हरिद्वार-दून की तर्ज पर अन्य जेल के कैदियों को मिलेगी टेलीफोन सुविधा nainital news
उत्तराखंड की जेलों में अब हरियाणा-पंजाब हिमाचल प्रदेश व दिल्ली के कारागारों की तर्ज पर प्रिजन इनमेट कॉलिंग सिस्टम काम करेगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:24 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड की जेलों में अब हरियाणा-पंजाब, हिमाचल प्रदेश व दिल्ली के कारागारों की तर्ज पर प्रिजन इनमेट कॉलिंग सिस्टम काम करेगा। इस सिस्टम का ट्रायल देहरादून व हरिद्वार की जेल से हो चुका है। अब शासन ने राज्य की समस्त जेलों में यह सुविधा शुरू करने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है।
दरअसल जेल में बंद पूर्व सैनिक कैदी विनोद सिंह बिष्ट की ओर से हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन को पत्र भेजा गया था। उम्र कैद की सजा काट रहे इस कैदी ने टेलीफोन सुविधा न होने से हो रही दिक्कतों का उल्लेख किया था। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस पत्र का जनहित याचिका के रूप में संज्ञान लिया था। साथ ही सरकार से जवाब मांगा था। इधर राज्य के महानिदेशक कारागार डॉ. पीवीके प्रसाद की ओर से प्रमुख सचिव गृह व कारागार को पत्र भेजा गया था, जिसमें उन्होंने बताया कि कारागार अधीक्षक मुख्यालय बीपी पांडे व जिला कारागार दून के अधीक्षक महेंद्र सिंह ग्वाल द्वारा केंद्रीय कारागार अंबाला का भ्रमण किया गया। जिसके बाद देहरादून व हरिद्वार जेल के कैदियों के लिए ट्रायल बेस पर टेलीफोन सेवा शुरू की गई थी।
अब सचिव कारागार नितेश कुमार झा ने दस दिसंबर को महानिदेशक कारागार को पत्र भेजकर हाई कोर्ट में विचाराधीन याचिका का हवाला दिया है, जिसमें कहा है शासन ने राज्य के सभी कारागारों में बंदियों को भारत संचार निगम लिमिटेड के माध्यम से टेलीफोन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति प्रदान की है। उन्होंने डीजी कारागार से उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली-2017 का पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं। इसके तहत टेलीफोन में हुई वार्ता का रिकार्ड रखना होगा। यहां उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में इस मामले में मंगलवार को सुनवाई होनी है। सरकार द्वारा इस याचिका पर जवाब दाखिल करना है।
उत्तराखंड की जेलों में बंद हैं साढ़े चार हजार कैदीउत्तराखंड की 13 जेलों में करीब साढ़े चार हजार कैदी हैं। हरिद्वार व देहरादून को छोड़कर अन्य जिलों के कैदियों को परिजनों की कुशलक्षेम लेने के लिए टेलीफोन की सुविधा नहीं है। कैदियों से उनके परिजन शनिवार व अवकाश को छोड़कर पूर्वाह्नï 11 बजे से दोपहर एक बजे तक मिल सकते हैं। कैदी डाक पत्र के माध्यम से भी परिजनों की कुशलक्षेम ले सकते हैं। पत्र को डाक पर भेजने से पहले जेलर द्वारा पढ़कर वेरीफाई करने के उपरांत भेजा जाता है। नैनीताल जेल के जेलर रमेश चंद्र के अनुसार नैनीताल की जेल में कैदियों के लिए टेलीफोन सुविधा नहीं है।
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