बैजनाथ मंदिर में कैद हैं कत्यूरी शासन की 130 दुर्लभ मूर्तियां, जानें इनका इतिहास
गरुण के विश्व प्रसिद्ध बैजनाथ मंदिर के एक बंद कमरे में रखीं 130 दुर्लभ मूर्तियां 35 साल से धूल फांक रही हैं। पर्यटकों समेत स्थानीय लोगों के दर्शन से ये मूर्तियां अछूती हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 09 Jan 2019 07:38 PM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : गरुण के विश्व प्रसिद्ध बैजनाथ मंदिर के एक बंद कमरे में रखीं 130 दुर्लभ मूर्तियां 35 साल से धूल फांक रही हैं। पर्यटकों समेत स्थानीय लोगों के दर्शन से ये मूर्तियां अछूती हैं। सातवीं-आठवीं सदी के कत्यूरी शासनकाल की इन प्रतिमाओं का दर्शन सिर्फ इसलिए नहीं हो रहा, क्योंकि इसके लिए प्रस्तावित संग्रहालय के निर्माण का मामला ठंडे बस्ते में है। पुरातत्व विभाग इसके लिए अभी तक भूमि का चयन भी नहीं कर सका है। जबकि मूर्तियों की सुरक्षा पर पुरातत्व विभाग एक लाख रुपये प्रतिमाह खर्च कर रहा है।
जन-जन की आस्था के प्रतीक प्राचीन बैजनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं-आठवीं शताब्दी के कत्यूरी राजाओं ने करवाया था। यहां स्थापित प्रतिमाओं के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। बताया जाता है कि 70 के दशक तक पौराणिक धरोहर के रूप में यहां की सभी मूर्तियां श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुले कमरे में रखी गई थीं। इनमें वे भी शामिल हैं, जो पुरातत्व विभाग और स्थानीय लोगों द्वारा कराई गई खुदाई के दौरान मिली थीं। कहा जाता है कि कुछ मूर्तियों की चोरी की घटना के बाद पुरातत्व विभाग ने मंदिर परिसर के ही एक कमरे में सभी 130 मूर्तियों को रखकर ताला जड़ दिया। साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए चौकसी की व्यवस्था कर दी। सुरक्षा का खर्च पुरातत्व विभाग ही वहन कर रहा है।
वर्ष 1984 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह जब बैजनाथ आए तब लोगों की मांग पर उन्होंने मूर्तियों के दर्शन के लिए संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने संग्रहालय निर्माण के लिए तत्काल 15 लाख की राशि भी प्रदान कर दी थी, लेकिन विडंबना है कि 35 साल बाद भी विभाग को संग्रहालय बनाने के लिए जमीन तक नहीं मिल पाई है। जिसके चलते पौराणिक महत्व की मूर्तियां कमरे में कैद हैं। ऐसे में इनके न तो दर्शन हो पा रहे हैं और न ही उनकी सफाई हो रही है। उत्तराखंड राज्य बनने के 19 सालों में यहां की सरकारों ने भी इस दिशा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
खुदाई पर रोक का खामियाजा भुगत रहे हैं लोग
बैजनाथ मंदिर परिसर के आसपास के भूभाग की खुदाई के दौरान यहां कत्यूरी शासनकाल की मूर्तियां मिलती रही हैं। यही वजह है कि पुरातत्व विभाग की ओर से सत्तर के दशक से ही मंदिर के दो सौ मीटर की परिधि में खुदाई पर प्रतिबंध है। यह प्रतिबंध मंदिर के आसपास बसे लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। उन्हें इस बात का मलाल है कि प्रतिबंध के कारण वे यहां न तो कोई नव निर्माण करा पा रहे हैं और न ही उनके भवनों की मरम्मत हो पा रही है।
अल्मोड़ा संग्रहालय में भी हैं मूर्तियां
पौराणिक व कत्यूरी शासन की राजधानी रही बैजनाथ की कई मूर्तियां गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा में रखी गई हैं। साल 1997 में यूपी सरकार ने कौसानी की पंत वीथिका को राजकीय संग्रहालय बनाने की कवायद शुरू की थी, जो आज तक परवान नहीं चढ़ पाई है।विभाग तलाश रहा है जमीन
डॉ आरके पटेल, अधीक्षण, पुरातत्व, देहरादून ने बताया कि बैजनाथ में संग्रहालय के साथ-साथ अन्य निर्माण कार्य भी किए जाने हैं। इसके लिए विभाग जमीन तलाश रहा है। डीएम को कई बार पत्र लिखे गए हैं। प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। सरकार भी इस दिशा में प्रयास कर रही है। बैजनाथ मंदिर को भव्य रुप देने के लिए विभाग गंभीर है।यह भी पढ़ें : ऐतिहासिक कोटली विष्णु मंदिर अब राष्ट्रीय धरोहर, बढ़ेंगी पर्यटन गतिविधियां
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