शिप्रा व कोसी नदी के संगम पर उधर झील तो इधर विरोध की तैयारी
दम तोड़ती उत्तर वाहिनी शिप्रा व कोसी नदी के संगम पर जलाशयनुमा झील की बनाने के विरोध में ग्रामीण मुखर होने लगे हैं।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 30 Dec 2018 06:30 AM (IST)
संवाद सूत्र, गरमपानी : दम तोड़ती उत्तर वाहिनी शिप्रा व कोसी नदी के संगम पर जलाशयनुमा झील की योजना के बीच विरोध के स्वर मुखर हो उठे हैं। झील निर्माण के बाद नैनीताल को जलापूर्ति की सुगबुगाहट पर ताड़ीखेत व बेतालघाट ब्लॉक के बाशिंदों ने साफ कहा है कि पहले आसपास के गांवों की प्यास बुझाने के पुख्ता बंदोबस्त किए जाएं। उसके बाद ही कोसी का पानी नैनीताल ले जाने दिया जाएगा।
दरअसल, नैनीताल जिला मुख्यालय में पर्याप्त पानी के मकसद से खैरना स्थित संगम पर झील का खाका खींचा जा रहा है। एक ओर विभागीय स्तर पर हल्द्वानी में भावी झील की योजना पर मंथन चल रहा, दूसरी तरफ कोसी घाटी में विरोध शुरू होने लगा है। क्षेत्रवासियों का तर्क है कि बेतालघाट ब्लॉक के गांवों को पर्याप्त पानी नसीब नहीं हो रहा। वहीं तंत्र स्थानीय ग्रामीणों की उपेक्षा कर नैनीताल पानी भेजने की तैयारी कर रहा। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खैरना के पूर्व प्रधान पूरन लाल साह, देवभूमि व्यापार मंडल अध्यक्ष गजेंद्र नेगी, मनीष तिवारी, फिरोज अहमद, गुमान सिंह, दुर्गा सिंह, रोहित बिष्ट, महेंद्र सिंह आदि ने कहा कि पहले संबंधित विभाग व सरकार के नुमाइंदे घाटी से लगे गावों में जलापूर्ति की व्यवस्था दुरुस्त करे। तभी झील निर्माण व पानी नैनीताल ले जाने दिया जाएगा। साथ ही जरूरत पड़ने पर सड़क पर उतरने की चेतावनी भी दी है। नदी क्षेत्र से लगे ये गांव प्यासे बेतालघाट ब्लॉक : बिनकोट, गरमपानी, खलाड़, डोबा, मल्ला गाव, घुना, ऊंचाकोट, डाबर, बेतालघाट खास, अमेल
= ताड़ीखेत ब्लॉक : बिल्लेख, हिड़ाम, स्यू, बयूड़ी, कंडारकुआ पट्टंी, सुखोली, चापड़ आदि। तब और बिगड़ जाएंगे हालात
कोसी व शिप्रा नदी अस्तित्व के संकट से पहले ही जूझ रही है। वहीं पेयजल स्रोत भी बेहाल है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि पिछले दस वषरें में पानी का स्तर करीब 35 फीसद गिर चुका है। ऐसे में हालात बिगड़ ही रहे हैं। अब यदि झील बनाकर पानी रोक नैनीताल को आपूर्ति की जाती है तो बेतालघाट के गांवों में पेयजल ही नहीं बल्कि सिंचाई संकट भी बढ़ जाएगा। 'बेतालघाट व ताड़ीखेत ब्लॉक के तमाम गावों में पेयजल संकट है। जरूरत पड़ने पर टैंकरों से भी आपूर्ति की जाती है। पिछले दस वषरें में जलस्तर करीब 35 फीसद गिर चुका है। स्रोत भी दम तोड़ रहे।
- दलीप सिंह बिष्ट, सहायक अभियंता सिंचाई
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