नैनीताल फिर आपदा के मुहाने पर, लोअर माल रोड पर करीब 20 मीटर हिस्से में धंसाव nainital news
क्रिसमस से थर्टी फर्स्ट पर बढ़े वाहनों के दबाव से लोअर माल रोड पर करीब 20 मीटर हिस्से में धंसाव के साथ ही दरार पड़ गई है। जिसको लेकर शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 03 Jan 2020 08:32 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : बात सुनने में जरा खौफ पैदा करेगी, लेकिन है बिल्कुल सच। देश के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में शुमार नैनीताल आपदा के मुहाने पर खड़ा है। हर दिन इसके कुछ न कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जो बेहद डरावने हैं। जहां पिछले साल नैनीताल की लोवर माल रोड का बड़ा हिस्सा नैनी झील में धंस गया था वहीं बलियानाला की पहाड़ियों का दरकना निरंतर जारी है। वहीं इस वर्ष फिर क्रिसमस से थर्टी फर्स्ट पर बढ़े वाहनों के दबाव से लोअर माल रोड पर करीब 20 मीटर हिस्से में धंसाव के साथ ही दरार पड़ गई है। जिसको लेकर शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। शुक्रवार को पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता की मौजूदगी में श्रमिकों में माल रोड पर पड़े दरार को भरा। दिनों दिन बढ़ता शहर पर बोझ और अंधाधुंध हुए निर्माण ने हालात को जटिल बना दिया है। आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी स्थितियां बनी जो आज नैनीताल को अपदा के इस मुहाने पर लाकर खड़ी कर दी हैं।
40 करोड़ के ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट को नहीं मिली मंजूरी
दरअसल 18 अगस्त 2018 को ग्रांड होटल के समीप लोअर माल रोड का करीब 25 मीटर हिस्सा झील में समा गया था। पाइप गाडऩे व जियो बैग की चिनाई से 33 दिन बाद यातायात शुरू हुआ था। तब राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री, शासन-प्रशासन के अधिकारियों ने माल रोड का निरीक्षण किया। करीब 23 लाख में क्षतिग्रस्त हिस्से का ट्रीटमेंट किया गया। लोनिवि ने माल रोड के ट्रीटमेंट के लिए करीब 40 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा था मगर आइआइटी रुड़की, आपदा प्रबंधन विभाग व जीएसआइ के विशेषज्ञों के माल रोड से लेकर ऊपर की पहाड़ी के निरीक्षण के बाद भी बजट नहीं मिला। अब लोअर माल रोड में सूचना विभाग कार्यालय के समीप के करीब 20 मीटर हिस्से में दरार पड़ गई है। सड़क के बीचोबीच पड़ी इस दरार बड़ा खतरा बन सकती है। यहां बता दें कि दो साल पहले विशेषज्ञों की जांच रिपोर्ट में लोअर माल रोड टूटने की वजह झील में गिरने वाले नालों का चोक होना बताया गया था। अब नया खतरा वाहनों के बढ़ते दबाव को माना जा रहा है।
अंधाधुंध हुए शहर में अवैध निर्माण
वर्तमान में नैनीताल की बसासत इतनी सघन हो चुकी है कि अब निर्माण की गुंजाइश ही नहीं है। इसके बावजूद बचे खुचे स्थानों पर भी उपर तक पहुंच रखने वाले लोगों ने निर्माण कार्य जारी रखा। मानकों को ताक पर रखकर उन्हें इसकी स्वीकृति भी मिलती रही। लेकिन जब हद हो गई तो उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मामले का खुद संज्ञान लेते हुए सरोवर नगरी में निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध ला दिया।
बाहर के वाहनों को प्रवेश की अनुमति पिछले वर्ष तक आम दिनों को छोड़ दिया जाए तो पर्यटन सीजन में भी बाहर से आने वाले वाहनों पर कोई प्रतिबंध नहीं था। नतीजा ऐसे दिनों में पार्किंग पूरी तरह से फुल हो जाती थी। पर्यट सीजन में वाहनों की भीड़ इस कदर बढ़ जाती रही है कि काठोदाम से नैनीताल तक वाहनों की लंबी कतार लग जाती थी। ऐसे में लोकल के लोगों को अपने घर और ऑफिसों में पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का संचालन नहीं बार बार मांग उठने और प्रस्ताव बनने के बावजूद नैनीताल के लिए अभी तक इलेक्ट्रॉनिक वाहन अभी तक नहीं चल सके। इसका नुकसान होता है कि लोग व्यक्तिगत वाहन लेकर पहुंच जाते हैं। इससे जहां सरोवर नगरी में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है वहीं अनावश्यक का दबाव भी आपदा के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। पिछले दिनों नैनीताल के लिए जो इलेक्ट्रिक बस लगाई गई थी वह भी सफल नहीं रही।
पर्यटकों के आगमन पर कोई प्रतिबंध नहीं नैनीताल को नैसर्गिक सौंदर्य इस कदर को लोगों को भाता है कि हर कोई यहां खिंचा चला है। इससे दिन ब दिन सरोवर नगरी पर दबाव बढ़ता जा रहा है। पर्यटकों के आमद को लेकर कोई नीति नहीं बनी है। इसका खामियाजा सरोवर नगरी और यहां रहने वाले स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।वनों का अंधाधुंध कटान
वनों का अंधाधुंध कटान भी सरोवर नगरी के लिए घातक साबत हुआ है। पेड़ों का कटना पहाड़ों के दरकने की बड़ी वजह मानी जाती है। लेकिन शुरुआती दिनों में इस पर कोई अंकुश न लगने के कारण सरोवर नगरी को काफी नुकसान पहुंचा है।अपर माल रोड के लिए भी बढ़ा खतरा नैनीताल में लोअर माल रोड के धंसने के कारण अपर माल रोड भी खतरे की जद में है। दरअसल माल रोड के ठीक ऊपर की पहाड़ी के भीतर भारी मात्रा में पानी रिसकर पहुंच रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पहाड़ियों में जलरिसाव रोकने के लिये नालों की मरम्मत बेहद जरूरी है लेकिन चिन्ता की बात यह है कि रिसाव के पानी को झील तक पहुंचाने वाले 12 नाले गायब हो चुके हैं। ये सभी नाले संवेदनशील क्षेत्रों में थे। वर्ष 1880 में शेर का डांडा पहाड़ी में भूस्खलन हुआ था जिसने नैनीताल को भारी नुकसान पहुंचाया था।
ऊपरी ट्रीटमेंट से इस समस्या का स्थायी समाधान नामुमकिनकुविवि के भू वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत का इस बारे में कहना है कि नैनीताल की माल रोड की मिट्टी पूर्व में हुए भूस्खलन का मलबा है। जिस कारण यह हिस्सा लगातार खिसक रहा है। सिर्फ ऊपरी ट्रीटमेंट से इस समस्या का स्थायी समाधान मुमकिन नहीं है बल्कि पूरे झील के सतह से ही ट्रीटमेंट होना है। आइआइटी रुड़की ने भी इसकी डिटेल रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को सौंपी है। उम्मीद है जल्द लोनिवि के प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन होगा।
यह भी पढ़ें : बाइपास पुल बनने के बाद सालों पुराना कोसी बैराज पुल भारी वाहनों के लिए बंद यह भी पढ़ें : नशा व जुआ खेलने वालों को महिलाओं ने लगाया 'बिच्छू' का डंक, फिर गदल गई गांव की सूरत
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।