगी। आगे से बाघों के संरक्षण के लिए और बेहतर प्रयास किया जाएगा।
कार्बेट पार्क के डायरेटर राहुल ने बताया कि कैमरा ट्रैप में हुए डाटा का एनालिसिस कर वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया को रिपोर्ट भेज दी गई है। उम्मीद है कि कार्बेट पार्क में इस बार बाघों की संख्या 240 से 250 के बीच हो जाएगी। आगे से बाघों के संरक्षण के लिए और बेहतर प्रयास किया जाएगा।
पिछले वर्ष दोनों टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या
उत्तराखंड के टाइगर रिजर्व में पिछले वर्ष 63 बाघों की बढोतरी के साथ कुल 242 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गयी थी। इसके अलावा, दोनों टाइगर रिजर्वों में 11 शावक भी पाये गए थे। कार्बेट टाईगर रिजर्व और राजाजी टाईगर रिजर्व में बाघों की गणना के वर्ष 2016-17 के आंकडे सीएम त्रिवेंन्द्र सिंह रावत ने जारी किये थे। हालांकि सर्वाधिक 400 बाघों की संख्या के साथ कर्नाटक प्रथम स्थान पर है। रामनगर वन प्रभाग को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
रामनगर वन प्रभाग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघों के संरक्षण के लिए खरा उतरा है। इसके लिए दिल्ली में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वनाधिकारियों को पिछले दिनों (कंजरवेशन एस्योर्ड टाइगर स्टेंडर्ड) कैट्स प्रमाण पत्र सौंपा। यह प्रमाण पत्र पाने वाला रामनगर वन प्रभाग राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चौथा वन प्रभाग बन गया। ग्लोबल टाइगर फोरम बाघ संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली संस्था है। रामनगर वन प्रभाग की तत्कालीन डीएफओ रही नेहा वर्मा ने बेहतर वन प्रभाग का दर्जा दिलाने के लिए फोरम में आवेदन किया था। वर्ष 2017 में फोरम के दिल्ली में मौजूद राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने रामनगर पहुंचकर तय मानकों की जांच की थी। फोरम के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने अपनी स्वीकृति देकर इसे अंतरराष्ट्रीय ग्लोबल टाइगर फोरम में भेजा। जहां से पिछले साल सितंबर में इसे स्वीकृति मिल गई थी। सोमवार को टैगोर हॉल नई दिल्ली में वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव, मोनिष मलिक, वर्तमान डीएफओ वीपी सिंह एवं तत्कालीन डीएफओ नेहा वर्मा को यह प्रमाण पत्र सौंपा। डीएफओ वीपी सिंह ने बताया कि बाघ संरक्षण के लिए रामनगर वन प्रभाग देश का दूसरा वन प्रभाग बन गया है। वहीं तत्कालीन डीएफओ नेहा वर्मा ने प्रमाण पत्र मिलने पर खुशी जताई है। उन्होंने बताया कि यह तीन साल के लिए होता है। उसके बाद दोबारा प्रक्रिया होती है। यह मिलेगा फायदा
कैट्स की सूची में शामिल होने पर वन प्रभाग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं बाघ संरक्षण के लिए बजट दे सकेगी। बाघों के लिए कार्य कर रही सरकारी एजेंसी एनटीसीए दिल्ली से भी वन प्रभाग को बाघ संरक्षण के लिए विशेष वित्तीय मदद मिल सकेगी। 14 वन प्रभाग दौड़ से हुए बाहर
कैट्स की सूची में शामिल होने के लिए भारत के 14 वन प्रभागों ने भी आवेदन किया था। जांच में यह सभी वन प्रभाग मानकों पर खरे नहीं उतर पाए और वह रिजेक्ट हो गए।इन बिंदुओं पर जुटाई थी जानकारी
ग्लोबल टाइगर फोरम ने रामनगर वन प्रभाग में मैनेजमेंट, बाघों के वास स्थल, सुरक्षा, संसाधन, सुरक्षा कर्मी, जैवविविधता, बाघों की जनसंख्या समेत कई बिंदुओं पर जानकारी जुटाई थी। यह भी पढ़ें : पहाड़ों पर हिमपात, ठंड से ठिठुरा मैदान, सप्ताह भर मौसम खराब रहने की आशंकायह भी पढ़ें : नैनीताल के अस्तित्व पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, झील के गेट पर दरार बनी चिंता का सबब
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।उत्तराखंड के टाइगर रिजर्व में पिछले वर्ष 63 बाघों की बढोतरी के साथ कुल 242 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गयी थी। इसके अलावा, दोनों टाइगर रिजर्वों में 11 शावक भी पाये गए थे। कार्बेट टाईगर रिजर्व और राजाजी टाईगर रिजर्व में बाघों की गणना के वर्ष 2016-17 के आंकडे सीएम त्रिवेंन्द्र सिंह रावत ने जारी किये थे। हालांकि सर्वाधिक 400 बाघों की संख्या के साथ कर्नाटक प्रथम स्थान पर है। रामनगर वन प्रभाग को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
रामनगर वन प्रभाग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघों के संरक्षण के लिए खरा उतरा है। इसके लिए दिल्ली में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वनाधिकारियों को पिछले दिनों (कंजरवेशन एस्योर्ड टाइगर स्टेंडर्ड) कैट्स प्रमाण पत्र सौंपा। यह प्रमाण पत्र पाने वाला रामनगर वन प्रभाग राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चौथा वन प्रभाग बन गया। ग्लोबल टाइगर फोरम बाघ संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली संस्था है। रामनगर वन प्रभाग की तत्कालीन डीएफओ रही नेहा वर्मा ने बेहतर वन प्रभाग का दर्जा दिलाने के लिए फोरम में आवेदन किया था। वर्ष 2017 में फोरम के दिल्ली में मौजूद राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने रामनगर पहुंचकर तय मानकों की जांच की थी। फोरम के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने अपनी स्वीकृति देकर इसे अंतरराष्ट्रीय ग्लोबल टाइगर फोरम में भेजा। जहां से पिछले साल सितंबर में इसे स्वीकृति मिल गई थी। सोमवार को टैगोर हॉल नई दिल्ली में वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव, मोनिष मलिक, वर्तमान डीएफओ वीपी सिंह एवं तत्कालीन डीएफओ नेहा वर्मा को यह प्रमाण पत्र सौंपा। डीएफओ वीपी सिंह ने बताया कि बाघ संरक्षण के लिए रामनगर वन प्रभाग देश का दूसरा वन प्रभाग बन गया है। वहीं तत्कालीन डीएफओ नेहा वर्मा ने प्रमाण पत्र मिलने पर खुशी जताई है। उन्होंने बताया कि यह तीन साल के लिए होता है। उसके बाद दोबारा प्रक्रिया होती है। यह मिलेगा फायदा
कैट्स की सूची में शामिल होने पर वन प्रभाग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं बाघ संरक्षण के लिए बजट दे सकेगी। बाघों के लिए कार्य कर रही सरकारी एजेंसी एनटीसीए दिल्ली से भी वन प्रभाग को बाघ संरक्षण के लिए विशेष वित्तीय मदद मिल सकेगी। 14 वन प्रभाग दौड़ से हुए बाहर
कैट्स की सूची में शामिल होने के लिए भारत के 14 वन प्रभागों ने भी आवेदन किया था। जांच में यह सभी वन प्रभाग मानकों पर खरे नहीं उतर पाए और वह रिजेक्ट हो गए।इन बिंदुओं पर जुटाई थी जानकारी
ग्लोबल टाइगर फोरम ने रामनगर वन प्रभाग में मैनेजमेंट, बाघों के वास स्थल, सुरक्षा, संसाधन, सुरक्षा कर्मी, जैवविविधता, बाघों की जनसंख्या समेत कई बिंदुओं पर जानकारी जुटाई थी। यह भी पढ़ें : पहाड़ों पर हिमपात, ठंड से ठिठुरा मैदान, सप्ताह भर मौसम खराब रहने की आशंकायह भी पढ़ें : नैनीताल के अस्तित्व पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, झील के गेट पर दरार बनी चिंता का सबब