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बारिश के कारण रास्‍ता बंद, पिथौरागढ़ के इस गांव में दो दिन पूर्व तक नहीं उठी मृतक की अर्थी

आपदा प्रभावित क्षेत्र में मौसम ने एक बार फिर दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। मोटर मार्ग और पैदल मार्ग बंद हैं। विभाग आंतरिक आंतरिक मार्ग खोलने को लेकर गंभीर नहीं हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 14 Sep 2019 07:02 PM (IST)
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बारिश के कारण रास्‍ता बंद, पिथौरागढ़ के इस गांव में दो दिन पूर्व तक नहीं उठी मृतक की अर्थी
नाचनी (पिथौरागढ़) जेएनएन : आपदा प्रभावित क्षेत्र में मौसम ने एक बार फिर दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। मोटर मार्ग और पैदल मार्ग बंद हैं। विभाग आंतरिक आंतरिक मार्ग खोलने को लेकर गंभीर नहीं हैं। मजबूर ग्रामीण अब श्रमदान से पैदल मार्ग खोल रहे हैं तो स्थानीय जनप्रतिनिधि जेसीबी लगाकर मार्ग खोलने में जुटे हैं। आपदा के चलते क्षेत्र में बनी खाइयों के चलते ग्रामीणों का गांवों से बाहर निकल पाना मुश्किल हो चुका है। क्षेत्र के अति दुर्गम और दूरस्थ गांव राया बजेता में दो दिन पूर्व मृत महिला का शव नहीं उठा है। गांव से श्मशान जाने वाला मार्ग ध्वस्त है, जिस कारण मृतका को अंतिम संस्कार के लिए नहीं ले जाया जा रहा है। ग्रामीण दो दिन से शव के पास पहरा दे रहे हैं।

आपदा प्रभावित तल्ला जोहार के कोटा पंद्रहपाला क्षेत्र अभी भी अलग-थलग पड़ा है। यहां तक कोई भी अधिकारी और कर्मचारी नहीं पहुंचा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क आठ दिनों से बंद है। पीएमजीएसवाइ के अधिकारी अभी तक यहां नहीं पहुंचे हैं। पीएमजीएसवाइ के अधिकारियों का कहना है कि इस मार्ग को खोलने के लिए बड़ी जेसीबी और पोकलैंड मशीन चाहिए जो विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। विभाग के पास मुनस्यारी क्षेत्र में तैनात एक मात्र बड़ी पौकलैंड मशीन बौना, तौमिक मार्ग पर खराब पड़ी है। दो दिन पूर्व पीएमजीएसवाइ ने स्थानीय पूर्व जिपं सदस्य खुशाल सिंह पिपलिया ने मशीन का खांचा लेकर मार्ग खोला था और अब कोटा पंद्रहपाला मार्ग खोलने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं।

भारी भरकम माने जाने विभाग की इस उदासीनता को देखते हुए खुशाल सिंह पिपलिया द्वारा अपने बूते मशीन लगाकर राया बजेता मार्ग खोला जा रहा है। कोटा पंद्रहपाला मार्ग के शीघ्र खुलने के अभी आसार नहीं हैं। इस क्षेत्र में लगभग आधा दर्जन गांवों में आवश्यक वस्तुओं सहित खाद्यान्न आदि की आपूर्ति नहीं होने पर भुखमरी की नौबत आ सकती है। राया-बजेता गांव को जोडऩे वाले पैदल मार्ग खाई में तब्दील हो चुके हैं। ग्रामीण खाइयों से होकर जान हथेली पर रख कर आवाजाही कर रहे हैं। गांव के बच्चे विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं। जिसे देखते हुए राया, बजेता और गोल गांव के ग्रामीण पैदल मार्ग बनाने में जुट चुके हैं।

दो दिन से शव पर पहरा दे रहे हैं ग्रामीण  

आपदा प्रभावित क्षेत्र के अति दुर्गम व दूरस्थ गांव राया बजेता में पैदल मार्ग ध्वस्त होने से दो दिन पूर्व मरी एक महिला का शव नहीं उठाया गया है। गांव से श्मशान जाने वाला मार्ग ध्वस्त है। मृतक महिला के शव पर ग्रामीण पहरा दे रहे हैं। राया गांव निवासी कौशल्या देवी का दो दिन पूर्व निधन हो गया था। गांव को जोडऩे वाले सभी मार्ग ध्वस्त हैं। जिनमें अकेले चल पाना संभव नहीं है ऐसे में दस किमी दूर श्मशान घाट तक अर्थी ले जाना पाना असंभव है। जिसके चलते दो दिन से महिला की अर्थी नहीं उठी है। मृतक के शव का ग्रामीण पहरा दे रहे हैं और महिला की अंत्येष्टि के लिए विचार विमर्श कर रहे हैं। विगत सात दिनों से अलग-थलग पड़े ग्रामीण महिला को श्मशान घाट तक नहीं ले पाने को लेकर हताश हैं। ग्रामीणों के सम्मुख शव को अधिक समय तक गांव में रखने की भी समस्या है। राया गांव इस पहाड़ी का सबसे ऊं चाई पर बसा गांव हैं। श्मशान घाट गांव से दस किमी दूर है। जहां तक पहुंचने वाले मार्ग का तो नामोनिशान नहीं है ऊपर से पूरे क्षेत्र में कटाव होने से विकल्प भी कुछ नहीं रह चुका है।

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