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Uttarakhand में नवोदय विद्यालय के हाल, 15 दिन पहले हुए एडमिशन; अब 325 बच्चों को अभिभावक ले गए वापस

Rajiv Gandhi Navodaya Vidyalaya Kotabagh बिजली का कार्य करने वाले श्रमिकों से कक्षा पांच के बच्चे ने कहा कि मुझे पापा से बात करनी है। मैं पूरे स्कूल में अकेला रह गया हूं। कोटाबाग निवासी खुशाल मेहरा ने बताया कि उन्होंने 15 दिन पहले ही बच्चे का प्रवेश दिलवाया था। विद्यालय में अव्यवस्थाएं देखकर सभी अभिभावक अपने बच्चे को घर ले गए। मेरा बच्चा ही विद्यालय में रह गया था।

By chayan rajput Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 10 Aug 2024 07:59 AM (IST)
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Rajiv Gandhi Navodaya Vidyalaya Kotabagh: लापरवाही व घोर अनदेखी की वजह से 325 बच्चों को अभिभावक ले गए घर

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Rajiv Gandhi Navodaya Vidyalaya Kotabagh: बिजली का कार्य करने वाले श्रमिकों से कक्षा पांच के बच्चे ने कहा कि मुझे पापा से बात करनी है। मैं पूरे स्कूल में अकेला रह गया हूं। अब रात में कैसे मैं यहां रह पाऊंगा? बच्चे की यह बातें सुन बिजली कर्मी ने उसके पिता से बात करवाई।

फोन पर भी बच्चे ने अपने पिता को यही दोहराया तो पिता खुशाल सिंह दौड़े-दौड़े अपने बच्चे को लेने स्कूल पहुंच गए। उन्होंने देखा कि 325 छात्र संख्या वाले उस स्कूल में केवल उन्हीं का बच्चा वहां है।

वह डरा सहमा हुआ लग रहा था। क्योंकि वहां दूसरा कोई भी बच्चा नहीं था। यह हाल था राजीव गांधी नवोदय विद्यालय स्यात कोटबाग का। जहां वर्षों से अव्यवस्थाएं हावी रहीं, लेकिन न ही किसी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान दिया और न ही अधिकारियों ने कभी निरीक्षण के बारे में सोचा।

15 दिन पहले ही बच्चे का प्रवेश दिलवाया था

कोटाबाग निवासी खुशाल मेहरा ने फोन पर बात करते हुए कहा कि उन्होंने 15 दिन पहले ही कक्षा पांच में बच्चे का प्रवेश दिलवाया था। इसलिए प्रवेश कराया क्योंकि इस विद्यालय में पढ़ाई काफी अच्छी होती है।

अब पता चला कि छात्रावास में गंदगी है। बाथरूम व शौचालय देखकर ऐसा लगता है कि मानो महीनों से उसे साफ नहीं किया गया हो। यही नहीं भोजन की गुणवत्ता भी खराब रहती है। खाने में कभी नमक तो कभी मिर्च ज्यादा।

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बच्चे ठीक तरह से खाना भी नहीं खा पाते थे। स्कूल में बिजली-पानी की भी ठीक व्यवस्था नहीं है। विद्यालय में अव्यवस्थाएं देखकर सभी अभिभावक एक-एक करके अपने बच्चे को घर ले गए। मेरा बच्चा ही विद्यालय में रह गया था।

इसके बावजूद विद्यालय प्रबंधन ने इसकी सूचना उन्हें नहीं दी। खुशाल कहने लगते हैं, अच्छा यह रहा कि बच्चे को मेरा मोबाइल नंबर याद था। जब उसने मुझे उसके अकेले होने की जानकारी मिली तो तब बच्चे को लेने स्कूल पहुंच गए।

जिम्मेदार अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान

राजीव गांधी नवोदय विद्यालय स्यात कोटाबाग में अव्यवस्थाओं के चलते पूरा स्कूल ही खाली हो गया। इस विद्यालय प्रबंधन कमेटी की अध्यक्ष डीएम होते हैं। अभिभावकों का आरोप है कि कई दिनों से चल रहे इस प्रकरण को प्रशासन ने भी गंभीरता से नहीं लिया।

अगर मामले को गंभीरता से लिया गया होता तो आज यह नौबत नहीं आती। इधर प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी पुष्कर टम्टा ने बताया कि 11 अगस्त को बच्चों के सभी अभिभावकों की बैठक बुलाई गई है जिसमें पीटीसी का गठन किया जाएगा।

पद भरने की नहीं किसी को चिंता

वर्षों से प्रधानाचार्य का पद रिक्त था। उपखंड शिक्षा अधिकारी ही जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसके अतिरिक्त दो शिक्षक, दो मेट्रेन के अतिरिक्त कैसेट्रिंग, प्रधान सहायक, वरिष्ठ लिपिक, लैब सहायक, कुक लाइब्रेरियन समेत मैच संचालक तक के पद रिक्त चल रहे हैं। इस कमी की वजह से पूरा व्यवस्था चौपट हो गई थी।

अधिकांश शिक्षक भी परिसर में नहीं रहते

अभिभावकों की यह भी शिकायत थी कि अधिकांश शिक्षक दूसरे शहर व अन्य जगहों से विद्यालय में आते हैं। जबकि अधिकांश शिक्षकों को परिसर में ही रहना चाहिए था। इससे व्यवस्था बनती। दुर्भाग्य है कि इस तरह की व्यवस्था देखने वाला कोई नहीं था।

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