जांबाज तैयार कर रहा सैनिक स्कूल घोड़ाखाल
देश के कुल 26 स्कूलों में से एक नैनीताल जिले का सैनिक स्कूल घोड़ाखाल अपनी स्थापना के बाद 600 से अधिक ऐसे बच्चों में भविष्य का निर्माण कर चुका है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 07 Aug 2018 04:16 PM (IST)
भवाली, [विनोद कुमार]: शिक्षित करने के साथ-साथ जहां देश की सेवा के लिए देशभक्ति से ओतप्रोत जांबाज तैयार किए जाते हैं, उसका नाम है सैनिक स्कूल घोड़ाखाल। देश के कुल 26 स्कूलों में से एक नैनीताल जिले का यह विद्यालय अपनी स्थापना के बाद 600 से अधिक ऐसे बच्चों में भविष्य का निर्माण कर चुका है, जो आज कहीं न कहीं छोटे-बड़े स्तर पर बैठकर देश की सरहद पर करोड़ों लोगों का सुरक्षा कवच बने हुए हैं। स्कूल अपनी इसी उपलब्धि के लिए आठ बार रक्षा मंत्रलय से ट्रॉफी भी हासिल कर चुका है। देश ऐसे सपूतों को सलाम कर रहा है..।
स्कूल की स्थापना 21 मार्च 1966 को गोलू देवता के मंदिर के पास की गई थी। स्कूल तो रक्षा मंत्रलय के अधीन है, लेकिन संचालन सैनिक स्कूल सोसायटी करती है। पिछले कुछ वर्षो में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल देश भर के अन्य सैनिक स्कूलों की अपेक्षा अधिक कैडेट्स रक्षा मंत्रलय अकादमी में प्रवेश करा चुका है। जिसके कारण रक्षा मंत्रलय ने सैनिक स्कूल को 8 बार रक्षा मंत्रलय ट्राफी से नवाजा है।अब बेटियां भी लेंगी प्रवेश
इस वर्ष से सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में बेटियों को भी प्रवेश दिया जाएगा। जिससे बेटियों को भी सैन्य अफसर बनने का बेहतर मौका मिल सकेगा। अब तक सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में केवल लड़को को ही प्रवेश था।स्कूल में प्रवेश लेने की प्रक्रिया
स्कूल में केवल छटी और नवी कक्षा में ही प्रवेश लिया जा सकता है, जिसके लिए जनवरी में प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें उत्तराखंड के छात्रों के लिए 67 फीसदी व अन्य प्रांतों के लिए 33 प्रतिशत सीटें उपलब्ध होती हैं। लाखों बच्चे आवेदन करते हैं।ये महसूस करा रहे गर्व
लेफ्टिनेंट जनरल वीके भाटिया, मेजर जनरल वीके भट्ट, लेफ्टिनेंट जनरल जेडीएस रावत, जेपी सिह, रियर एडमिरल एचसीएस बिष्ट, एयर वाइस मार्शल युगल नेगी व रक्षा मंत्रलय के संयुक्त सचिव राम सुभाग सिंह, पश्चिम बंगाल आईएएस अधिकारी मनोज पंत, सीतापुर डीएम अजय शुक्ला।यह भी पढ़ें: गंगा के मायके में देशभक्ति का रंग, निकलती है तिरंगा महाकांवड़ यात्रा
यह भी पढ़ें: आजादी के दीवानों की याद ताजा रखने के लिए निकाला ये अनूठा तरीकायह भी पढ़ें: इस वृक्ष पर दी गई 152 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी, अब होती है पूजा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।