पड़ोसी आकाश गंगा देवयानी से टकरा जाएगी हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी
पृथ्वी की अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी (मिल्की-वे) का भविष्य यह है कि वह अपनी पड़ोस की आकाशगंगा देवयानी (एंड्रोमीडा) से टकराएगी। इसके बाद एक नई आकाशगंगा आकार लेगी। हालांकि अभी टकराने का समय व वर्ष तय नहीं है खगोलीय अध्ययन बताते हैं कि यह घटना करोड़ों वर्ष बाद होगी।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 27 Oct 2020 11:16 AM (IST)
नैनीताल, रमेश चंद्रा : पृथ्वी की अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी (मिल्की-वे) का भविष्य यह है कि वह अपनी पड़ोस की आकाशगंगा देवयानी (एंड्रोमीडा) से टकराएगी। इसके बाद एक नई आकाशगंगा आकार लेगी। हालांकि अभी टकराने का समय व वर्ष तय नहीं है, लेकिन अभी तक हुए खगोलीय अध्ययन बताते हैं कि यह घटना करोड़ों वर्ष बाद होगी। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल (एरीज) की देवस्थल (नैनीताल) में स्थापित विशाल दूरबीन सुदूर अंतरिक्ष के सुपरमैसिव स्टार्स (बड़े तारों) के अलावा आकाशंगगाओं पर नजर रखे हुए हैं। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडे कहते हैं कि सुदूर अंतरिक्ष के विशाल तारों के सतत अध्ययन से ही ऐसे रहस्य उजागर होंगे।
डाॅ. शशिभूषण कहते हैं कि सुदूर अंतरिक्ष के विशाल तारों के अध्ययन के लिए देवस्थल में स्थापित 3.6 मीटर की ऑप्टिकल दूरबीन काफी कारगर है। ब्रह्मंड में प्रत्येक वस्तु का एक निश्चित भविष्य है। इसमें हमारी अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी भी शामिल है। इंसान के जीवन की तरह ही पृथ्वी, सौरमंडल व आकाशगंगाओं की भी एक आयु होती है। लेकिन तारों से लदी आकाशगंगाओं का जीवन अरबों साल का होता है। दुनिया के तमाम खगोल विज्ञानी आकाशगंगाओं पर अनेक अध्ययन कर चुके हैं। जिनसे यही निष्कर्ष निकला है कि मंदाकिनी करोड़ों साल बाद अपनी पड़ोस की देवयानी आकाशगंगा से टकरा जाएगी। दोनों आकाशगंगाओं में असंख्य ग्रह और अरबों तारे हैं। यह सभी एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण में बंधे हुए हैं ब्रह्मंाड में चक्कर लगा रहे हैं। इनके आपस में टकराने के बाद पुन: एक नई आकाशगंगा का निर्माण होगा। एरीज की देवस्थल स्थित उच्च क्षमता की दूरबीन अंतरिक्ष के इन्हीं रहस्यों को जानने के लिए बनी हुई है। वर्तमान में इस दूरबीन के जरिये तारों में होने वाले परिवर्तनों का आॅव्जर्वेशन चल रहा है।
अबूझ पहेली बना है अदृश्य डार्क मैटर
खगोल विज्ञानियों के लिए डार्क मैटर एक ऐसी पहेली है जिसे आज तक समझा नही जा सका है। सवाल यह भी है कि क्या डार्क मैटर के जरिए ब्रह्मïांड का निरंतर विकास हो रहा है। इस अदृश्य शक्ति की भूमिका को समझने में विज्ञानी जुटे हुए हैं। इसी तरह एक रोचक रहस्य विद्युत चुंबकीय तरंगें भी हैं। यह भी आज तक पहेली ही हैं। डा. शशिभूषण पांडे का कहना है कि तकनीक का लगातार विकास हो रहा है। इसलिए भविष्य में विज्ञानी इन रहस्यों को उजागर करने में जरूर कामयाब होंगे।
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