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World Health Day : रिटायर्ड होने के बावजूद कोरोन से लड़ने के लिए रंजना ने फिर ज्वाइन किया हॉस्पि‍टल

कोरोना वायरस के खौफ से जहां पूरी द‍ुनिया डरी ऐसे में अलग-अलग अस्पतालों में कार्यरत नर्सें हिम्मत हौसला व सेवा की मिसाल पेश कर रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 07 Apr 2020 09:32 AM (IST)
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World Health Day : रिटायर्ड होने के बावजूद कोरोन से लड़ने के लिए रंजना ने फिर ज्वाइन किया हॉस्पि‍टल
हल्द्वानी, जेएनएन : कोरोना वायरस के खौफ से जहां पूरी द‍ुनिया डरी ऐसे में अलग-अलग अस्पतालों में कार्यरत नर्सें हिम्मत, हौसला व सेवा की मिसाल पेश कर रही हैं। रुद्रपुर के जिला चिकित्सालय में एक नर्स सेवानिवृत होने के बाद भी महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए जुटी हैं, वहीं बेस अस्पताल में भी नर्सें निडरता के साथ सेवा को पूरी तरह समर्पित हैं। एसटीएच में चार नर्सें आइसोलेशन वार्ड में मुस्तैदी से जुटी हुई हैं। अब इन्हें भी क्वारंटाइन में रहना पड़ रहा है। फिर भी सेवा को लेकर पूरी तरह समर्पित हैं।

कोरोना के खिलाफ निश्शुल्क जंग लड़ने को उतरी रंजना

अगर मन में सेवा करने का भाव हो और इरादे बुलंद हों तो फिर सेवा के लिए कोई समय व जगह मायने नहीं रह जाते हैं, इसी हौसले के साथ कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए जुट गई हैं रंजना वालिया। वैसे तो वह स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत हो चुकी हैं, लेकिन इस भीषण संकट के दौर में उन्हें घर पर आराम करना अच्छा नहीं लगा। जिला अस्पताल रुद्रपुर में सेवा के लिए अनुमति मांग ली। अस्पताल प्रशासन ने उनकी इच्छा का सम्मान किया। वह निश्शुल्क सेवा के लिए तैयार हो गईं। नर्सिंग का प्रतिष्ठित फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार हासिल कर चुकी रंजना कहती हैं, मुझे नर्सिंग का पूरा अनुभव है। इस समय देश पर संकट आया है। नर्सिंग स्टाफ पहले से ही कम है। ऐसे में मेरा मन घर पर कैसे लगता। अपने अनुभव से मरीजों की सेवा करने का सौभग्य मिल रहा है तो क्यों न किया जाए।

हमारा पेशा मानवता की सेवा का है

नरेंद्र तिवारी, स्टाफ नर्स, बेस अस्पताल ने बताया कि हमने जब यही पेशा चुना है, तो उसे पूरे समर्पण से पूरा करना है। कोरोना संकट के समय हमारी सेवा से लोगों के जान बच जाती है तो इससे बड़ी मानव सेवा और क्या हो सकती है। हम हमेशा पूरी तरह सेवा के लिए तैयार हैं। वहीं दया सिजवाली, सिस्टर इंचार्ज, बेस अस्पताल ने बताया क‍ि हम पूरी तरह समर्पित होकर सेवा करने को तैयार हैं। घबराने जैसी कोई बात नहीं। थोड़ा डर तो लगता है लेकिन जब मानवता की सेवा की होती है तो इसके लिए फिर किसी तरह का समझौता नहीं रह जाता है। कोरोना मरीजों को देखते समय जरूरी संसाधनों की उपलब्धता भी बनी रहनी चाहिए।

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