बंगलूरू, हैदराबाद, दिल्ली जैसे महानगरों का पैकेज छोड़ संजय ने शुरू किया ये काम
होटल मैनेजमेंट करने के बाद बंगलूरू हैदराबाद व दिल्ली में बड़े पैकेज की नौकरी छोड़कर पहाड़ लौटे एक युवक ने दो दोस्तों संग ऊसर जमीन को मेहनत के पसीने से सींचकर उर्वर बना डाला है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 25 Feb 2019 08:27 PM (IST)
गरमपानी, मनीष साह : विषम भौगोलिक हालात वाले पर्वतीय राज्य में पहाड़ सरीखी चुनौतियां। उस पर घटती खेती व पलायन की मार से खाली होते गांव। जंगली जानवरों का आतंक अलग से। इन चौतरफा चुनौतियों से पार पाने की जिद अब रंग ला रही है। होटल मैनेजमेंट करने के बाद बंगलूरू, हैदराबाद व दिल्ली में बड़े पैकेज की नौकरी छोड़कर पहाड़ लौटे एक युवक ने दो दोस्तों के साथ मिलकर गांव की ऊसर जमीन को मेहनत के पसीने से सींचकर उर्वर बना डाला है। तीनों ने मिलकर सालभर हाड़-तोड़ मेहनत कर पहले खेत तैयार किए, फिर इन खेतों में जैविक सब्जियों की पैदावार कर धरा को हरा-भरा बना दिया। इन सब्जियों की बंपर पैदावार कर दिल्ली की मंडी तक पहुंचे इन नौजवानों ने गांव के ही 12 महिलाओं समेत 25 युवाओं को घर के करीब रोजगार भी दिया है। खास बात यह कि सब्जी उत्पादन ने इस गांव से पलायन पर लगाम लगा दी है।
इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र में हैं रामगढ़ ब्लॉक के मनरसा गांव निवासी संजय बैरोला, जिन्होंने वर्षों से बंजर पड़ी करीब 60 नाली भूखंड में जैविक सब्जियों का उत्पादन कर पलायन व बेरोजगारी को मात देने की राह दिखाई है। संजय ने हैदराबाद निवासी दोस्त अरविंद देशमुख व गाजियाबाद के भारत गर्ग के साथ मिलकर 25 स्थानीय युवाओं को अपने साथ जोड़ा और स्थानीय स्तर पर उन्हें रोजगार भी मुहैया कराया। सितंबर 2017 में शुरू की गई मुहिम का परिणाम अब सामने है। इन युवाओं की जैविक उपज आजादपुर मंडी दिल्ली तक भेजी जाने लगी है। कुछ समय पहले नैनीताल पहुंचे पूर्व राज्यपाल कृष्णकांत पाल के भोजन के लिए संजय के खेतों की जैविक सब्जियां ही पकाई गई थीं।
सोलर तारबाड़ रोक रही जंगली जानवर संजय व उनके दो साथियों ने सूअर, बंदर व अन्य जंगली जानवरों से निजात पाने के लिए खेतों के चारों ओर सोलर तारबाड़ की है। यह तरकीब जंगली जानवरों के डर से खेती छोड़ रहे ग्रामीणों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं।
ग्रामीणों से खरीद रहे गोमूत्र व गोबर बेहतर पैदावार के लिए ये नौजवान ए-ग्रेड का प्रमाणिक बीज दिल्ली व हैदराबाद से मंगा रहे हैं, जबकि गांव के पशुपालकों से गोमूत्र व गोबर एकत्र कर जैविक खाद बना रहे हैं। इससे ग्रामीणों की भी अच्छी आय हो रही है। अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे किनारे खुले ढाबे व रेस्तरां वाले भी यहीं से सब्जियां खरीद रहे हैं।
लहलहा रही हैं ये जैविक सब्जियां ब्रोकली, लाल व पीली शिमला मिर्च, हरा-पीला खीरा, चेरी टमाटर, पत्तेदार सलाद, विदेशी मसालों के साथ ही इतालवी तुलसी, लाल पत्ता गोभी, चाइनीज पत्ता गोभी आदि।
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