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दुबई में एक लाख की सैलरी छोड़कर पंकज ने गांव में जगाई रोजगार की लौ nainital news

रोजगार के लिए पहाड़ से पलायन की कहानी किसी से छिपी नहीं है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गांव में ही स्वरोजगार व उन्नति की राह बनाकर मिसाल कायम कर रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 24 Dec 2019 12:58 PM (IST)
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दुबई में एक लाख की सैलरी छोड़कर पंकज ने गांव में जगाई रोजगार की लौ nainital news
डीडीहाट (पिथौरागढ़) विजेंद्र मेहता : रोजगार के लिए पहाड़ से पलायन की कहानी किसी से छिपी नहीं है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो गांव में ही स्वरोजगार व उन्नति की राह बनाकर मिसाल कायम कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पिथौरागढ़ जिले के बांकू गांव निवासी 32 वर्षीय पंकज चुफाल ने। पंकज ने दुबई में एक लाख की सैलरी छोड़कर गांव में टायल्स फैक्ट्री स्थापित की है। इससे न सिर्फ स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि पलायन भी रुक रहा है।

पांच साल तक की दुबई में नौकरी

डीडीहाट तहसील क्षेत्र के बांकू निवासी पंकज चुफाल, पुत्र राजेंद्र चुफाल एचएम करने के बाद 2012 में दुबई चले गए। दुबई के एस्टोरिया एंड एंबेसडर ग्रुफ ऑफ होटल में वह बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर पद पर तैनात थे। कंपनी की ओर से उन्हें प्रतिमाह एक लाख रु पये मिलते थे। दुबई में पांच साल नौकरी करने के बाद अपनी माटी के प्रति उनका प्रेम उन्हें गांव की ओर खींच लाया। वर्ष 2017 में वह अपने गांव वापस लौट आए। इसके बाद उन्होंने गांव में ही खुद का व्यवसाय शुरू  करने की ठान ली। विगत माह उन्होंने गांव की खाली पड़ी जमीन पर इंटरलॉक कलर्ड टायल्स का निर्माण कार्य शुरू किया। महज एक माह में ही उनके 30 हजार से अधिक टायल्स बिक गए। टायल्स निर्माण कार्य में 20 लोगों को रोजगार मिल रहा है। घर पर ही रोजगार मिलने से स्थानीय युवा भी खुश नजर आ रहे हैं।

अन्य जगहों से भी मिल रही भारी डिमांड

फैक्ट्री के निदेशक पंकज ने बताया कि टायल्स की उन्हें भारी डिमांड मिल रही है। डीडीहाट के अलावा बेरीनाग, गंगोलीहाट, धारचूला, पिथौरागढ़ आदि क्षेत्रों से भी टायल्स की डिमांड आ रही है। पंकज का कहना है कि अब तक लोगों को शहरों से टायल्स मंगानी पड़ती थी। जिसकी उन्हें भारी-भरकम कीमत चुकानी पड़ती है। उनका उद्देश्य लोगों तक उचित दरों पर गुणवत्तायुक्त टायल्स पहुंचाना है।

भविष्य में साबुन निर्माण का भी करेंगे उद्योग

पंकज ने बताया कि उनकी आगे गांव में ही साबुन निर्माण उद्योग स्थापित करने की मंशा है। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। उनका कहना है कि आज रोजगार की तलाश में पहाड़ खाली होते जा रहे हैं। यदि लोगों को घर पर ही रोजगार मिलेगा तो पलायन पर रोक लगेगी और गांव फिर से आबाद होंगे।

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