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रोहित शेखर ने कहा था, मैं उनका नाजायज बेटा नहीं, वे मेरे नाजायज पिता हैं, लंबी लड़ाई के बाद मिला था जैविक बेटे का हक

कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्‍तर प्रदेश व उत्‍तराखंड जैसे सूबे के मुख्‍यमंत्री रहे स्‍व. एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी ने अपना हक पाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 17 Apr 2019 10:38 AM (IST)
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रोहित शेखर ने कहा था, मैं उनका नाजायज बेटा नहीं, वे मेरे नाजायज पिता हैं, लंबी लड़ाई के बाद मिला था जैविक बेटे का हक
हल्‍द्वानी, जेएनएन : कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्‍तर प्रदेश व उत्‍तराखंड जैसे सूबे के मुख्‍यमंत्री रहे स्‍व. एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी ने अपना हक पाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। रोहित ने 2005 में अदालत में यह दावा किया था कि नारायण दत्त तिवारी उनके पिता हैं। नौबत डीएनए टेस्ट तक पहुंची, जिसमें रोहित की बात साबित भी हुई, हालांकि नारायण दत्त तिवरी हमेशा इस बात से मुकरते रहे, लेकिन अंतत: उन्‍हें रोहित को अपनाना पड़ा। अपने कानूनी लड़ाई के दिनों में रोहित ने कहा था कि ''मैं उनका नाजायज बेटा नहीं, वे मेरे नाजायज पिता हैं।''

नाजायज बेटा होने का जो दर्द रोहित शेखर ने सहा उसे भले ही साधारण कह दिया जाए लेकिन खुद को जायज बेटा साबित करने के लिए उन्‍होंने संघर्ष किया वो भारतीय समाज में असाधारण है। भारतीय समाज में किसी महिला का सार्वजनिक रूप से किसी रिश्ते की बात और विवाहेतर संबंध से बच्चे की बात स्वीकार करना बेहद असामान्य घटना है। लेकिन उज्‍जवला शर्मा ने इसे खुलकर स्‍वीकार किया और बेटे रोहित शेखर के साथ आपना हक पाने के लिए संघर्ष भी किया। इसी संघर्ष का नतीजा रहा कि उम्र के आखिरी पड़ाव में एनडी तिवारी को उज्‍जला शर्मा से शादी भी करनी पड़ी। हालांकि इस घटना को लेकर बाद में तमाम हास-परिहास होते रहे, लेकिन रोहित के संघर्षों ने समाज के सामने अलग मानक स्‍थापित किए।

एनडी ने अपना नाम देने से किया था इन्‍कार

70 के दशक में उज्‍जवला शर्मा अपने पति का घर अपने दो साल के बेटे, रोहित के बड़े भाई, के साथ छोड़ दिया था। इसके बाद वे अपने पिता प्रोफ़ेसर शेर सिंह के घर आकर रहने लगी थीं। उसीक दौरान उनकी मुलाकात एनडी तिवारी से हुई। उस वक़्त तिवारी एक उभरते हुए नेता थे और पारिवारिक दोस्त भी। कुछ साल के संबंधों के बाद उन्होंने रोहित को जन्म दिया, लेकिन तिवारी ने बच्चे को अपना नाम देने से इनकार कर दिया। क्योंकि वह एक शादीशुदा व्यक्ति थे और ये बात जब सार्वजनिक होती तो उनके राजनीतिक जीवन को धक्‍का लगता। इसलिए शेखर के जन्म प्रमाणपत्र पर उनकी मां के पति बीपी शर्मा का नाम लिखा गया।जब ये बात शेखर को पता चली तो उन्‍हें गुस्‍सा आया और अपमानित महसूस हुए।

रोहित ने कहा था डराने वाली थी सच्‍चाई

रोहित को जब सच्‍चाई का पता चला तो वे स्‍तब्ध थे। उन्‍होंने कहा था कि ये बात डरावनी थी कि मेरे पिता मुझे सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करना चाहते। मेरी मां को वह स्थान नहीं मिला जिसकी वे हकदार थीं। मुझे हमेशा इस बात का अहसास रहा कि समाज में हमें मज़ाक के रूप में देखा जाता था। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता था। इसी बात ने मुझे मेरे संघर्ष के लिए प्रेरित किया।

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