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Sanskaarshala: बुजुर्गों को एकाकीपन से बाहर निकालने की जरूरत,पिंकू व उसकी दादी से छात्रों ने जाना समस्या का हल

Sanskaarshala दैनिक जागरण संस्कारशाला के तहत प्रकाशित पिंकू और उनकी दादी की कहानी पोते ने बदल दी दादी की दुनिया को दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाया गया। कहानी पढ़ने के बाद बच्चों ने कहा कि बुजुर्गों को नवीन तकनीक से परिचित कराकर उनका अकेलापन दूर किया जा सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaUpdated: Sat, 05 Nov 2022 12:07 PM (IST)
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कहानी पढ़ने के बाद बच्चों के बीच परिचर्चा व सवाल-जवाब हुए।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Sanskaarshala: रमेश की मां सरला हमेशा गांव के परिवेश में ही रहीं। बेटे के साथ शहर आए उन्हें एक माह ही हुआ था। दिन में रमेश आफिस चले जाते और पोता पिंकू स्कूल। बहू उषा घर के कामों में व्यस्त हो जाया करतीं। दादी के लिए अकेले समय काटना मुश्किल हुआ करता। फिर गांव की तरह बोलने-बतियाने के लिए भी तो कोई नहीं था। अकेलापन महसूस कर रहीं दादी को फेसबुक, वाट्सएप से जोड़ने का सुझाव पिंकू ने दिया था। दादी को टैबलेट, इंटरनेट जैसे तकनीकी ज्ञान से परिचित कराने की जिम्मेदारी भी पिंकू पर आन पड़ी थी। पिंकू ने कुछ ही दिनों में दादी को इंटरनेट मीडिया का उपयोग करने की बुनियादी जानकारी दे दी थी। अब वह गांव के लोगों से सीधे बात कर पा रही थीं।

बुजुर्गों को नई तकनीक से परिचित कराने की जरूरत

दैनिक जागरण संस्कारशाला के तहत प्रकाशित पिंकू और उनकी दादी की कहानी 'पोते ने बदल दी दादी की दुनिया' को दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाया गया। कहानी पढ़ने के बाद बच्चों के बीच परिचर्चा व सवाल-जवाब हुए। बच्चों ने कहा कि बुजुर्गों को नवीन तकनीक से परिचित कराकर उनका अकेलापन दूर किया जा सकता है। नई तकनीक से जुड़कर बुजुर्ग अपने ज्ञान, जीवन के अनुभव आदि को नई पीढ़ी तक पहुंचा सकते हैं।

संस्कारशाला दैनिक जागरण की पहल अनूठी और स्वागत योग्य है। इसमें प्रकाशित कहानियां, लेख आदि न केवल बच्चों में कहानी कला के प्रति रुचि जागृत करेंगी, संस्कारवान भी बनाएंगी।

-प्रियंका फुलेरा, शिक्षिका

संस्कारशाला की कहानियों से हम सभी को प्रेरणा मिलती है। भागमभाग भरी जीवनशैली में हमारे बुजुर्ग एकाकीपन का शिकार हो रहे हैं। पिंकू की समझदारी वाली कहानी समाज के लिए सीख जगाने वाली है।

-ज्योति बिष्ट, शिक्षिका

कहानी का अंत मुझे बहुत अच्छा लगा। जिसमें पिंकू, उसकी दादी और माता-पिता सभी बहुत खुश हैं। शहर में रहते गांव के लोगों से जुड़कर दादी बहुत खुश हैं। इमें ऐसी खुशी के मौकों को बढ़ाना चाहिए।

-आराध्या पांडे, छात्रा

संस्कारशाला की इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि नई तकनीक से बुजुर्गों को परिचित कराया जाए। इससे उनका अकेलापन दूर होगा। दूसरों की तरह वह भी अपनी पीढ़ी के लोगों से जुड़ सकेंगे।

-हृदयांशी सिंह, छात्रा

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