ऋषिकेश की तर्ज पर जौलजीवी को राफ्टिंग सेंटर बनाने का सपना अधूरा, जानिए कारण
रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा देने के लिए ऋषिकेश की तर्ज पर काली और गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीवी में बनने वाला रिवर राफ्टिंग सेंटर का सपना चूर हो चुका है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 29 Apr 2019 12:30 PM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा देने के लिए ऋषिकेश की तर्ज पर काली और गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीवी में बनने वाला रिवर राफ्टिंग सेंटर का सपना चूर हो चुका है। पांच करोड़ की लागत से बनने वाले इस सेंटर निर्माण में एक करोड़ रुपये व्यय करने के बाद सब कुछ बंद हो गया है। जौलजीवी को ऋषिकेश बनाने का सपना चूर हो चुका है।
साहसिक पर्यटन के तहत उत्त्तराखंड की नदियों में रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष कांग्रेस शासनकाल में जौलजीवी में ऋषिकेश की तर्ज पर रिवर राफ्टिंग सेंटर की योजना स्वीकृत हुई। योजना के लिए पांच करोड़ रु पए की धनराशि स्वीकृत की गई। जौलजीवी में स्थल का चयन किया गया। सेंटर निर्माण के लिए धन केंद्र से मिलना था। वर्ष 2014 में निर्माण के पहली किश्त लगभग 94 लाख रुपये अवमुक्त हुए। सेंटर के कार्य की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम को दी गई। प्रथम किश्त मिलने के साथ काली नदी किनारे भूमि चयन कर कार्य प्रारंभ किया गया। केएमवीएन ने अवमुक्त धनराशि से अधिक कार्य किया। बाद में योजना के तहत धन आना बंद होने से कार्य ठप हो गया। पांच साल गुजरने के बाद भी राफ्टिंग सेंटर का कार्य आगे नहीं बढ़ सका है।
साहसिक पर्यटन के तहत उत्त्तराखंड की नदियों में रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष कांग्रेस शासनकाल में जौलजीवी में ऋषिकेश की तर्ज पर रिवर राफ्टिंग सेंटर की योजना स्वीकृत हुई। योजना के लिए पांच करोड़ रु पए की धनराशि स्वीकृत की गई। जौलजीवी में स्थल का चयन किया गया। सेंटर निर्माण के लिए धन केंद्र से मिलना था। वर्ष 2014 में निर्माण के पहली किश्त लगभग 94 लाख रुपये अवमुक्त हुए। सेंटर के कार्य की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम को दी गई। प्रथम किश्त मिलने के साथ काली नदी किनारे भूमि चयन कर कार्य प्रारंभ किया गया। केएमवीएन ने अवमुक्त धनराशि से अधिक कार्य किया। बाद में योजना के तहत धन आना बंद होने से कार्य ठप हो गया। पांच साल गुजरने के बाद भी राफ्टिंग सेंटर का कार्य आगे नहीं बढ़ सका है।
ऋषिकेश की तरह ही कुमाऊं में भी रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा देना था
कुमाऊं में रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा देने तथा इसे रोजगार से जोडऩे के उद्देश्य से काली और गोरी नदी का संगम स्थल चुना गया था। कुमाऊं में रिवर राफ्टिंग के लिए यह सबसे अधिक उपयुक्त स्थल है। जहां पर दो विशाल नदियों का संगम है। जौलजीवी को राफ्टिंग के लिए ऋषिकेश की राफ्टिंग सेंटर की तरह विकसित करना था। सेंटर में होने थे ये कार्य
कुमाऊं में रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा देने तथा इसे रोजगार से जोडऩे के उद्देश्य से काली और गोरी नदी का संगम स्थल चुना गया था। कुमाऊं में रिवर राफ्टिंग के लिए यह सबसे अधिक उपयुक्त स्थल है। जहां पर दो विशाल नदियों का संगम है। जौलजीवी को राफ्टिंग के लिए ऋषिकेश की राफ्टिंग सेंटर की तरह विकसित करना था। सेंटर में होने थे ये कार्य
1. ओवरहोल टैंक
2.बाउंड्री बाल
3. उपकरण रखने को स्टोर रू म
4. पैंतीस लाख रु पये की लागत का भवन
5. एसआर हट्स
6. सुरक्षा दीवार जिसमें बाउंड्री वाल बने और सुरक्षा दीवार सहित भूमि के समतलीकरण व प्रारंभिक चरण का का कार्य ही हो सका। विगत पांच वर्षों से लावारिस हालत में होने से अब लावारिस हालत में है।
2.बाउंड्री बाल
3. उपकरण रखने को स्टोर रू म
4. पैंतीस लाख रु पये की लागत का भवन
5. एसआर हट्स
6. सुरक्षा दीवार जिसमें बाउंड्री वाल बने और सुरक्षा दीवार सहित भूमि के समतलीकरण व प्रारंभिक चरण का का कार्य ही हो सका। विगत पांच वर्षों से लावारिस हालत में होने से अब लावारिस हालत में है।
सेंटर के निर्माण से लोगों को मिलता रोजगार
अमित लोहनी, जिला पर्यटन अधिकारी, पिथौरागढ़ ने बताया कि जौलजीवी में रिवर राफ्टिंग सेंटर निर्माण आवश्यक है। साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां पर सेंटर आवश्यक है। जौलजीवी में यदि राफ्टिंग सेंटर बनता तो इसका लाभ यहां के पर्यटन को मिलता। जिले की चार नदियों में रिवर राफ्टिंग होती है। सेंटर बनने से लोगों को रोजगार मिलता। सेंटर नहीें बनना दुर्भाग्यपूण
दिनेश गुरु रानी, प्रबंधक साहसिक, केएमवीएन ने बताया कि जौलजीवी में रिवर राफ्टिंग ऋषिकेश के रिवर राफ्टिंग सेंटर को मात देता। जौलजीवी से पंचेश्वर, टनकपुर तक काली एवं शारदा नदी में, जौलजीवी से गोरी नदी में बलमरा, तोली तक राफ्टिंग होती। काली नदी में राफ्टिंग सबसे अधिक रोमांचक मानी जाती है। इसके अलावा सरयू और रामगंगा दी में भी राफ्टिंग होती है। ये दोनों नदियां भी काली नदी से जुड़ी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे रोजगार के साधन बढ़ते। सेंटर नहीं बनना दुर्भाग्यपूर्ण है।धनराशि मिलने पर तेजी से होगा निर्माण
जीवन प्रकाश पुनेठा, अभियंता केएमवीएन का इस आर में कहना है कि वर्ष 2014 में प्रथम किश्त मिलने के बाद प्रारंभिक चरण का कार्य किया गया। इससे आगे का इस्टीमेट तैयार है। धन समय से मिल जाता तो आज तक सेंटर अस्तित्व में आ जाता । केएमवीएन सेंटर बनाने की पूरी तैयारी किए है। धनराशि मिलने पर तेजी से कार्य किया जाएगा। यह भी पढ़ें : अब गांव की ही सुरक्षित भूमि पर होगा बारह गांवों का विस्थापन, चल रही भूगर्भीय जांच
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड बार काउंसिल के चुनाव की अधिसूचना जारी, चार मई से शुरू होगी प्रक्रिया
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।अमित लोहनी, जिला पर्यटन अधिकारी, पिथौरागढ़ ने बताया कि जौलजीवी में रिवर राफ्टिंग सेंटर निर्माण आवश्यक है। साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां पर सेंटर आवश्यक है। जौलजीवी में यदि राफ्टिंग सेंटर बनता तो इसका लाभ यहां के पर्यटन को मिलता। जिले की चार नदियों में रिवर राफ्टिंग होती है। सेंटर बनने से लोगों को रोजगार मिलता। सेंटर नहीें बनना दुर्भाग्यपूण
दिनेश गुरु रानी, प्रबंधक साहसिक, केएमवीएन ने बताया कि जौलजीवी में रिवर राफ्टिंग ऋषिकेश के रिवर राफ्टिंग सेंटर को मात देता। जौलजीवी से पंचेश्वर, टनकपुर तक काली एवं शारदा नदी में, जौलजीवी से गोरी नदी में बलमरा, तोली तक राफ्टिंग होती। काली नदी में राफ्टिंग सबसे अधिक रोमांचक मानी जाती है। इसके अलावा सरयू और रामगंगा दी में भी राफ्टिंग होती है। ये दोनों नदियां भी काली नदी से जुड़ी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे रोजगार के साधन बढ़ते। सेंटर नहीं बनना दुर्भाग्यपूर्ण है।धनराशि मिलने पर तेजी से होगा निर्माण
जीवन प्रकाश पुनेठा, अभियंता केएमवीएन का इस आर में कहना है कि वर्ष 2014 में प्रथम किश्त मिलने के बाद प्रारंभिक चरण का कार्य किया गया। इससे आगे का इस्टीमेट तैयार है। धन समय से मिल जाता तो आज तक सेंटर अस्तित्व में आ जाता । केएमवीएन सेंटर बनाने की पूरी तैयारी किए है। धनराशि मिलने पर तेजी से कार्य किया जाएगा। यह भी पढ़ें : अब गांव की ही सुरक्षित भूमि पर होगा बारह गांवों का विस्थापन, चल रही भूगर्भीय जांच
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