असम में उग्रवादियों से संघर्ष करते हुए उत्तराखंड के एक और लाल ने दी शहादत
पिथौरागढ़ जिले के एक और जवान ने भारत मां की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी। बड़ावे तोली गांव निवासी सेना का जवान उग्रवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। शहादत की सूचना मिलते ही गांव सहित पूरे क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 08 Aug 2021 07:47 AM (IST)
पिथौरागढ, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक और जवान ने भारत मां की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी। बड़ावे तोली गांव निवासी सेना का जवान उग्रवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। शहादत की सूचना मिलते ही गांव सहित पूरे क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त है। स्वनों में कोहराम मचा हुआ है।
पिथौरागढ़ तहसील के अंतर्गत जिला मुख्यालय से करीब 22 किमी की दूरी पर स्थित बड़ावे क्षेत्र के तोली गांव निवासी दो कुमाऊं में तैनात संजय चंद 34 वर्ष असम में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। शहादत की खबर शनिवार को स्वजनों को को मिली तो कोहराम मच गया। गांव में शोक की लहर फैल गई। जवान संजय मई में अवकाश पूरा कर घर से गए थे। वहीं अब शहादत की सूचना मिली है। शहीद जवान का परिवार गांव में ही रहता है।तहसीलदार पंकज चंदोला ने बताया कि क्षेत्र के एक जवान की सीमा पर निधन की सूचना ग्रामीणों से मिली है, परंतु प्रशासन को इस तरह की कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। शहीद का पार्थिव शरीर कब तक गांव पहुंचेगा यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह परिजनों को इसकी सूचना दी गई। शहीद के दो छोटे -छोटे बच्चे बताए जा रहे हैं। घर पर माता, पिता, पत्नी और बच्चे हैं। शहीद के दो भाई हैं जिसमें एक भाई सेना में ही कार्यरत है।
गरीबी और बेरोजगारी का दंश झेलते हुए पले बढ़े मूनाकोट ब्लॉक के दूरस्थ गांव तोली में पैदा हुए संजय बचपन से ही होनहार थे। पिता भरत चंद के प्राइवेट नौकरी में होने के कारण संजय बेहद गरीबी और बेरोजगारी का दंश झेलते हुए पले बढ़े। प्राइमरी शिक्षा तोली में लेने के बाद हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा राजकीय इंटर कॉलेज बड़ाबे से पूरी की। संजय बचपन से ही परिजनों से सेना में जाने की जिद करते थे।
बचपन से सेना में जाने का सपना सेना में भर्ती होने के लिए वह सुबह जल्दी उठकर घर से निकल जाता था। रोज सुबह शाम सेना में भर्ती होने के लिए शारीरिक परिश्रम भी करते थे। नवंबर 2008 में चंपावत के लोहाघाट में हुई सेना की भर्ती में उन्होंने दौड़ और शारीरिक दक्षता परीक्षा पास कर ली। मेडिकल और लिखित परीक्षा पास करने के बाद संजय सेना में भर्ती हो गए।
उग्रवादियों की गोली का शिकार हुए शहीद के चाचा दौलत चंद ने बताया कि संजय देश की रक्षा में दुश्मनों से संघर्ष करते हुए उग्रवादियों की गोली का शिकार हो गया है। शहीद संजय के रिश्तेदार शमशेर चंद ने बताया कि छोटे भाई ललित के गोरखा रेजिमेंट में भर्ती होने के बाद वह बहुत खुश हुआ। करीब दो महीने पहले ही घर आया था। गांव के लोगों के साथ उसका काफी अच्छा व्यवहार था। जिस घर में वह जाता था वहां के लोग खुश हो जाते थे। हमें क्या पता था कि वह उसकी गांव की अंतिम यात्रा होगी।
ढांढस दिलाने के लिए पहुंच रहे लोग शहीद के गांव तोली में मातम छाया हुआ है। हर कोई शहीद के घर के परिवार को ढाढ़स बंधाने के लिए उनके पास जाना चाह है। लोगों की भीड़ लगी है। स्वनों में चीखपुकार मची है। जवान को जानने वालों को यकीन नहीं हो रहा कि उनका संजय उनके बीच नहीं रहा। घर के अंदर जवान की मौत के बाद कोहराम मचा है तो घर के बाहर लोग शांत बैठे हैं।
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