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लाइफ स्टाइल डिजीज से बचने के लिए ये काम जरूर करें, नहीं तो पछताएंगे

लगातार कमर व गर्दन झुकाकर मोबाइल व लैपटॉप में काम करना, कुर्सी में गलत तरीके से बैठना, भारी वजन उठा लेना, इस तरह के तमाम कारण हैं, जिनकी वजह से स्लिप डिस्क की समस्या बढऩे लगी है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 28 Oct 2018 06:03 PM (IST)
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लाइफ स्टाइल डिजीज से बचने के लिए ये काम जरूर करें, नहीं तो पछताएंगे
हल्द्वानी (जेएनएन): लगातार कमर व गर्दन झुकाकर मोबाइल व लैपटॉप में काम करना, कुर्सी में गलत तरीके से बैठना, आढ़ा-तिरछा होकर टीवी देखना, भारी वजन उठा लेना, इस तरह के तमाम कारण हैं, जिनकी वजह से स्लिप डिस्क की समस्या बढऩे लगी है। अगर हमें गंभीर होती इस बीमारी से निजात पाना है, तो पहले पोस्चर ठीक रखना होगा। इसके अलावा नियमित व्यायाम को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। यह सलाह वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. बिनोद जोशी की है, जो रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में मौजूद रहे। उन्होंने कुमाऊं भर से सुधी पाठकों को स्लिप डिस्क का कारण बताया और बचाव व उपचार के बारे में भी उचित परामर्श भी दिया।

ये है स्लिप डिस्क

डॉ. जोशी बताते हैं, स्लिप डिस्क, जिसे स्पाइनल डिस्क हर्निएशन भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे गृध्रसी वात कहते हैं। इसे सियाटिका के नाम से भी जानते हैं। यह कमर दर्द की एक बड़ी समस्या है। रीढ़ की हड्डी के चारों ओर की मांसपेशियों के लंबे समय तक कठोर एवं संकुचित होने से उस स्थान पर ऐंठन और दर्द होता है और दबाव पडऩे के कारण रीढ़ की हड्डी के बीच की कार्टिलेज में दरार पड़ जाती है, तब यह समस्या पैदा होने लगती है।

जानें स्लिप डिस्क का कारण

  • लंबे समय तम एक ही पोस्चर में बैठना
  • झटके में भारी वजन उठाना
  • गर्दन आगे झुकाने वाला काम करना
  • गड्ढे वाले स्थानों पर अधिक वाहन चलाना
  • बेतरतीब स्पीड ब्रेकर्स पर वाहन चलाना
ऐसे पहचानें स्लिप डिस्क

  • कमर में तेज दर्द होना
  • कमर का दर्द पांवों तक जाना
  • दर्द धीरे-धीरे बढऩा
  • रात के समय ज्यादा दर्द होना
  • झुनझुना व दर्द महसूस होना
बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

  • नियमित व्यायाम करें
  • कुर्सी स्टाइल में बैठें
  • झुकने वाले कार्य न करें
  • स्नायु तंत्र को मजबूत रखें
  • लंबे समय तक एक जगह न बैठें

मर्म चिकित्सा से भी उपचार

डॉ. जोशी का कहना है कि बीमार को ठीक करने के लिए दवाइयों के अलावा मर्म चिकित्सा की जाती है। इसमें पंचकर्म, पोटली की सिकाई भी कारगर होती है। सबसे पहले जरूरी है कि रोग पैदा ही न हो, इसके लिए व्यायाम करें। खासकर कमर को मजबूत करने वाले व्यायाम पर ध्यान दें।

इन्होंने लिया परामर्श

नरेश पाल बाजपुर, लक्ष्मण सिंह नेगी मुक्तेश्वर नैनीताल, डीएस छिमवाल रामनगर, तीरथ कुमार गदरपुर, कपिल अग्रवाल खटीमा, गीता रावत अल्मोड़ा, कुंदन सिंह रावत बागेश्वर, पूनम हल्द्वानी, लक्ष्मण सिंह बिंदुखत्ता लालकुआं, कंचन भट्ट हल्द्वानी, ललित जोशी भीमताल, पवन सिंह पिथौरागढ़, रोली रुद्रपुर, इदरीश बाजपुर आदि ने फोन कर परामर्श लिया।

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