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इस गुफा में होता है देवताओं का वास, भगवान शिव, राम और पांडवों से जुड़ी हैं यहां की मान्‍यताएं

गंगोलीहाट तहसील मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर पाताल भुवनेश्वर गुफा का उल्लेख पुराणों में हैं। भगवान राम शिव और पांडवों से इस गुफा के जुड़ने की मान्यताएं हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 14 May 2019 02:52 PM (IST)
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इस गुफा में होता है देवताओं का वास, भगवान शिव, राम और पांडवों से जुड़ी हैं यहां की मान्‍यताएं

गंगोलीहाट/पिथौरागढ़, जेएनएन : अद्भुत लोक कथाओं और धार्मिक मान्‍यताओं वाले देवभूमि की बात ही कुछ और है। नैसर्गिक सौंदर्य और खूबसूरत पर्यटन स्‍थलों के कारण यहां न सिर्फ देश बल्‍की दुनिया से पर्यटकों का साल भर अाना लगा रहता है। इस बार यदि आप यहां आने का मन बना रहे हों तो चलिए हम आपको बताते हैं यहां के एक ऐसे पर्यटन स्‍थल के बारे में जहां पहुंचकर आप को बेहद सुकून महसूस होगा। धार्मिक हैं तो इत्‍मिनान से पूजा पाठ करें और घूमने के शौकीन हैं तो नेचर का भरपूर मजा लें सकतें हैं। हम बात कर रहे हैं उत्‍तराखंड की पहचान पाताल भुवनेश्वर गुफा की। पिथौरागढ़ में स्थित यह गुफा प्रकृति की खूबसूरती से भरपूर है। इस बार यहां आने वाले उन पर्यटकों के लिए खास इंतजाम किए गए हैं जिन्‍हें गुफा के अंदर जाने में सांस की समस्‍या होती है। उनके लिए मंदिर कमेटी ने चिकित्सा विभाग के सहयोग से गुफा के भीतर ऑक्सीजन सिलेंडरों का इंतजाम किया है। 

गंगोलीहाट तहसील मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर पाताल भुवनेश्वर गुफा का उल्लेख पुराणों में हैं। भगवान राम, शिव और पांडवों से इस कंदरा की मान्‍यताएं जुड़ी हैं। राज्य की सबसे लंबी गुफाओं में एक पाताल भुवनेश्वर यूं तो वर्ष भर खुली रहती है, लेकिन सबसे अधिक पर्यटक यहां गर्मियों में ही आते हैं। मई से अक्टूबर तक औसतन 500 से 700 पर्यटक आने का रिकार्ड मंदिर समिति के रजिस्टर में दर्ज है। विदेशों से आने वाले पर्यटकों की तादाद भी यहां अच्छी खासी रहती है। मानसून काल में गुफा के भीतर ऑक्सीजन स्तर कम हो जाता है। सामान्य लोगों में तो इसका कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन हार्ट, श्वास रोगियों को दिक्कत होने लगती है। इसे देखते हुए इस वर्ष मंदिर कमेटी ने गुफा के भीतर पांच पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर रखने का निर्णय लिया है। एक सिलेंडर मंदिर कमेटी को उपलब्ध हो चुका है। शेष चार सिलेंडरों की व्यवस्था स्वास्थ विभाग के माध्यम से की जा रही है। सिलेंडरों का इंतजाम हो जाने से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

गुफा के भीतर की आकृतियां हैं विशेष 

पाताल भुवनेश्वर गुफा में तमाम आकृतियां उभरी हुई हैं। इसमें भगवान शिव की जटाएं, भगवान गणेश व शिवलिंग जैसी आकृतियां श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं। गुफा के भीतर छोटा जलकुंड है। जबकि बाहर कई मंदिर स्थित हैं। 

पहाड़ी के 90 फीट अंदर है गुफा

यह गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फीट अंदर है। यह गुफा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

यहां विराजित है गणेशजी का कटा मस्तक

हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया, वह शिव ने इस गुफा में रख दिया।

भोलेनाथ ने की थी यहां 108 पंखुड़ियों वाले कमल की स्थापना

पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश कटे ‍‍शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था।

यह जानकारी भी है काफी रोचक 

इस गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलियुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। माना जाता है कि जिस दिन यह कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा।

जानें क्‍या है पौराणिक महत्व

स्कन्दपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं। यह भी वर्णन है कि त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफ़ा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफ़ा के भीतर महादेव शिव अन्‍य देवताओं के साक्षात दर्शन किये। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई के आसपास इस गुफ़ा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया

पर्यटकों के लिए होंगी बेहतर सुविधाएं 

नीलम भंडारी, अध्यक्ष मंदिर कमेटी, पाताल भुवनेश्वर ने बताया कि पर्यटकों की सुविधा के लिए सिलेंडरों के इंतजाम किए जा रहे हैं। इस वर्ष पर्यटकों को गुफा के भीतर आक्सीजन की कमी महसूस नहीं होगी। पर्यटकों की सुविधा के लिए अन्य सुविधाएं भी बेहतर की जा रही है। 

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