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भगवान राम से जुड़े जंगलों की कहानी बताएगी बायो डायवर्सिटी पार्क की रामायण वाटिका

रामपुर रोड स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क में बनाई गई रामायण वाटिका को देखने पर लोगों को पता चलेगा कि वाल्मीकी रामायण वनस्पति विज्ञानियों के लिए ज्ञानवृद्धि का भंडार है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 14 Jul 2020 07:06 PM (IST)
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भगवान राम से जुड़े जंगलों की कहानी बताएगी बायो डायवर्सिटी पार्क की रामायण वाटिका
हल्द्वानी, जेएनएन : रामपुर रोड स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क में बनाई गई रामायण वाटिका को देखने पर लोगों को पता चलेगा कि वाल्मीकी रामायण वनस्पति विज्ञानियों के लिए ज्ञानवृद्धि का भंडार है। वनवास के दौरान भगवान राम छह अलग-अलग तरह के वनों से होकर गुजरे थे। उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र द्वारा इन वनों में पाई जाने वाली 25 प्रजातियों को नर्सरी में तैयार कर रामायण वाटिका में संरक्षित किया है। कुछ प्रजातियां उत्तराखंड के बाहर से भी लाई गई है। धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के जरिये लोगों को पर्यावरण संरक्षण संग जोडऩा वाटिका का उद्देश्य है।

वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक रामायण के अरण्य कांड नामक खंड में श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास का विस्तृत वर्णन है। चित्रकूट, दंडकारण्य, पंचवटी, किष्किंधा, अशोक वाटिका व द्रोणागिरी के जंगल का जिक्र इसमें शामिल है। अशोक व द्रोणागिरी को छोड़कर बाकी जगहों पर राम अपने निर्वासन काल की अवधि में रहे। रामायण का अध्ययन करने पर पता चला कि किस जंगल में कौनसी वनस्पति तब मौजूद थी।

वन संरक्षक चतुर्वेदी ने बताया कि वाल्मीकी रामायण में जिन प्रजातियों का उल्लेख है। उनमें से करीब नब्बे प्रतिशत अब भी मूल जगहों पर पाई जाती है। इसमें से 25 को रामायण वाटिका में लगाया गया है। यहां मौजूद बोर्ड में इनके बारे में पूरी जानकारी भी मिलेगी। पता चलेगा कि किस इन जंगलों का रामायण में क्या वर्णन है। इससे पूर्व भी वन अनुसंधान ने धार्मिक वाटिकाओं का निर्माण किया था। लोगों को वनस्पतियों के धार्मिक महत्व से रूबरू करवाने को यह प्रयास किए जा रहे हैं।

वाल्मीकी रामयण में इन वनों का जिक्र

  • -चित्रकूट: वर्तमान में यह जंगल यूपी के चित्रकूट जिले और एमपी के सतना की सीमा पर स्थित है। भरत अपने बड़े भाई श्रीराम से मिलने यहीं आए थे। नीम, बांस, ब्राहृमी आदि यहां की मुख्य प्रजातियां थी।
  • -दंडकारण्य: छत्तीसगढ़ के बस्तर से लेकर ओडिसा, तेलंगाना तक यह फैला है। विरधा समेत अन्य असुरों का राम ने यहां वध किया था। साल, महुआ, अर्जुन यहां की प्रजाति थी।
  • -पंचवटी: नासिक में गोदावरी के तट पर स्थित पंचवटी के जंगल में रावण ने माता सीता का हरण किया था। अशोक, पीपल, बरगद यहां की प्रजाति थी।
  • -किष्किंधा: यहां श्रीराम की की भेंट हनुमान व सुग्रीव से हुई थी। वर्तमान में यह स्थान कर्नाटक के बेल्लारी जिले में है। वाल्मीकी रामायण के मुताबिक चंदन, रक्त चंदन, ढाक यहां की मुख्य प्रजातियां है।
  • -अशोक वाटिका: सीता माता का हरण करने के बाद रावण ने उन्हें यहां बंदी बनाकर रखा था। यह स्थान श्रीलंका के हकगला वनस्पति उद्यान में पड़ता है। मौलश्री, सीता अशोक मुख्य प्रजाति है।
  • -द्रोणागिरी: मेघनाथ से लड़ते हुए जब लक्ष्मण घायल हुए तो हनुमान उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरी पर्वत को उठा लाए थे। संजीवनी, संधानी यहां की प्रमुख औषधीय प्रजाति है।

वाटिका में इनका संरक्षण

रामायण वाटिका में रक्त चंदन, सीता, अशोक, नागेश्वर, चंदन, चंपा, जीवंती, अर्जुन, बरगद, पीपल, बेर, मौलश्री, ब्राहमी, नागकेसर, साल, सागौन, कुश घास, चिरौंजी व कुछ औषधियों वनस्पतियों को लगाया गया है। इनमें रक्त चंदन, सीता, अशोक, नीम, नागेश्वर उत्तराखंड की मूल नहीं है। इन्हें बाहर से लाया गया है।

ओली ने अयोध्या को नेपाल में बताया था

वाल्मीकी रामायण के हवाले से वन अनुसंधान केंद्र ने एफटीआई स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क में रामायण वाटिका को तैयार किया है। वहीं, नेपाली पीएम केपी ओली ने हाल में विवादित बयान देकर कहा था भगवान राम का जन्मस्थान अयोध्या नेपाल में है।

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