एक मजाक जो सच साबित हुआ, गिर गई उत्तराखंड की सरकार
उत्तराखंड की सरकार 'मजाक' में गिर गई। विधानसभा सत्र के दौरान प्रश्नकाल में यह तय हो चुका था। मदन कौशिक, डॉ. इंदिरा हृदयेश एवं हरक सिंह रावत के बीच सवाल-जवाब का जो मजाकिया दौर चला, बिल्कुल उसी अंदाज में सरकार भी चली गई।
गोविंद सनवाल, हल्द्वानी। उत्तराखंड की सरकार 'मजाक' में गिर गई। विधानसभा सत्र के दौरान प्रश्नकाल में यह तय हो चुका था। मदन कौशिक, डॉ. इंदिरा हृदयेश एवं हरक सिंह रावत के बीच सवाल-जवाब का जो मजाकिया दौर चला, बिल्कुल उसी अंदाज में सरकार भी चली गई।
इसे महज संयोग कहें या जुबां पर आई सच्चाई। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हरीश रावत को जिस बगावत के बवंडर का समय रहते इल्म तक नहीं हो पाया, उसका खुला एलान विधानसभा सत्र के प्रश्नकाल में हो चुका था। बस फर्क सिर्फ इतना था कि इसे तब मजाक समझकर टाल दिया गया।
दरअसल, 14 मार्च को प्रश्नकाल चल रहा था। तब कृषि मंत्री हरक सिंह रावत एक सवाल का जवाब देने के लिए खड़े हुए तो भाजपा के मदन कौशिक ने उन पर तंज कसते हुए कहा था कि क्या सरकार में आपकी भी चल रही है?
इतना ही नहीं उन्होंने फिर स्पीकर गोविंद कुंजवाल की ओर मुखातिब होकर यहां तक कह दिया था कि यदि हरक अपने साथ आठ-दस एमएलए जुटा लें तो पूरा विपक्ष उन्हें समर्थन करेगा। इससे उनका सीएम बनने का सपना भी पूरा हो जाएगा।
तब वित्त मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश ने चुटकी ली थी कि कौशिक जी आपकी गारंटी के बाद ही कुछ सोचा जाएगा। इस पर कौशिक बोले पूरी गारंटी है।
हरक फिर बोल पड़े कि समय आने पर ले लूंगा समर्थन। यही नहीं भाजपा विधायक बंशीधर भगत ने तो अवैध खनन की पोल खोलते हुए हल्द्वानी के एक गेट के नाम को लेकर ही सवाल उठाए थे।
बोले, कभी इस गेट को इंदिरा तो कभी हरीश या स्टेडियम गेट कहा जाता है। पूरे घटनाक्रम पर सदन ठहाकों से गूंज उठा था। सदन में उस दिन गूंजे इन ठहाकों में भले किसी को चार दिन बाद यानी 18 मार्च के संकट का अहसास न हुआ हो, लेकिन यह मजाक सरकार पर भारी पड़ गया। 27 मार्च को इसकी परिणति राष्ट्रपति शासन के रूप में सामने आ गई।
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