Move to Jagran APP

सौर परिवार में प्लूटो की फिर होगी वापसी! 9वां ग्रह बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ सम्मेलन में होगा फैसला

Solar System अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने ग्रहों की मानक परिभाषा के चलते 18 वर्ष पहले प्लूटो को इस श्रेणी से निकाल दिया था। बताया जा रहा है कि इस बार ग्रहों को लेकर नए मानक व परिभाषा बनाई गई है। अगर नई परिभाषा को संस्तुति मिल गई तो एक बार फिर हमारे सौर परिवार में ग्रहों की संख्या नौ हो जाएगी।

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Mon, 22 Jul 2024 08:33 PM (IST)
Hero Image
फिर से नौवें ग्रह के रूप में शामिल होगा प्लूटो!
रमेश चंद्रा, नैनीताल। सौर परिवार का नौवां सदस्य बनने की सूची में प्लूटो (यम) का नाम एक बार फिर सामने है। इसका निर्णय अगस्त के प्रथम सप्ताह में होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (आइएयू) सम्मेलन में होगा। प्लूटो को 2006 में ग्रह की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि बौने ग्रह की श्रेणी में शामिल किए जाने के बाद अब प्लूटो एक बार फिर चर्चा में है।

वैज्ञानिकों ने जताया था कड़ा विरोध

अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने ग्रहों की मानक परिभाषा के चलते 18 वर्ष पहले प्लूटो को इस श्रेणी से निकाल दिया था। विज्ञानियों के एक बड़े समूह ने इस फैसले पर कड़ा एतराज जताया था। इसके बाद प्लूटो को लेकर विज्ञानियों के बीच वैचारिक मतभेद चरम पर रहे। अब अगस्त के प्रथम सप्ताह में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में आइएयू का सम्मेलन होने जा रहा है।

बताया जा रहा है कि इस बार ग्रहों को लेकर नए मानक व परिभाषा बनाई गई है। यदि सम्मेलन में नई परिभाषा को संस्तुति मिल गई तो एक बार फिर हमारे सौर परिवार में ग्रहों की संख्या नौ हो जाएगी।

इन कारणों से किया था बाहर

डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार, प्लूटो को 2006 में ग्रह की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था। इसकी वजह ग्रह के मानक के हिसाब से इसका गोल नहीं होने के साथ ही इसका वरुण ग्रह की कक्षा के भीतर जा पहुंचना था। एरिस व सेरेस को भी ग्रह की श्रेणी में शामिल किया जाना था। मगर इन दोनों को भी प्लूटो की तरह बौने ग्रह की श्रेणी में शामिल कर दिया गया।

1930 में हुई थी प्लूटो की खोज

डॉ. पांडेय के अनुसार, प्लूटो की खोज 18 फरवरी 1930 में हुई। पृथ्वी के 247.68 वर्ष के बराबर इसका एक वर्ष होता है। यह सूर्य के करीब आने पर भी 4.4 अरब किमी दूर होता है और सूर्य से इसकी अधिकतम दूरी 7.4 अरब किमी होती है।

सूर्य की रोशनी को प्लूटो तक पहुंचने में लगभग पांच घंटे का समय लगता है। आकार में यह हमारे चंद्रमा का एक तिहाई है। कभी-कभी यह वरुण (नैपच्यून) की कक्षा के भीतर पहुंच जाता है। यह नाइट्रोजन की बर्फ से ढका रहता है। प्लूटो सौर मंडल के अवशेष मलबे से बना है। प्लूटो को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड की कामधेनु कही जाने वाली बद्री गायों की नस्ल बढ़ाने को होगा अध्ययन, दुनिया में सबसे गुणकारी माना जाता है इनका दूध

यह भी पढ़ें- Himalayan Goat Meat: अब पैकेट में बिकेगा पहाड़ी बकरों का मीट, 10744 बकरे बिकने के लिए तैयार; ऑनलाइन ऑर्डर की भी होगी सुविधा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।