चर्चित आइएफएस संजीव लोकपाल बनने को तैयार, उत्तराखंड में तीन साल का कूलिंग पीरियड पूरा
देश के सबसे कम उम्र के रमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी ने केंद्रीय लोकपाल मेंं प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 19 Nov 2019 08:52 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : देश के सबसे कम उम्र के रमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी ने केंद्रीय लोकपाल मेंं प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया है। पिछले माह की 24 तारीख को उनके द्वारा आवेदन किया जा चुका है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 312 का हवाला देते हुए कहा है कि केंद्र में सेवा देना अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का अधिकार व कर्तव्य है। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने उत्तराखंड में तीन साल कूलिंग ऑवर की अवधि पूरी कर ली है, लिहाजा अब दुबारा उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है।
जान का था खतरा, हरियाणा से मिला उत्तराखंड काडर संजीव को 2015 में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे अवार्ड मिल चुका है। जबकि अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जान को खतरा होने के आधार पर उनका कैडर हरियाणा से बदलकर उत्तराखंड कर दिया था। अगस्त 2016 में उन्होंने उत्तराखंड में ज्वाइनिंग दी। वर्तमान में वह हल्द्वानी में वन संरक्षक अनुसंधान के पद पर कार्यरत हैं।
पांच साल में हुए 12 तबादले
हरियाणा में कार्यकाल के दौरान मंत्री व अफसरों के घोटालों का पर्दाफाश करने पर संजीव तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सीधे निशाने पर आ गए थे। उनके पांच साल में 12 तबादले कर दिए गए। राष्टï्रपति ने चार बार उनके पक्ष में असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए उनके विरुद्ध हरियाणा सरकार के निलंबन व विभागीय आरोप पत्र के आदेश को रद कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत गठित कमेटी ने भी उनके मामलों में फैसला देते हुए हरियाणा सरकार पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया था।
केंद्र पर लगाया था 50 हजार जुर्मानाअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स नई दिल्ली में 2012 से 2014 तक मुख्य सतर्कता अधिकारी रहने के दौरान भ्रष्टïाचार के दो सौ मामले उजागर किए गए थे। जिसमें तत्कालीन एम्स निदेशक, मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी, आइपीएस समेत वरिष्ठ चिकित्सकों के मामले शामिल थे। संजीव की एसीआर में जीरो अंकन करने को प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी माह में केंद्र सरकार पर 50 हजार जुर्माना लगाया था। संजीव ने इस रकम को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया। साथ ही सुझाव दिया कि पीएमओ में देश के ईमानदार अफसरों की मदद के लिए एक कोष की स्थापना हो।
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