रामनगर के 26 गांवों के लोग नहीं बना पा रहे हैं अपना घर, जानिए कारण
26 गांवों की भूमि का परिर्वतन यानि 143 का न होने से कृषि भूमि में परिर्वतन न होने के कारण लोग खुद का मकान बनाने के लिए नक्शे पास नहीं हो पा रहे है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 26 Feb 2019 08:06 PM (IST)
रामनगर, जेएनएन : प्रशासन के फरमान से रामनगर के आधे से ज्यादा गांवों की आबादी में स्वरोजगार की दिशा में बढऩे वाले विकास का रथ पूरी तरह से जाम हो गया है। 26 गांवों की भूमि का परिर्वतन यानि 143 का न होने से कृषि भूमि में परिर्वतन न होने के कारण लोग खुद का मकान बनाने के लिए नक्शे पास नहीं हो पा रहे है। यहां तक कि बैंकों से ऋण भी नहीं मिल पा रहे है।
बता दें कि रामनगर विकास खंड में कुल 53 ग्राम सभाएं आती है। जिनमें से 26 गांवों में कहीं कॉर्बेट के नाम पर तो कही फलपट्टी के नाम पर 143 नहीं की जा रही है। आरोप है कि प्रशासन द्वारा मनमाने तरीके से यह फरमान जारी किया गया है। असल में पिछले कई सालो से रामनगर के आसपास लगे बगीचों पर लगे फलदार पेड़ों पर भू-माफियाओं ने बेरहमी से आरी चला दी थी। तब जनहित की याचिका में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन ने भू परिवर्तन पर रोक लगा दी। दूसरे कॉर्बेट पार्क की सीमा से सटे गांवों में शासनादेश का हवाला देते हुए इस लिए रोक लगा दी गई कि इन क्षेत्रों की भूमि का व्यवसायिक उपयोग किए जाने से वन्यजीवों एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।
प्रशासन द्वारा लगाई गई रोक के उलट लोगों का तर्क है कि जनहित की याचिका में 143 पर रोक के संबंध में हाई कोर्ट नैनीताल का कोई भी आदेश नहींं हैं। फलपट्टी वाले मामले में जनहित याचिका संख्या 121/2018 में पारित आदेश 31 अगस्त 2018 के अनुसार मात्र हाउसिंग कालोनी के लिए बगीचे वाली भूमि के परिवर्तन पर ही रोक है। जब अध्यादेश एवं न्यायालय के आदेश में केवल हाउसिंग कालोनी के लिए है तो फिर उनकी भूमि परिवर्तन और दाखिल खारिज पर रोक गलत है।
कॉर्बेट से सटे गांवों पर रोक लगाना गलत
रामनगर में कॉर्बेट से सटे गांवों पर जिस तरह 143 पर रोक लगाई गई है वह भी गलत है। क्योंकि शासनादेश 16 नवंबर 2012 के पैरा तीन के अनुसार कॉर्बेट परिक्षेत्र के दो किमी के दायरे में स्थित भूमि जिसकी सूची है शासनादेश में दर्शाई गई है। उस सूची में रामनगर के किसी गांव का जिक्र तक नही है।
इकोसेंस्टिव जोन का प्रस्ताव लागू नहीं
143 पर रोक के लिए प्रशासन का तर्क हो सकता है कि इकोसेंस्टिव जोन की वजह से भी 143 नहीं की जा रही है। क्योंकि बहुगुणा सरकार के समय कॉर्बेट के आसपास दो किमी के दायरे आने वाले गांवों में 143 पर रोक लगा दी गई थी। 20 दिसंबर 2016 को उच्च न्यायालय ने कॉर्बेट पार्क के दस किमी क्षेत्र को इकोसेंस्टिव जोन घोषित करने का आदेश केंद्र सरकार को दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसमें रोक लगा दी थी। प्रस्तावित इकोसेंस्टिव जोन केंद्र सरकार के पास लंबित है। इसकी अधिसूचना के केंद्र सरकार ने अभी तक नहीं की है। इस लिहाज से रामनगर के गांव इसमें नहीं आते।यह भी है प्राविधान
शासनादेश में यह भी साफ है कि कॉर्बेट रिजर्व परिक्षेत्र की दो किमी की बाह्य सीमा में यदि अधिनियम का उल्लंघन न होता हो तो उस दायरे में भी धारा 143 के अंतर्गत भूमि अकृषि प्रयोग की अनुमति दी जा सकती है।धारा 143 के प्रयोग के लिए लगाई गई रोक असंवैधानिक
दुष्यंत मैनाली, अधिवक्ता उच्च न्यायालय ने बताया कि प्रशासन द्वारा धारा 143 के प्रयोग के लिए लगाई गई रोक असंवैधानिक है। क्योंकि उप्र जमीदारी विनाश अधिनियम, विधानसभा में पारित है। उसकी किसी भी धारा के प्रयोग पर रोक लगाने की कोई भी शक्ति जिलाधिकारी को बिना (अध्यादेश या संशोधन के) प्राप्त नहीं है। कॉर्बेट पार्क क्षेत्र में इकोसेंस्टिव जोन की अधिसूचना आज तक भी नहीं हुई है।फलपट्टी का मामला न्यायालय में विचाराधीन
एसडीएम हरगिरी गोस्वामी ने कहा कि सीटीआर के दो किमी के दायरे में 143 नहीं हो रही है। फलपट्टी का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। बाकी एरिया में लोगों के मकान, ऋण आदि को देखते हुए 143 किए जाने की अनुमति दी जा रही है।यह भी पढ़ें : कार्बेट पार्क में गश्त कर लौट रहे डायरेक्टर और एसडीओ को हाथी ने डेढ़ किमी तक दौड़ाया
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