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मैदान ही नहीं अब पहाड़ पर भी करें पपीते की खेती, जानिए कैसे

औषधीय गुणों से भरपूर पपीता पेट संबंधी बीमारियों का रामबाण इलाज है। पपीते की बढ़ रही मांग आत्‍मनिर्भरता के रास्‍ते खोल रही है। इसकी खेती कर लोग लाखों कमा रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 26 Oct 2018 09:33 PM (IST)
मैदान ही नहीं अब पहाड़ पर भी करें पपीते की खेती, जानिए कैसे
चम्पावत (जेएनएन) : औषधीय गुणों से भरपूर पपीता पेट संबंधी बीमारियों का रामबाण इलाज है। पपीते की बढ़ रही मांग आत्‍मनिर्भरता के रास्‍ते खोल रही है। मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती कर लोग लाखों कमा रहे हैं। अब इसकी खेती का दायरा बढ़ रहा है। पर्वतीय क्षेत्र में भी पपीते की खेती की संभावनाएं जगी हैं। यह संभव हुआ है हिमालय विकास समिति चल्थी के मोहन बिष्ट के प्रयासों से। बिष्‍ट ने पंतनगर से पपीते का बीज लाकर उसे आधुनिक कृषि पद्धति के जरिए अपने संस्थान में लगाया। पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं। इसके साथ ही मोहन लोगों को पपीते की खेती के लिए प्रेरित करने लगे हैं।

छह माह में ही लगने लगे फल

मोहन चल्थी स्थित अपने संस्थान में लंबे समय से आधुनिक तकनीकि से कई प्रकार की फसलों का उत्पादन कर लोगों के लिए मिशाल बने हुए हैं। वह अपने संस्थान में कृषि कार्य के साथ मौन पालन, मत्स्य पालन, जल संरक्षण, सब्जी उत्पादन अनेक कार्य करते हैं। इस बार उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र में न होने वाले पपीते के उत्पादन पर जोर दिया। संस्था अध्यक्ष मोहन बिष्ट ने प्रयोग के तौर पर पंतनगर से बीच मंगाकर अपने संस्थान में लगाया। इसके अलावा कई हाइब्रिड पपीते के पेड़ लगाए। जिन्होंने छह माह में ही फल देना प्रारंभ कर दिया।

एक पेड़ में औसतन 150 फल

प्रयोग सफल होने के बाद अब मोहन क्षेत्र के लोगों को भी पपीते के पेड़ लगाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे स्‍वरोजगार के भी रास्‍तू खुलेंगे। फिलहाल अभी इसका उत्पादन देखना बाकी है कि एक पेड़ से कितने पपीतों का उत्पादन होता है। अभी तक पेड़ में 150 से अधिक पपीते लगे हुए हैं और अभी भी लग रहे हैं। पपीतों को बंदरों की नजर से बचाने के लिए उसे ढ़क कर रखा हुआ है। बिष्ट ने बताया इससे पूर्व भी झांसी से पपीते के 85 पेड़ मंगाकर लगाए थे। जिनसे अच्छा उत्पादन हुआ लेकिन उसके बाद पेड़ समाप्त हो गए। जिसके बाद अब पंतनगर से पपीते का बीज मंगाया। जिसके सात पेड़ लगाए हैं।

पपीते की खेती कर कमा सकते हैं लाखों

परंपरागत खेती के अलावा व्‍यावसायिक खेती कर लोग लाखों कमा सकते हैं। इसके लिए पपीते की खेती बेहतर विकल्‍प हो सकती है। हाल के दौर में मार्केट में आई हाईब्रिड किस्‍मों के चलते पपीते से कमाई करना पहले से ज्‍यादा आसान हुआ है। एक हेक्‍टेयर पपीते की खेती से एक सीजन में करीब 10 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है। इसकी खासियत है कि फसल जल्‍दी तैयार हो जाती  है और साल भर मे फसल देने लगती है। एक बार पपीता लगाकर तीन साल तक उपज लिया जा सकता है। इसके चलते एक बार पेड़ तैयार होने पर लागत भी कम होती जाती है। आइए जानते हैं पपीते की खेती के बारे में और इसके जरिए कैसे कमाई कर सकते हैं।

38 से 44 डिग्री तापमान में उगाया जाता है पपीता

पपीते की खेती अधिकतम 38 से 44 डिग्री सेल्सियस तापमान में होती है। वैसे न्‍यूनतम तापमान पांच डिग्री तापमान में भी पपीते की खेती हो सकती है। मतलब आप इसे पहाड़ों से सटे इलाकों में भी उगा सकते हैं, जो अब पहाड़ में भी संभव हो रहा है। इस लिहाज से आप भारत के किसी भी कोने में पपीते की खेती की जा सकती है।

ऐसे तैयार करें पपीते की खेती के लिए भूमि

अच्‍छी तरह से खेत को जोतकर समतल बनाएं। दो गुणे दो अंदर मीटर के अन्‍दर पर लम्‍बा, चौड़ा  और गहरा गढ्ढा बनाएं। इनमें 20 किलो गोबर की खाद, 500 ग्राम सुपर फास्‍फेट एवं 250 ग्राम म्‍यूरेट आफ पोटाश को मिट्टी में मिलाकर पौधा लगाने के कम से कम 10 दिन पूर्व भर दें।

यह प्रजातियां हैं उन्‍नत किस्‍म की

उन्नतशील प्रजातिया जैसे की पूसा डेलीसस 1-15, पूसा मैजिस्टी 22-3, पूसा जायंट 1-45-वी, पूसा ड्वार्फ1-45-डी, पूसा नन्हा या म्युटेंट डुवार्फ, सीओ-1, सीओ-2, सीओ-3, सीओ-4, कुर्ग हनी, रेड लेडी 786, वाशिंगटन, सोलो, कोयम्‍बटूर, कुंर्ग‍हनीड्यू, पूसा डेलीसियस, सिलोन एवं हनीडीयू ये उन्नतशील प्रजातियाँ उपलब्ध है।

हेक्‍यरवार बीज की जरूरत

एक हेक्टेयर जमीन के लिए लगभग 600 ग्राम से लेकर एक किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है। सर्वप्रथम पपीते के पौधे बीज से तैयार किये जाते हैं। एक हेक्टेयर जमीन में प्रति गड्ढ़े दो पौधे लगाने पर लगभग पांच हज़ार पौध संख्‍या लगेगी।

औषधीय गुणों से भरपूर है पपीता 

बेहद फायदेमंद और औषधीय गुणों से भरपूर पपीता तमाम तरह की बीमारियों से मुक्ति दिला सकता है । पपीते की सबसे बड़ी खासियत है कि ये बहुत कम समय फल दे देता है। इसकी खेती भी आसान है । पपीते में कई महत्वपूर्ण पाचक एन्‍जाइम मौजूद रहते हैं। इसलिए बाज़ार में पपीते की मांग लगातार बढ़ रही है।

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