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Sawan 2021 : चार द्योली के पुजारी नंगे पांव करते हैं सुई विशुंग के 25 गांवों की परिक्रमा

Sawan 2021 सुई विशुंग की चार द्योली श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। आज भी न केवल पांच गांव सुई और बीस गांव विशुंग बल्कि दूर दराज के लोग न्याय की गद्दी लगाने यहां पहुंचते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 25 Jul 2021 04:28 PM (IST)
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Sawan 2021 : चार द्योली के पुजारी नंगे पांव करते हैं सुई विशुंग के 25 गांवों की परिक्रमा
चम्पावत, जागरण संवाददाता : Sawan 2021 : सुई विशुंग की चार द्योली श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। आज भी न केवल पांच गांव सुई और बीस गांव विशुंग, बल्कि दूर दराज के लोग न्याय की गद्दी लगाने यहां पहुंचते हैं। चार द्योली में विशुंग स्थित आदि शक्ति मां भगवती (कड़ाई देवी) सुई चौबेगांव स्थित मां भगवती, आदित्य महादेव, भूमिया देवता एवं पऊ गांव स्थित मस्टा मंडली और गलचौड़ा के डंगरियों और पुजारियों को प्रमुख स्थान मिला है। न्याय की गद्दी जिसे व्यास गद्दी भी कहा जाता है उसे बिना इन मंदिरों के डंगरियों एवं पुजारियों के नहीं लगाया जा सकता। खास बात यह है कि इन मंदिरों के पुजारी आज भी पूरी तरह नियम धर्म में रहते हैं।

लोहाघाट से छह किमी दूर कर्णकरायण स्थित प्रसिद्ध मां कड़ाई देवी मंदिर, सुई चौबेगांव स्थित मां भगवती मंदिर, आदित्य महादेव मंदिर एवं पऊ गांव के मस्टा मंडली के पुजारी साल भर तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हैं। कड़े नियमों में बंधे पुजारी एक साल तक जूते अथवा चप्पल भी नहीं पहनते। सर्दी हो या गर्मी, बर्फ गिरे या बारिश, प्रत्येक पर्व में नंगे पांच बीस गांव विशुंग और पांच गांव सुईं की परिक्रमा कर घर-घर जाकर इन्हें देवी देवताओं की पूजा के लिए चावल, दूध तथा घी लाना पड़ता है।

एक साल की अवधि में घर में चाहे कितने ही बड़े धार्मिक और पारिवारिक कार्यक्रम क्यों न हों, इन्हें मंदिर में ही रहना पड़ता है। चार द्योली में शुमार कर्णकरायत स्थित मां कड़ाई देवी मंदिर भक्तों की अगाध आस्था का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों को मां दुर्गा की अलौकिक शक्ति से सीधा साक्षात्कार होता है। मंदिर में छोटे से कांटे के वृक्ष में मां कड़ाई का वास माना जाता है। हालांकि यहां भव्य मंदिर भी बना है। इसी प्रकार सुई चौबे गांव स्थित मां भगवती एवं आदित्य महादेव मंदिर में भी वर्ष भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

इन मंदिरों के दर्शन के बाद चार द्योली में शामिल पऊ के चनकांडे गांव स्थित मस्टा मंदिर के दर्शन करने जरूरी होते हैं, अन्यथा चार द्योली की परिक्रमा का फल नहीं मिलता। चैत्र मास व शारदीय नव रात्रि में रामनवमी के रात में देव डांगरों की न्याय की गद्दी लगाई जाती है। जिसमें पांच गांव सुई व बीस गांव विशुंग के देव डांगरों के शरीर में देवता अवतरित होकर भक्तों को आर्शीवाद देते है। दशहरे के दिन के दिन बुड़ चौडा से गलचौड़ा चार द्योली होते हुए देव डांगर अस्त्र शस्त्रों को हाथ में लेकर गांवों की परिक्रमा कर मंदिर पहुंचते हैं।

वहां मंदिर में विधि विधान पूर्वक देव डांगरों को जल से स्नान करा कर चावल व दूध की गाल खाई जाती है। यहां सच्चे मन से मंदिर में पहुंचे भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। रक्षाबंधन के दिन आदित्य महादेव मंदिर प्रांगण से उठने वाली देवी रथ को बिना रस्सों के सहारे सुई विशुंग के 25 गांवों की परिक्रमा कराई जाती है। सावन मास में इन मंदिरों में सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

वर्तमान में ये पुजारी कर रहे पूजा

वर्तमान में मां कड़ाई मंदिर और आदित्य महादेव मंदिर के पुजारी का दायित्व राजेश पुजारी, मां भगवती मंदिर के पुजारी का दायित्व कैलाश चौबे एवं मस्टा मंदिर के पुजारी का दायित्व केशव दत्त चनकन्याल के पास है। 

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