कुमाऊं विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर पर नियुक्ति किसी की, ज्वाइनिंग लेटर किसी और को भेजा !
कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में असिस्टेंट प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति में अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 23 Jan 2020 08:52 AM (IST)
नैनीताल, किशोर जोशी : कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में असिस्टेंट प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति में अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है। कुलपति की ओर से बनाई गई जांच कमेटी ने इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की है। इस मामले में विधिक राय मिलने के बाद कुलपति ने जल्द उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाने के संकेत दिए हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि नियुक्ति के इस गड़बड़झाले में कर्मचारियों की भी मिलीभगत है।
नियुक्ति किसी और की और ज्वाइनिंग लेटर किसी और को विवि सूत्रों के अनुसार 2005 में डीएसबी भौतिकी विभाग में असिस्टेंट प्राध्यापक की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हुई थी। इस पद के लिए करीब-करीब दो एक समान नाम के अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। बताया जाता है कि जिस अभ्यर्थी का चयन हुआ था, उसके बजाय नियुक्ति पत्र उसी तरह के नाम के दूसरे अभ्यर्थी के लिए जारी कर दिया गया। विवि सूत्रों का कहना है कि असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन पवन कुमार मिश्रा नामक अभ्यर्थी का हुआ जबकि आरोप है कि नियुक्ति पत्र प्रमोद कुमार मिश्रा या पीके मिश्रा के नाम जारी कर दिया गया।
विवि कार्य परिषद की बैठक में उठा मामला विवि कार्य परिषद की बैठक में यह मामला उठा तो कुलपति प्रो. केएस राणा ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन कर रिपोर्ट मांगी। कमेटी में कार्य परिषद सदस्य कैलाश जोशी, डीन साइंस प्रो. एसपीएस मेहता, विधि संकाय के प्रो. एके पंत, डिप्टी रजिस्ट्रार शामिल थे। कमेटी ने प्रारंभिक जांच कर पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की।
कर्मचारियों की मिलीभगत का संदेहइस प्रकरण पर हाल ही में कुलपति प्रो. केएस राणा द्वारा हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव बिष्टï से विधिक राय मांगी। जिसके अनुसार इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन कर्मचारियों की मिलीभगत का संदेह है, लिहाजा नियुक्ति पत्र तैयार करने से लेक भेजने वाले कर्मचारी समेत अन्य को भी नोटिस भेजा जाए। कुलपति का कहना है कि जल्द नोटिस भेजा जाएगा। यहां बता दें कि डीएसबी भौतिकी विभाग के प्राध्यापकों का झगड़ा राजभवन व हाई कोर्ट, एससी आयोग तक पहुंच चुका है। आयोग के निर्देश पर विभाग के डॉ. पीएस नेगी व प्रो. पीके मिश्रा के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया था। यह प्रकरण भी हाई कोर्ट में लंबित है।
डॉ. पीके मिश्रा ने आरोपों को बताया साजिश डॉ. पीके मिश्रा, भौतिकी विभाग ने बताया कि मेरी नियुक्ति नियमानुसार व समस्त औपचारिकताएं पूरी कर की गई हैं। मेरे द्वारा विभाग के दो प्राध्यापकों की फर्जी डिग्री पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की थी, इसलिए अब मुझे साजिशन व जालसाजी कर परेशान किया जा रहा है। सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन ने मेरे चयन पर मुहर लगाई थी, एक प्राध्यापक ने अपनी पत्नी को नियुक्ति दिलाने का तानाबाना बुना था, नाकाम होने पर उसके द्वारा साजिश रची गई। तब तत्कालीन कुलपति ने उसे फटकार लगाई थी। विवि द्वारा मेरे नियुक्ति प्रकरण की जांच की जा रही है, इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। यदि नोटिस आएगा तो जवाब दिया जाएगा। मेरी नियुक्ति 2005 में नियुक्ति हुई थी, अब उठाए जा रहे सवाल मेें साजिश की बू आती है।
यह भी पढ़ें : कुमाऊं में लंबे समय से गैर हाजिर रहने वाले 15 एलटी शिक्षक बर्खास्त यह भी पढ़ें : बकाया जमा नहीं करने का मामला, पूर्व सीएम खंडूड़ी, निशंक और बहुगुणा को हाईकोर्ट से नोटिस
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।