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नेपाल सीमा के भारतीय बाजारों से रौनक गायब, अंतरराष्ट्रीय पुल खुला परआवाजाही शून्य

भारत में प्रवेश के लिए कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट आवश्यक करने और नेपाल में लॉकडाउन किए जाने से दोनों देशों के नागरिकों की आवाजाही शून्य हो चुकी है। इससे नेपाली ग्राहकों पर निर्भर रहने वाले सीमांत के भारतीय बाजारों में सन्नाटा है और दुकानदार परेशान हैं।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Wed, 12 May 2021 11:33 AM (IST)
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नेपाल के बैतड़ी जिले में लॉकडाउन के चलते नेपाली ग्राहक नहीं आ रहे हैं।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : भारत और नेपाल को जोडऩे वाले धारचूला एवं झूलाघाट के अंतरराष्ट्रीय पुल खुले हुए हैं। दोनों देशों की तरफ से सीमा बंद नहीं की गई है, लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते बाजार सूने पड़े हैं। भारत में प्रवेश के लिए कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट आवश्यक करने और नेपाल में लॉकडाउन किए जाने से दोनों देशों के नागरिकों की आवाजाही शून्य हो चुकी है। इससे नेपाली ग्राहकों पर निर्भर रहने वाले सीमांत के भारतीय बाजारों में सन्नाटा है और दुकानदार परेशान हैं।

भारत-नेपाल सीमा पर सबसे बड़ा बाजार धारचूला है। यहां करीब ढाई सौ दुकानें हैं और इस बाजार से प्रतिदिन लगभग करीब एक हजार नेपाली ग्राहक आकर खरीददारी करते हैं। नेपाल के लोग खाद्यान्न, नमक, तेल से लेकर कपड़े, जूते-चप्पल व अन्य रोजमर्रा की जरूरत वाली वस्तुएं भारतीय बाजारों से ही खरीदते हैं। आम दिनों में जब सुबह बाजार खुलता है तो यहां पर पहले ग्राहक नेपाल के ही लोग होते हैं। करीब 70 से 80 फीसद बिक्री नेपाली ग्राहकों पर निर्भर है। वहीं भारत का झूलाघाट बाजार तो पूरी तरह नेपाली ग्राहकों पर ही निर्भर है। यहां करीब डेढ़ सौ दुकानें हैं। नेपाल के बैतड़ी जिले में लॉकडाउन के चलते नेपाली ग्राहक नहीं आ रहे हैं। ऊपर से कोविड कफ्र्यू के चलते बाजार कुछ देर के लिए ही खुल रहे हैं।

नेपाली ग्राहक नहीं होने से दुकानदार खाली हाथ बैठे रहते हैं। धारचूला व्यापार संघ अध्यक्ष बीएस थापा का कहना है कि कोविड नियमों का अनुपालन जरूरी है, लेकिन पुल से नेपाली नागरिकों के आवागमन में ढिलाई दी जाए। जिससे कारोबार चौपट होने की स्थिति न बने और लोगों की जरूरतें भी पूरी होती रहे। एसडीएम एके शुक्ला के मुताबिक बिना कोविड निगेटिव रिपोर्ट के सीमा पार से आने पर रोक है। निगेटिव रिपोर्ट वाले लोग आ जा सकते हैं पुल खुले हुए हैं।

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