मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी, पहाड़ों में तेज बारिश और ओलावृष्टि के आसार
उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से कुमाऊं के मैदानी इलाकों में आठ मई तक मौसम का मिजाज सुहावना रहेगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 04 Jun 2019 10:02 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से कुमाऊं के मैदानी इलाकों में आठ मई तक मौसम का मिजाज सुहावना रहेगा। गर्मी से निजात मिलेगी और दोपहर के समय अधिकतम तापमान 35 डिग्री के आसपास बना रहेगा। मंगलवार को भी अधिकांश स्थानों पर आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे। कुछ स्थानों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम बिगडऩे की चेतावनी जारी की है। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, नैनीताल और मुक्तेश्वर में अगले 24 घंटे में तेज बारिश के साथ ही ओलावृष्टि होने व कुछ स्थानों पर आकाशीय बिजली गिरने के आसार हैं। अगले पांच दिन तक पर्वतीय इलाकों में मौसम बदलने के साथ बारिश और ओलावृष्टि की संभावना बनी रहेगी।
बीते रविवार की शाम हुई बारिश के बाद सोमवार को तराई-भाबर के औसत अधिकतम तापमान में सामान्य से तीन डिग्री की कमी आई। हल्द्वानी-पंतनगर में अधिकतम तापमान 35.0 व न्यूनतम 25.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। जबकि पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर, नैनीताल में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से कम रहा। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार मंगलवार को कुछ इलाकों में गर्जना वाले बादल विकसित हो सकते हैं। मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम पारा 35-36 व न्यूनतम तापमान 23-25 डिग्री के आसपास रहेगा।
सोमवार को कहां कितना तापमान
स्थान अधिकतम न्यूनतम
नैनीताल 28.8 15.0
मुक्तेश्वर 22.4 11.0
हल्द्वानी 35.0 25.2अल्मोड़ा 28.0 14.0
पिथौरागढ़ 28.2 12.8चम्पावत 26.0 16.0
यूएस नगर 35.0 25.2(नोट:अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान डिग्री सेल्सियस में)
जंगल की लाल लपटें बारिश से शांतसोमवार का दिन वन विभाग के लिए सुकून भरा रहा। बारिश होने से वनाग्नि की एक भी घटना सामने नहीं आई। झाडिय़ों व पत्तियों में लगी आग भी बौछार से बुझ गई। 15 फरवरी से प्रदेश में फायर सीजन चल रहा है। शुरुआत में आग की घटनाएं कम हुईं, लेकिन बीते एक माह से वन विभाग की चुनौती लगातार बढ़ती गई। आंकड़ों पर गौर करें तो कुमाऊं का जंगल गढ़वाल की तुलना में ज्यादा जला। कुमाऊं में 1113 व गढ़वाल में 629 जगहों पर आग लगी। कुल 2521 हेक्टेयर जंगल इसकी चपेट में आया। जिससे 46 लाख का नुकसान भी हुआ। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए वन विभाग भी सिर्फ बारिश से उम्मीद लगाए बैठे था।
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