प्लेनेट-9 के रहस्य से 2022 में उठेगा पर्दा, ब्लैक होल व ग्रह के बीच असमंजस में खगोल विज्ञानी
प्लैनेट-9 को ब्लैक होल जैसा होने की बात कही जा रही है। इस बात ने खगोल विज्ञान जगत में हलचल पैदा कर दी है। ताज्जुब की बात है कि ग्रह होने के बावजूद यह ब्लैक होल जैसा व्यवहार कर रहा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 25 Jan 2021 09:33 PM (IST)
नैनीताल से रमेश चंद्रा। प्लेनेट-9 के ग्रह व ब्लैक होल के रूप में मान्यता को लेकर खगोल विज्ञानियों में छिड़ी बहस के बीच शुभ समाचार है। शोध में जुटे विज्ञानियों के अनुसार इस रहस्यमय ग्रह से 2022 में पर्दा उठ जाएगा। पता चल जाएगा कि यह ग्रह है या फिर ब्लैक होल। आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल विज्ञानी डा. शशि भूषण पांडे के अनुसार ब्रह्मंड अनेक रहस्यों से भरा है। इन्हीं में से एक रहस्य है प्लेनेट-9। यह ग्रह होने के बावजूद ब्लैक होल जैसा व्यवहार कर रहा है। भार में यह पृथ्वी से दस गुना अधिक है। सूर्य से दूरी 400 से 800 एस्ट्रोनामिकल यूनिट (एयू) के बीच है।
प्लेनेट-9 आउटर सोलर सिस्टम में मौजूद है। यह अन्य ग्रहों की तुलना में भिन्न है। अगर यह ब्लैक होल भी हुआ तो अभी तक की बड़ी खोज होगी। इससे यह पता चल जाएगा कि ब्लैक होल चांद- तारों को निगलने वाले विशालकाय ही नहीं, बल्कि छोटे आकार के भी होते हैं। इसकी वास्तविकता का पता अगले साल तक चलने की उम्मीद है। डा. पांडेय बताते हैं कि चिली में स्थापित की जा रही विशेष दूरबीन लार्ज सीनोप्टिक सर्वे टेलीस्कोप (एलएसएसटी) से इस रहस्य को उजागर किया जाएगा। यदि यह ब्लैक होल निकला तो खगोल विज्ञान को एक नई दिशा मिलेगी।
यह ग्रह भी हो सकता है
यह ग्रह भी हो सकता है। कई विज्ञानी अब भी प्लूटो को सौरमंडल का नौवां ग्रह मानते हैं। लेकिन आधिकारिक तौर पर अब प्लूटो हमारे सौरमंडल का ग्रह नहीं माना जाता। उसे अब ड्वार्फ ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। ब्लैक होल होने की भी उम्मीद
इसके बारे में ब्लैक होल होने की संभावना जताई जा रही है। हो सकता है उसने अपना पूरा भार एक संतरे के आकार में समेट लिया हो। नए शोध के मुताबिक विज्ञानी पहले से ही एक नौवें ग्रह यानी प्लेनेट-9 की खोज कर रहे हैं। उन्हेंं जल्द ही इस तरह का ब्लैक होल भी मिल सकता है।
नेपच्यून की तरह हो सकती है प्लेनेट-9 की खोज प्लेनेट-9 की खोज नेपच्यून की तरह हो सकती है। असल में नेपच्यून की खोज बिना देखे गणित के आधार पर हुई थी। इसका तब पता चला जब यूरेनस के परिभ्रमण में व्यवधान उत्पन्न हुआ। अध्ययन में पता चला कि यूरेनस के पड़ोस में एक अज्ञात ग्रह है, जिसके गुरुत्वाकर्षण से यूरेनस की कक्षा में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। नेपच्यून को पहली बार 1843 में देखा गया। संभवत: इसी तरह प्लेनेट-9 की भी पुष्टि हो।
ब्लैक होल व ग्रह के बीच बड़ा अंतर ब्लैक होल अंतरिक्ष का वह स्थान है, जहां भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता। अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण इसके खींचाव से कोई बच नहीं सकता। यह अपने ऊपर पडऩे वाले प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है। इसकी तुलना में ग्रहों का तारों जैसा ऊर्जा का अपना कोई श्रोत नहीं होता। ग्रह तारों के चक्कर लगाते हैं। आसमान के 10 डिग्री हिस्से में झांक सकेगी एलएसएसटी
लार्ज सीनोप्टिक सर्वे टेलीस्कोप (एसएसएलटी)आठ मीटर व्यास की आप्टिकल दूरबीन है। इससे आसमान के दस डिग्री हिस्से में नजर रखी जा सकती है। सौर मंडल के आखिरी छोर के आसमान पर इसकी नजर रहेगी। इस दूरबीन पर अमेरिका पिछले 20 वर्ष से काम कर रहा है। चीली में इसका निर्माण 2014 से शुरू हुआ। निर्माण पूरा होने पर इसका लाभ भारत समेत एरीज के विज्ञानियों को भी मिलेगा।
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