उत्तराखंड की जमीन से निकल अटल बिहारी व नरसिम्हा के सलाहकार बने थे पद्मभूषण प्रो. जोशी
पद्मभूषण से सम्मानित प्रो. श्रीकृष्ण जोशी सादगी की प्रतिमूर्ति थे। चम्पावत में जन्मे जोशी को देश के दो प्रधानमंत्रियों का वैज्ञानिक सलाहकार बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 17 May 2020 09:42 AM (IST)
नैनीताल, किशोर जोशी : आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) की गवर्निंग बॉडी के पूर्व चेयरमैन, भौतिक विज्ञानी व पद्मभूषण प्रो. श्रीकृष्ण जोशी का शुक्रवार को निधन हो गया। उनके निधन से बौद्धिक तबके में शोक छाया हुआ है। वह काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल, डीआरडीओ समेत देश के नामी संस्थानों के डायरेक्टर रह चुके थे। कुमाऊं विवि समेत चार संस्थानों से डीएससी की उपाधि लेने के बावजूद अपनी सादगी और बौद्धिक क्षमता के बलबूते वह दो प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव व अटल बिहारी वाजपेयी के वैज्ञानिक सलाहकार बने। वह उत्तराखंड के इकलौते वैज्ञानिक थे, जो इतने ऊंचे पदों तक पहुंचने के बावजूद धरातल से जुड़े रहे।
चम्पावत में जन्मे, गांव में हुई प्राथमिक शिक्षाछह जून 1935 को चम्पावत के पाटी ब्लॉक के अनर्पा गांव निवासी प्रो. जोशी की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई। पांच साल के थे, तो पिता का निधन हो गया। मां की मेहनत मजदूरी की बदौलत उन्होंने अल्मोड़ा से 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की। इसके लिए वह रोज 20 किमी पैदल चले। फिर उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद चले गए। अपनी बौद्धिक क्षमता के बलबूते प्रो. जोशी डीआरडीओ, नेशनल फिजिकल लेबोरेेटरी के निदेशक से लेकर सीएसआइआर के डीजी भी बने।
देश के पांच विवि ने मानद उपाधि से नवाजा प्रो जोशी उत्तराखंड के इकलौते भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्हें 1994 में कुमाऊं विवि, 1995 में कानपुर विवि, 1996 में बनारस हिंदू विवि, 2005 में बर्दवान विवि, 2008 में भीमराव अंबेडकर विवि आगरा ने डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि दी। वह नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंस के इलेक्ट्रिक फेलो, इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के प्रेसीडेंट, इंडियन फिजिक्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट भी रहे।
यह सम्मान रहे प्रोफेसर जोशी के नाम
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- 1990 सीएसआइआर सिल्वर जुल्बी अवार्ड
- 1991 पद्मश्री व 2003 में पद्मभूषण सम्मान