वित्त मंत्री प्रकाश पंत बोले, जीएसटी ने देश को आर्थिक आजादी दिलाई
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देश को आर्थिक आजादी देने जैसा फैसला था। जीएसटी आधुनिकता की दिशा में उठाया गया सकारात्मक कदम साबित हुआ।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 29 Jan 2019 07:20 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देश को आर्थिक आजादी देने जैसा फैसला था। जीएसटी आधुनिकता की दिशा में उठाया गया सकारात्मक कदम साबित हुआ। राज्य कर विभाग की ओर से नगर निगम सभागार में जीएसटी पर आयोजित कार्यशाला में वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने बतौर मुख्य अतिथि यह बात कही।
वित्त मंत्री ने कहा कि दशकों से चली आ रही एक व्यवस्था से दूसरी व्यवस्था में ढलने में व्यापारियों को थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन व्यापारियों के साथ 800 से अधिक कार्यशाला करने के बाद सरकार ने जीएसटी को सरल बनाया। लोगों को टैक्स की दरों में राहत मिली और रिटर्न दाखिल करने व एक राज्य से दूसरे राज्य की सीमा के भीतर सामान लाने-ले जाने में आसानी हुई। सारा काम अब ऑनलाइन हो रहा है। एक आंकड़ा देते हुए वित्त मंत्री ने कहा वैट के समय में उत्तराखंड में पंजीकृत व्यापारी 83 हजार थे, जो जीएसटी लागू होने के डेढ़ साल के भीतर 1.53 लाख हो गए हैं। हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स कलेक्शन में कितनी कमी या बढ़ोतरी हुई, इसका जिक्र मंत्री ने नहीं किया।
वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में राज्य में 20 लाख तक का सालाना कारोबार करने वाले कारोबारियों को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेने की बाध्यता नहीं रहने से प्रदेश में 8 हजार से अधिक व्यापारियों को राहत मिलेगी। अभी 45 हजार कारोबारी 10 लाख की सीमा का लाभ ले रहे हैं। जीएसटी मित्र ने व्यापारियों की परेशानी कम की। असिस्टेंट कमिश्नर विनय प्रकाश ओझा ने वैट-जीएसटी में अंतर पर प्रजेंटेशन दिया। इससे पहले विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री व मेयर डॉ. जोगेंद्र रौतेला का बुके देकर स्वागत किया। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष प्रकाश बिष्ट, अपर आयुक्त बीएस नगन्याल, संयुक्त आयुक्त पीएस डुंगरियाल, सहायक आयुक्त मानवेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
कारोबारियों ने मंत्री को गिनाई परेशानी
दूसरे सत्र में व्यापारियों, टैक्स वकीलों ने अपनी समस्याएं गिनाई। एडवोकेट सुमित गुप्ता ने कहा कि आखिरी तिथि में वेबसाइट सही से काम नहीं करती। जीएसटी-3बी मासिक रिटर्न में संशोधन का विकल्प नहीं होने से गलत भरे गए रिटर्न के मिलान का मौका नहीं मिलता। बैंकों को चालान कैश में जमा कराने की सुविधा देने की मांग भी रखी गई। कई अन्य सवाल भी उठे।
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