पीसीबी वनाग्नि की घटनाओं के बाद प्रभावित जंगल के प्रदूषण स्तर का पता लगाएगा
जंगलों में आग लगने पर उस एरिया के आसपास प्रदूषण की मात्रा का पता लगाएगा जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम उपकरणों के साथ पहुंचेगी।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 03 May 2019 06:48 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : जंगलों में आग लगने पर उस एरिया के आसपास प्रदूषण की मात्रा का पता लगाएगा जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम उपकरणों के साथ पहुंचेगी। हालांकि बड़ी घटनाओं में ही इस प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। क्योंकि परीक्षण में चार से आठ घंटे का समय लगता है। हरियाली के खाक होने पर पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचता है। इसका डाटा तैयार कर शासन को भेजा जाता है।
उत्तराखंड का बड़ा हिस्सा वनों से घिरा है। वन विभाग के समक्ष 15 फरवरी से 15 जून तक जंगलों की सुरक्षा करना चुनौती का विषय बन जाता है। क्योंकि गर्मी के साथ लगातार जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। कई बार आग इस हद तक बढ़ जाती है कि काबू पाना काफी मुश्किल हो जाता है। विभाग को उम्मीद बारिश व हवाएं थमने पर टिक जाती है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) वनाग्नि के बाद वहां की हवा में जहरीले तत्वों का अध्ययन करेगा। हालांकि इससे पहले यह काम किया गया था, लेकिन बाद में मामला शांत पड़ गया। बोर्ड के मुताबिक नए सिरे से काम होगा।
तीन साल पहले के आंकड़े
साल 2016 की गर्मियों में कई जगहों पर यह फार्मूला अपनाया गया था। तब पटवाडांगर के पास परीक्षण में पीएम 10 की मात्रा 92.3, अल्मोड़ा जालना में 69.8, देवीधुरा से आगे पाटी में 83.6 व बागेश्वर के कांडा में 73 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर मिली। यह आंकड़ा सौ माइक्रोग्राम से उपर पहुंचने पर आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। मात्रा को लगातार चेकअप करने से पता चलेगा कि वनाग्नि से होने वाला प्रदूषण किस स्तर तक पहुंच रहा है।
बिजली कनेक्शन न मिलने से दिक्कत
प्रदूषण की मात्रा चेक करने वाले उपकरण बिजली की मदद से चलता है। पहाड़ में आसपास अक्सर आसपास बिजली कनेक्शन नहीं मिलने से दिक्कत आती है। फॉरेस्ट गेस्ट हाउस व नजदीकी दुकान-घर पर निर्भरता अधिक रहती है।
पीसीबी ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में डीके जोशी, क्षेत्रीय प्रबंधक पीसीबी ने बताया कि यह एक लंबी प्रक्रिया है। उत्तराखंड में स्थिति अभी नियंत्रण में है। हर घटना नहीं बल्कि बड़ी घटनाओं में टीम भेजी जाती है। प्रदूषण का पूरा डाटा तैयार किया जाता है।
वनाग्नि पर दौड़ते रहा वन विभागतापमान बढऩे के साथ जंगलों में आग की घटनाएं बढऩे लगी है। बुधवार को रामनगर से लेकर चोरगलिया तक आधा दर्जन मामले सामने आए। हालांकि इन पर काबू पाने में ज्यादा दिक्कत नहीं आई। वहीं दोबारा चिंगारी भड़कने की आशंका से वनकर्मियों को अलर्ट किया गया है। अभी तक मौसम ने वन विभाग का साथ दिया था, लेकिन अब दिन में गर्म हवा चलने की वजह से छोटी से चिंगारी भड़कने लगी है। बुधवार को रामनगर वन प्रभाग की बेलगढ़ बीट, कोसी रेंज की खिचड़ी बीट, तराई पूर्वी वन प्रभाग की साउथ जौलासाल व रनसाली बीट के अलावा हल्द्वानी डिवीजन के जौलासाल रेंज में वनाग्नि की घटना पर कर्मचारी दौड़ पड़े। लेकिन बड़ी घटना नहीं होने से अफसरों ने राहत की सांस ली। डीएफओ तराई पूर्वी डॉ. नितीश मणि त्रिपाठी ने बताया कि रनसाली रेंज में जंगल में नहीं बल्कि सूखे पत्तों पर आग लगी थी। जिसे बुझा लिया गया।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
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