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पॉवर कॉर्पोरेशन के एमडी ने कहा, एक माह में विभाग के सभी कर्मियों के यहां लग जाएंगे मीटर

हाईकोर्ट ने बिजली विभाग के तीनों निगमों के अधिकारी कर्मचारियों को सस्ती बिजली देने व आम जनता के लिए बिजली की दरों को बढ़ाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 03 Dec 2019 09:31 AM (IST)
पॉवर कॉर्पोरेशन के एमडी ने कहा, एक माह में विभाग के सभी कर्मियों के यहां लग जाएंगे मीटर
नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के प्रबंध निदेशक ने हाई कोर्ट में हलफनामा देकर स्वीकारा है कि निगम के अधिकारी-कर्मचारियों के बिजली उपयोग मामले में अनियमिता हुई हैं। एक माह में इन अनियमिताओं की जांच करेंगे। जांच पूरी होने तक कर्मचारियों के एक माह का वेतन रोक दिया जाएगा। साथ ही ऊर्जा निगमों के अधिकारी-कर्मचारियों के घर पर एक माह में बिजली मीटर लगा लिए जाएंगे।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में आरटीआइ क्लब देहरादून की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अनुसार ऊर्जा निगम के अधिकारियों का एक माह का बिल करीब चार-पांच सौ रुपये आता है जबकि अन्य कर्मचारियों से मात्र सौ रुपये बिल वसूला जा रहा है। जबकि इनका बिल लाखों रुपये में आता है। जिसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है। उदाहरण देकर बताया है कि जीएम का 25 माह का बिजली बिल 4.20 लाख रुपये आया था। उनके बिजली मीटर की रीडिंग 2005 से 2016 तक नहीं ली गई थी। आरोप लगाया कि निगम सेवारत कर्मचारियों के साथ ही रिटायर कर्मियों व उनके आश्रितों को रियायती बिजली दे रहा है। यह भी कहा है कि उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है मगर यहां हिमाचल से महंगी बिजली मिलती है।

सोमवार को यूपीसीएल के एमडी बीसीके मिश्रा कोर्ट में पेश हुए और हलफनामा पेश किया। जिसमेें उन्होंने स्वीकारा कि अनियमिताएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि एक माह के भीतर रिटायर व अन्य कुल दस हजार कर्मचारियों के घरों में मीटर लगा दिए जाएंगे। जिस कर्मचारी के घर मीटर नहीं लगेगा, उसका दिसंबर माह का वेतन रोक दिया जाएगा। उधर याचिककर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि फ्री बिजली देने का कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने एमडी के शपथ पत्र से असंतुष्ट होकर एक माह में शपथ पत्र के साथ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई छह जनवरी नियत की है।

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