हल्द्वानी को जाम के झाम से मुक्ति दिलाएगी रिंग रोड, जानिए और भी बहुत कुछ
रिंग रोड को केंद्रीय वित्त पोषित योजना से स्वीकृति मिलने पर हल्द्वानी के लोगों के साथ कुमाऊं भर में आने वाले पर्यटकों को राहत मिलेगी।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 22 Feb 2019 12:35 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : रिंग रोड को केंद्रीय वित्त पोषित योजना से स्वीकृति मिलने पर हल्द्वानी के लोगों के साथ कुमाऊं भर में आने वाले पर्यटकों को राहत मिलेगी। रोजाना पैदा होने वाली जाम की समस्या का स्थायी समाधान रिंग रोड प्रोजेक्ट ही है। बेतरतीब बस चुके शहर में रिंग रोड का निर्माण बहुत जरूरी है।
22 अप्रैल 2017 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी में रिंग रोड बनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद एक करोड़ 57 लाख रुपये इस प्रोजेक्ट की फिजीबिलिटी टेस्ट के लिए स्वीकृत होने के पर क्रॉफ्ट कंसलटेंसी कंपनी को सर्वे का काम दिया गया। रिंग रोड का भौतिक सत्यापन होने के बाद करीब सात सौ करोड़ की लागत आंकी गई। हालांकि बाद में प्रोजेक्ट की लागत एक हजार तक पहुंच गई थी। महंगा प्रोजेक्ट होने के कारण इसे केंद्र सरकार को भेजा गया। वहीं सैद्धांतिक अनुमति मिलने पर शासन ने इसकी फाइल केंद्रीय पोषित योजना में बढ़ा दी। वहीं केंद्रीय मंत्री नितीन गड़करी द्वारा अब प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखाने पर जल्द इस पर काम शुरू होने की संभावना है।
प्रथम चरण में चाहिए 208 करोड़
रिंग रोड को प्रथम चरण में 208 करोड़ रुपये चाहिए। यह पैसा लैंड ट्रांसफर, भूमि अधिग्रहण आदि में खर्च होना है। बाकि रकम निर्माण कार्य में लगेगी। यह रिपोर्ट पहले ही तैयार हो चुकी है।
रिंग रोड का 40 प्रतिशत हिस्सा वनभूमि
फिजिबिलिटी टेस्ट के दौरान पता चला था कि ङ्क्षरग रोड बनाने में 40 प्रतिशत जमीन वन विभाग की चाहिए। यानी करीब 20 किमी जंगल एरिया से सड़क निकलेगी। वन विभाग को जल्द लैंड ट्रांसफर का प्रस्ताव तैयार करने को कहा जा चुका है।
पहले चार चरणों में होना था निर्माण रिंग रोड का निर्माण पहले चार चरण में होना था। इसके लिए लोनिवि व सर्वे कंपनी ने बैठक कर प्रस्ताव भी तैयार किया था। चार चरण में प्रस्ताव भेजने की वजह इसकी लागत थी। हालांकि बाद में जब इसे केंद्र को भेजा गया तो यह प्रस्ताव पीछे खींच लिया गया।
रिंग रोड यहां से गुजरेगी रिंग रोड शहर से बाहर होकर निकलेगी। अधिकांश हिस्सा ग्रामीण एरिया का है। काठगोदाम से पनियाली, फतेहपुर, लामाचौड़ पहुंचने के बाद सड़क गन्ना सेंटर को मुड़ेगी। उसके बाद मोटाहल्दू पर नेशनल हाइवे पर निकलेगी। फिजिबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक वहां से खेड़ा गौलापार होते हुए काठगोदाम पहुंचेगी।
दिल्ली, दून और लखनऊ से आने वाले पर्यटक की राह आसान रिंग रोड बनने पर बरेली रोड, रामपुर रोड और देहरादून की ओर से आने वाला ट्रैफिक शहर में नहीं घुसेगा। जिसका सीधा फायदा पर्यटकों व स्थानीय लोगों को होगा। बरेली रोड से आने वाले वाहन मोटाहल्दू से, रामपुर रोड से आने वाले वाहन गन्ना सेंटर से व कालाढूंगी रोड से आने वाली गाडिय़ां लामाचौड़ से रामपुर रोड की तरफ घूम जाएगी।
भूभर्गीय रिपोर्ट तैयार करनी पड़ी रिंग रोड की सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के दौरान लोक निर्माण विभाग ने सर्वे कंपनी संग कई चरणों की बैठक की। जिसकी वजह सर्वे रिपोर्ट में शामिल कई आपत्तियां थी। लामाचौड़ के पास हिल एरिया पडऩे के कारण भू-भर्गीय रिपोर्ट तैयार करनी पड़ी थी।
दो साल में ढाई गुना बढ़ा बजट रिंग रोड का बजट लगातार बढ़ता गया। शुरुआत में इसका प्राथमिक आंकलन चार सौ करोड़ था। भौतिक सत्यापन होने पर यह सात सौ करोड़ पहुंच गया। लेकिन दोबारा सर्वे होने पर राशि ढाई गुना बढकर एक हजार करोड़ पहुंच गई।
एलीवेटेड रोड को चाहिए 240 करोड़ प्रोजेक्ट की लागत में उछाल की एक वजह दमुवाढूंगा में ब्यूरा नामक जगह पर लैंडस्लाइड होना है। इस वजह से यहां एलिवेटेड रोड बनाई जानी है। 275 मीटर एलीवेटेड रोड, काठगोदाम में डबल लेन पुल व छुटमुट बदलाव की वजह से बजट 240 करोड़ रुपये बढ़ गया।कब क्या हुआ
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- मई में सर्वे कंपनी को तलाशा गया।
- मई 2017 में भौतिक सत्यापन का काम पूरा हुआ।
- अक्टूबर 2017 में प्रथम चरण का सर्वे पूरा हुआ।
- मार्च 2018 में सर्वे कंपनी ने कुछ आपत्तियों का निस्तारण कर फिर रिपोर्ट लोनिवि को सौंपी।
- जून 2018 में 762.59 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया।
- दिसंबर 2018 में पुन: फिजिबिलिटी टेस्ट होने पर बजट 240 करोड़ बढ़कर एक हजार करोड़ पहुंच गया।