नैनीताल में 96 साल बाद दिखी खूबसूरत और दुर्लभ प्रजाति रोज फिंच
बर्ड वाचिंग के लिए दुनियभर में मशहूर नैनीताल के जंगल में दुर्लभ प्रजाति का परिंदा नजर आया है। करीब 96 साल बाद खूबसूरत विनेसियस रोज फिंच का जोड़ा दिखाई देने से लोगों में कॉतुहल है। इससे पहले नैनीताल में यह खूबसूरत पक्षी 1925 में दिखाई दिया था।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 08 Apr 2021 04:45 PM (IST)
नैनीताल, जागरण संवाददाता : बर्ड वाचिंग के लिए दुनियभर में मशहूर नैनीताल के जंगल में दुर्लभ प्रजाति का परिंदा नजर आया है। करीब 96 साल बाद खूबसूरत विनेसियस रोज फिंच का जोड़ा दिखाई देने से लोगों में कॉतुहल है। इससे पहले नैनीताल में यह खूबसूरत पक्षी 1925 में दिखाई दिया था। पर तब तस्वीर कोई नहीं ले सका था। इसी साल 27 फरवरी व 13 मार्च को पद्मश्री एवं अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह व बर्ड वाचर संजय बोरा ने इसे अपने कैमरे में कैद किया है। उत्तराखंड के वन विभाग ने इसे उपलब्धि मानते हुए रिकार्ड में शामिल कर लिया है।
नैनीताल समेत आसपास के जंगलों साथ ही सातताल क्षेत्र देश-दुनिया में बर्ड वाचिंग के लिए प्रसिद्ध है। पक्षियों की अत्यधिक प्रजाति होने पर ही इस इलाके को वन विभाग ने नैना देवी बर्ड रिजर्व बनाया है। उच्च हिमालयी क्षेत्र से लेकर दक्षिण भारत, चीन तक से पक्षी यहां प्रवास पर आते हैं। बर्ड रिवर्ज में चीर फीजेंट से लेकर कलीज फीजेंट, रैड हैडेड वलचर, ग्रेटर, स्पोटेड ईगल, ईस्टर्न इम्पीरियल व ग्रे ग्राउंड प्रीनियां जैसी दुर्लभ चिडिय़ा पाई जाती हैं।
इधर हाल ही में नैनीताल के मल्लीताल क्षेत्र के जंगल में दुर्लभ चिडिय़ा विनेसियस रोज फिंच की मौजूदगी देखी गई है। पद्मश्री अनूप साह तथा बर्ड वॉचर संजय बोरा ने 27 फरवरी को मादा रोज फिंच व 13 मार्च को नर रोज फिंच को अपने कैमरे में कैद किया। साह के अनुसार 1987 में रिप्ले नामक किताब में इसका जिक्र किया है, मगर तब किसी ने कैमरे में कैद नहीं किया था। इसके अलावा पहली नवंबर 1970 को नेपाल में ताकखोला इस्टर्न में धौलागिरी के पास इस चिडिय़ा को रिकार्ड किया गया था। साह के अनुसार यह चिडिय़ा गर्मियों में ही उच्च हिमालयी क्षेत्र से आती है।
धनंजय मोहन, निदेशक वन्य जीव संस्थान देहरादून ने बताया कि नैनीताल में विनेसियस रोज फिंच का दशकों बाद मिलना बड़ी उपलब्धि होने के साथ ही वन्य जीव जगत के लिए सुखद भी है। वन विभाग ने इसे रिकार्ड पर ले लिया है। हम पद्मश्री साह के संपर्क में हैं, इस चिडिय़ा की मौजूदगी की जानकारी थी, मगर रिकार्ड नहीं था। अब इस जोड़े को आब्जर्व किया जा रहा है। यह प्रजनन काल है, यह देखा जा रहा है कि प्रजनन के लिए जोड़ा आया था या साल भर यहीं रहता है। इसे ई-बर्ड समेत अन्य वन्य जीव से संबंधित लिटरेचर में शामिल किया जा रहा है।Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें
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